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मैं अल्लाह के वास्ते.... कह कर वो रातो रात पॉपुलर हो गई

जिस देश में किसी के द्वारा अपना प्रोफेशन (ऐक्टिंग) छोड़ देने या किसी के सिंदूर लगा लेने जैसे मुद्दों पर राष्ट्रीय स्तर की बहस छिड़ जाती हो, उस देश में मूर्खों, मानसिक रूप से अपाहिजों और अंधों की कितनी बंपर तादाद है, आप खुद ही समझ सकते हैं...! अरे, छोड़ने वाले तो प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक की कुर्सी तक को ठुकरा दिये, हर साल देश में जाने कितने युवा आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, प्रोफेसर समेत बड़े पदों पर बैठे पत्रकार...जैसे तमाम पदों को ठुकरा देते हैं! हर साल जाने कितने लोग अपनी करोड़ों की संपत्ति दान दे देते हैं, कुछ तो अपनी अरबों की संपत्ति दान करके सत्य को जीने निकल पड़ते हैं, मेरे पास उन सबके ढेरों उदाहरण हैं...! इन सब स्थितियों में एक अज्ञान लड़की, जिसे कल तक कोई जानता भी नहीं था, वह मात्र एक लाइन की बात कहकर ( मैं अल्लाह के वास्ते...) रातों-रात्र पब्लिसिटी की रानी हो जाती है, आप यह देश कितने मूर्ख़ों से भरा पड़ा है...! उस लड़की को पता था कि वह अपनी पूरी करियर में इतनी पब्लिसिटी न बटोर पाती, इसलिए उसने अपनी कौम के मूर्खों और देश के मूढ़ों की बेतहासा भीड़ का जबरदस्त इस्तेमाल

नुसरतजहां को इस्लाम-विरोधी समझना भी बिल्कुल पोंगापंथी : डॉ वेद प्रताप वैदिक

डॉक्टर वेदप्रताप वैदिक राजनीतिज्ञ एवं अपने बेबाक विचारों के लिए जाने जाते हैं उन्होंने हिंदुत्व और इस्लाम की अतिवाद पर जो अपने विचार प्रकट किए हैं आइए देखते हैं कि उन्होंने हिंदू और मुसलमान को किस ढंग से देखा है.... डॉक्टर वैदिक कहते हैं कि ....आज हमारे विचार के लिए दो विषय सामने आए हैं। एक तो कानपुर के युवा मुहम्मद ताज का, जिसे कुछ हिंदू नौजवानों ने बेरहमी से पीटा और उससे ‘जय श्रीराम’ बुलवाने की कोशिश की और दूसरा प. बंगाल से चुनी गई सांसद तृणमूल कांग्रेस की नुसरतजहां का, जिनके खिलाफ देवबंद के किसी मौलवी ने फतवा जारी किया है, क्योंकि उन्होंने किसी जैन से शादी कर ली है और संसद में शपथ लेते समय वे सिंदूर लगाकर और मंगलसूत्र पहनकर आई थीं। ये दोनों मसले ऐसे हैं, जिनमें हमें हिंदुत्व और इस्लाम का अतिवाद दिखाई पड़ता है। इन दोनों मामलों का न तो हिंदुत्व से कुछ लेना-देना है और न ही इस्लाम से ! किसी मुसलमान या ईसाई की हत्या या पिटाई आप इसलिए कर दें कि वह राम का नाम नहीं ले रहा है, यह तो राम का ही घोर अपमान है। आप रामभक्त नहीं, रावणभक्त हैं। आपको अपने आप को हिंदू कहने का अधिकार भी नहीं है