हम अंधियारे में रोशनी, रोज रोज जलाते हो।। कभी भीतर भी दीपक, जलाया करो ।। कभी कभी, अपने तम के गहरे सागर में, गोता लगाया करो।। कुछ मोती वर्षों से पड़े हैं, उन्हें निकाल लेना।। क...
पहले प्यार की पहली चिट्ठी, दे आया हूं हे राम।। लोक-लाज को छोड़कर, कुछ कह आया हूं हे राम।। बड़े नियंत्रण से वर्षों तक, मैंने पढ़ा देखा, हर पोस्ट को,हर पिक्चर को।। अब अब पोस्ट और पि...