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Showing posts from June 28, 2019

छात्रों की विभिन्न समस्याओं को लेकर प्राचार्य से मिला छात्र प्रतिनिधिमंडल, निराकरण का मिला आश्वासन

आज मुंशी सिंह महाविद्यालय में विभिन्न समस्या को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं छात्रसंघ ने मुंशी सिंह महाविद्यालय के प्रचार्य डॉ. प्रदीप कुमार से बात चीत की। जिसमे कॉलेज कैंपस से संबंधित अनेकों मुद्दे उठाए गए । छात्रसंघ अध्यक्ष मुकेश ने कहा की आम चुनाव 2019 के बाद भी अभीतक कॉलेज की स्थिति ठीक नहीं हुई हैं और इतने भीषण गर्मी के बावजूद आज तक पानी का व्यवसथा ठीक से नहीं हुआ है, जिस कारण छात्रों को बहुत ही परेशानी हो रही हैं। नगर मंत्री दिव्यांसु ने बताया पीजी में सभी संकाय में आधे से अधिक सीटें कम कर दी गई, जिसको लेकर 23 मई को ABVP और छात्रसंघ ने यूनिवर्सिटी में पीजी के सीट बढ़ाने के लिए मांगपत्र बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति को शौप था लेकिन अभी सीट नहीं बढ़ाया गया। वही छात्रसंघ कॉलेज प्रतिनिधि उजाला कुमार ने पीजी में एडमिशन से संबंधित मुद्दे को रखते हुए कहा कि पीजी में नामांकन के लिए छात्र इधर-उधर भटक रहें हैं लेकिन उनकों कोई बताने वाला नहीं है और BRABU. यूनिवर्सिटी के पीजी एडमिशन लिस्ट में भारी गड़बड़ी किया है। जहाँ 71% वाले छात्रों को मेरिट लिस्ट में नाम नहीं दिया गया हैं वही पर

कैसे फकीर हो पान का पिक इधर-उधर फेंकते हो.... और फिर क्या हुआ...?

बाबा की बस एक हरकत मुझे पसंद नहीं आई और जब मैंने टोक दिया तो वह चेन्नई एक्सप्रेस की रफ्तार से आगे बढ़ने लगा.....  अब आगे पढ़िए क्या हुआ... एक बार ऐसे ही हमारे मोहल्ले में भी ऐसे बाबाओं का आना हुआ  सब के केसरिया और हरा वस्त्र पहने हुए  थे आंखों में सुरमा और सिर पर टोपी के साथ-साथ चादर तानकर आगे बढ़ते जा रहे थे। सबकी आजू बाजू में झोला टंगा था और उनमें से किसी एक के झोले में छोटा सा स्पीकर लगा था जिसमें गाना चल रहा था ख्वाजा ख्वाजा ख्वाजा ख्वाजा ख्वाजा ख्वाजा...... चुकी धार्मिक सहिष्णुता हम हिंदुओं में कूट-कूट कर भरी हुई है इसलिए माँ ने ₹10 दे दिया किंतु  बाबा की एक हरकत मुझे पसंद नहीं आई और  फिर क्या था मैंने बाबा को ठोक दिया तो वह बाबा चेन्नई एक्सप्रेस की रफ्तार से आगे बढ़ते हुए हमारे गली से रफूचक्कर हो गया। हुआ यूं कि सुबह सुबह का वक्त था गर्मी से बेहाल जिंदगी दरवाजे के बाहर अखबार के सहारे कट रही थी इसी बीच एक गिलास पानी के साथ चाय की चुस्की  रात की गर्मी के साथ साथ मानसिक उलझनों से दूर एक अलग ही वातावरण में ले जा रही थी तभी मोहल्ले के सुदूर गली के मोड़ से मंद मंद सी आवाज आन

पार्श्वगायन के क्षेत्र में खास पहचान बना चुके हैं अमर आनंद

खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,         जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,         लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ, जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी हैं ।।        जाने माने पार्श्वगायक अमर आनंद ने पार्श्वगायन के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण पहचान बनायी है।उनकी ज़िन्दगी संघर्ष, चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है। अमर आनंद ने अपने करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया।                 महान साहित्यकार फनीश्वर नाथ रेणु की जन्मस्थली बिहार के अररिया जिले के रानीगंज थाना के लक्ष्मीपुर गीतवास गांव में वर्ष 1990 में जन्में अमर आनंद के पिता श्री जगदीश यादव जाने माने लोक कथाकार और गायक हैं। छह भाइयों में सबसे बड़े अमर आनंद को कला की शिक्षा विरासत में मिली। बचपन के दिनों से ही अमर आनंद का रूझान संगीत की ओर हो गया था। वह अक्सर स्कूल में होने वाले सांस्कृतिक कार्यकम में हिस्सा लिया करते जिसके लिये उन्हें काफी प्रशंसा मिला करती।   जिंदगी म