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Showing posts from December 23, 2017

............होठों पर तेरी

सुर्ख होठों पर तेरी, जो लाली थी ।  वह लाली,                                                                   चुराई है किसने ।। हमने शामों-पहर, ख्वाबों में पाया हैं तुमको।  घर उसका जले,  जुदाई की साजिश की हैं जिसने ।। इक वफा तुम भी करो, इक वफा हम भी करें। आओ अब संग जीएं, आओ अब संग मरे।।

.....होठों पर तेरी।

सुर्ख होठों पर तेरी, जो लाली थी ।  वह लाली,                                                                               चुराई है किसने ।। हमने शामों-पहर, ख्वाबों में पाया हैं तुमको।  घर उसका जले,  जुदाई की साजिश की हैं जिसने ।। इक वफा तुम भी करो, इक वफा हम भी करें। आओ अब संग जीएं, आओ अब संग मरें।।