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जनजागृति और कानून के जरिये खत्‍म होगी भोजपुरी से अश्‍लीलता : विनय बिहारी

भोजपुरी में अश्‍लील गानों के खिलाफ भोजपुरिया सेना ने शुरू की   मुहिम पटना। भोजपुरी सिनेमा और अलबमों को अश्‍लीलतामुक्‍त करने के लिए भोजपुरिया सेना ने एक मुहीम की शुरूआत आज राजधानी पटना स्थित यूथ हॉस्‍टल में एक संवाददाता सम्‍मेलन के जरिये की है। इस मौके पर गीतकार और भाजपा विधायक विनय बिहारी ने कहा कि भोजपुरी में अश्‍लीलता के लिए कोई एक आदमी जिम्‍मेवार नहीं है। इसलिए इसे समाप्‍त करने के लिए समाज से लेकर गीतकार, म्‍यूजिक कंपनी और सरकार को पहल करनी होगी।  विनय बिहारी ने कहा कि भोजपुरी से अश्‍लीलता जनजागृति और कठोर कानून के जरिये ही खत्‍म हो सकता है। इसकी शुरूआत कुछ बड़े स्‍टार जो आज भी अश्‍लील गाने गा रहे हैं, उनको दो महीने की जेल डाल कर किया जाना चाहिए। उसके बाद एक सकारात्‍मक संदेश जायेगा और लोग भोजपुरी में अश्‍लीलता फैलाने से डरेंगे। उन्‍होंने कहा कि आज मैथिली में अश्‍लीलता नहीं है, क्‍योंकि वहां का समाज जागरूक है। इसलिए भोजपुरी में भी समाज को जागरूक होना पड़ेगा। उन्‍होंने बताया कि बिहार के मुख्‍यमंत्री अश्‍लीलता को लेकर गंभीर हैं और आने वाले विधान सभा सत...

अपनी जादुई आवाज से संगीत जगत को सुशोभित कर रहे हैं डा.मनीष सिन्हा

        बहुमुखी प्रतिभा के धनी डा.मनीष सिन्हा ने चिकित्सा के साथ ही संगीत के क्षेत्र में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है। उन्होंने अबतक के करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और कामयाबी का परचम लहराया। बिहार की राजधानी पटना में जन्में मनीष सिन्हा के पिता वीरेन्द्र कुमार सिन्हा और मां श्रीमती माधुरी सिन्हा ने पुत्र को अपनी राह चुनने की आजादी दे रखी थी। बचपन के दिनों से ही मनीष सिन्हा की रूचि संगीत की ओर थी। मनीष सिन्हा को संगीत की प्रारभिक शिक्षा अपनी मां और प्रोफेसर श्रीमती माधुरी सिन्हा से मिली। माधुरी सिन्हा पार्श्वगायन किया करती थी। मनीष सिन्हा स्कूल और कॉलेज में होने वाले सांस्क़तिक कार्यक्रमों में पार्श्वगायन किया करते और इसके लिये उन्हें काफी सराहना मिला करती।       मनीषा सिन्हा ने मैट्रिक तक की पढ़ाई राजधानी पटना के पाटलिपुत्रा हाई स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने नालंदा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और पटना मेडिकल कॉलेज से एमएस की पढ़ाई की। इसके बाद मनीष सिन्हा आंखो में बड़े सपने लिये मायानगरी मुंबई आ गये जहां उन्होंने एक...

पार्श्वगायन के क्षेत्र में खास पहचान बना चुके हैं अमर आनंद

खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,         जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,         लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ, जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी हैं ।।        जाने माने पार्श्वगायक अमर आनंद ने पार्श्वगायन के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण पहचान बनायी है।उनकी ज़िन्दगी संघर्ष, चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है। अमर आनंद ने अपने करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया।                 महान साहित्यकार फनीश्वर नाथ रेणु की जन्मस्थली बिहार के अररिया जिले के रानीगंज थाना के लक्ष्मीपुर गीतवास गांव में वर्ष 1990 में जन्में अमर आनंद के पिता श्री जगदीश यादव जाने माने लोक कथाकार और गायक हैं। छह भाइयों में सबसे बड़े अमर आनंद को कला की शिक्षा विरासत में मिली। बचपन के दिनों से...