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Showing posts from May 7, 2017

ब्रम्हचर्य जीवन की ओर.......

ब्रम्हचर्य जीवन की ओर................ अमित जी मेरे गुरु भाई एवं मित्र हैं। अभी-अभी इनकी शादी हुई है और उसके पहले अंता उर्जा साधना करके लौटे हैं। बताते हैं कि शादी तो इनके शरीर की हुई है जो एक दिन गल जाने वाला है, मर जाने वाला है, श्मशान में जल जाने वाला है । मैं तो अनश्वर आत्मा हूं मेरा कुछ नहीं बिगड़ सकता है । मैं शरीर के पहले भी था और बाद में भी हूं। युद्ध के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को यही बात समझा रहे हैं कि हे अर्जुन यह सारे के सारे योद्धा मेरे द्वारा पहले ही मारे जा चुके हैं बस तुम निमित्त मात्र बन जाओ और इन सब का वध करो। कभी-कभी हम लोग भी अज्ञानतावश अपने शरीर को ही मैं मान बैठते हैं कि मैं प्रधानमंत्री हूं, मैं इंजीनियर हूं, मैं डॉक्टर हूं, मैं फलाना हूं। लेकिन वास्तव में मैं एक अनश्वर आत्मा हूं यह जानना उपरोक्त सभी जनकारी से ज्यादा बेहतर है। जब हम यह जान लेते हैं कि मैं एक अनश्वर आत्मा हूं और अपने इस आत्मा का शरीर में उत्पत्ति का कारण जान लेते हैं कि किस उद्देश्य से हमें प्रकृति ने यहां भेजा है और उस पर काम करना चालू कर देते हैं तो फिर हमें किसी चीज की कोई आवश्यकता नहीं