सुर्ख होठों पर तेरी, जो लाली थी । वह लाली, चुराई है किसने ।। हमने शामों-पहर, ख्वाबों में पाया हैं तुमको। घर उसका जले, जुदाई की साजिश की हैं जिसने ।। इक वफा तुम भी करो, इक वफा हम भी करें। आओ अब संग जीएं, आओ अब संग मरे।।
क्योंकि सच एक मुद्दा हैं