दोहा:---✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍ 🌴राम नाम वह बृक्ष है, जो फल देत हजार। तोड़े से वह फलत अरु, चहुँदिशि झुकती डार।। 📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝 मुक्तक:--- 🌴1 देखा सुना अलग ही, विधि का विधान है, अनुपम प्रबन्ध रचना, माया प्रधान है, लेकिन मनुष्य जीवन, अनुपान है 'भ्रमर', रसमय सुगन्ध देती, गीता महान है।। 🌴2 दुराभाव से'भ्रमर' ग्रसित है, मानवता का थाना, विपदा कौन कहॉं से आये, ना जाये पहचाना, डरी कौतुकी विम्ब सेअपने, जब सुष्मा बरियाई, ममता-नेह-प्यार के मतलब, बदले रोज जमाना।। ➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕ ✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍ विजय नारायण अग्रवाल 'भ्रमर' vnbhrmar2244@gmail.com. रायबरेली 28 जून 2018 ✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍
क्योंकि सच एक मुद्दा हैं