हम अंधियारे में रोशनी, रोज रोज जलाते हो।। कभी भीतर भी दीपक, जलाया करो ।। कभी कभी, अपने तम के गहरे सागर में, गोता लगाया करो।। कुछ मोती वर्षों से पड़े हैं, उन्हें निकाल लेना।। क्योंकि इन्ही से, भविष्य की माला बनने वाली।। नकुल कुमार आलोचक मोतिहारी पूर्वी चम्पारण 08083686563 08789826276
क्योंकि सच एक मुद्दा हैं