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भाग 02 WhatsApp ने लगाया अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश

📝क्या है बदलाव जरा समझिए.... अब सेटिंग में आपको 3 ऑप्शन मिलेंगे ...।... (I) edit group info (II) send messages (III) edit group admins (I) edit group info इस ऑप्शन में जाकर आप ग्रुप के सब्जेक्ट आइकन और डिस्क्रिप्शन को नियंत्रित कर सकेंगे वहां आपको दो ऑप्शन मिलेंगे पहला (a) All Participants- जिस पर क्लिक करके आप ग्रुप में फोटो, ग्रुप का नाम, उसका डिजाइन कोई भी चेंज कर सकेंगे. अब तक ऐसा ही होता रहा है जैसे ग्रुप किसी और ने बनाया एडमिन उसके अलावा भी कोई और है लेकिन अब तक फोटो नाम कोई भी चेंज कर सकता था किंतु इस दूसरे ऑप्शन के आने के बाद वह ऐसा नहीं कर सकेंगे पढ़िए इस (b)ऑप्शन को b) Only Admins- इस ऑप्शन को सिलेक्ट करने का मतलब है कि इस ग्रुप में सिर्फ एडमिन ही किसी तरह का कोई चेंजिंग कर सकते हैं इसके अलावा ग्रुप के कोई भी मेंबर ग्रुप के फोटो डिजाइन अथवा नाम में किसी भी तरह का कोई परिवर्तन नहीं कर सकेंगे । बहुत बार देखने में आता है कि किसी खास को जिससे ग्रुप बनाया गया आता है जिसमें उस से संबंधित थी फोटो लगाए गए रहते हैं किंतु ग्रुप मेंबरस अपनी सहुलियत के  हिसाब से कभी-कभी फोटो बदलकर अपना

दुख के कपड़े चेंज करूँगा : गुलरेज शहजाद

NTC CLUB MEDIA / 02 JULY 2018  फैला रखी है क़ुदरत ने मंज़र की दोशीज़ा चादर बूढ़ी धरती इस मौसम में अपनी जवानी काट रही है तोहफ़े में बूढी धरती को मंज़र क्या खुशरंग मिले हैं सागर तट पर पाम खड़ा है मौज में अपनी बांहें खोले और ज़मीं पर नर्म-मुलायम सब्ज़ा की क़ालीन बिछी है गुलमोहर के अंगारों पर अपनी आंखें सेंक रहा हूँ दरिया की अंगड़ाई मन में टूट रही है पेड़ों ने पौधों ने अपना सूखा लिबास उतार दिया है हर मंज़र धोया-मांजा है जैसे सब कुछ नया नया है नये कंवारे इस मौसम में मन से मायूसी की पपड़ी अलग करूँगा खुरच-खुरच के उम्मीदों की चाक पे चढ़ के नया बनूँगा दुख के कपड़े चेंज करूँगा                         ००० © गुलरेज़ शहज़ाद 📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝 📝आप पढ़ रहे हैं NTC CLUB MEDIA ब्लॉगर और मैं हूं  NAKUL KUMAR 📞8083686563📝ntcclubmedia@gmail.com✍www.ntcclubmedia.com http://nakulkumar8083686563.blogspot.com http://ntcnewsmedia.blogspot.com 📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝 .................................................................................. 🎥🎥🎥🎥🎥🎥🎥🎥🎥🎥🎥🎥🎥🎥🎥🎥🎥 👉Vide

मिर्जापुर के शिक्षक गोपाल सर हुए ठगी के शिकार

#Breaking_News- मिर्जापुर के शिक्षक गोपाल सर हुए ठगी के शिकार मालूम हो कि भोपाल शहर मिर्जापुर में रहने वाले ऐसे दिव्यांग शिक्षक हैं जो कि वर्षों से अपने क्षेत्र के गरीब बच्चों को निशुल्क वह सक्षम बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं उन्होंने अपनी दिव्यांगता के बावजूद पढ़ना और पढ़ाना नहीं छोड़ा उनकी आंखों में एक सपना था अपने गांव के बच्चों को शिक्षित देखने का जिसे उन्होंने अपने दिव्यांगता पर भारी कर पूरा किया अपने गांव क्षेत्र के बच्चों को तबीयत खराब रहने के बावजूद भी पूरे मनोयोग से शिक्षा देते हैं ट्राई साइकिल पर बैठकर शिक्षा देते हुए आप उन्हें कई बार फोटो में देख सकते हैं क्योंकि बच्चों को शिक्षित कर रहे थे फिर उन्होंने सोचा क्यों ना इसे एक एनजीओ का रुप दिया जाए अचानक से 1 दिन एक अननोन नंबर से उन्हें कॉल आया कोई मॉडल मैडम ने कॉल किया और कहा कि आप एनजीओ का रजिस्ट्रेशन कराना चाहते हैं तो हो जाएगा आप मेरे भेजे गए WhatsApp नंबर ऊपर दिए गए अकाउंट में ₹10000 डाल दीजिए मैं आपके अकाउंट का भेजा गया था के बराबर पुस्तक एवं अध्ययन सामग्री आपके बच्चे को भेज देंगी और आपके एनजीओ का रजिस्ट्रेशन हो जाए

मोतीझील मोतिहारी से Nakul Kumar लाइव

                     जी हां आप सही देख एवं पढ़ रहे हैं । जैसा कि पुलिस प्रशासन की तरफ से गायत्री मंदिर घाट के पास विसर्जन का व्यवस्था की गई थी। तो वही कुछ नाविक मदरसे के सामने अथवा अन्य जगहों से जान जोखिम में डालकर नाव पर मूर्ति विसर्जन करने लगे। इतना देखते ही बिहार पुलिस का जवान दौड़ पड़ा और तब तक नाविक नाव पर मूर्ति लेकर दरिया के बीचो-बीच पहुंच चुका था। पुलिस वाले ने उसे वॉर्निंग दी।इससे जान माल की क्षति हो सकती है ।                    खैर मूर्ति विसर्जन से मोती झील में बहुत ही ज्यादा कचरा पसर गया है । नगर परिषद के लिए यह सिरदर्द जैसा है, कि अब नए सिरे से मोती झील की साफ सफाई एवं कचरा को किस तरह से निकाला जाए ताकि फिर से मोतीझील मछलियों के लिए अच्छे आवास के रूप में प्राप्त हो सकें। हिंदू धर्म एवं मान्यताओं के अनुसार प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के साथ पूरे विधि विधान के साथ पूजन की जाती है एवं उसके बाद प्रतिमा का विसर्जन का विधान है । प्रतिमा को पानी या जल स्रोत में ही विसर्जन इसलिए किया जाता है क्योंकि प्रतिमाएं मिट्टी की बनी होती है और मिट्टी मिट्टी में समाहित हो जाएं जिससे जल प्रदूष

सरस्वती पूजा को सरस्वती पूजा ही रहने दें इसे विकृत ना करें

                       जहां एक और देखा गया है कि बहुत से छात्र पैसे के लिए अपने माता पिता को परेशान करते हैं यहां तक की घर की कोई कीमती वस्तु चोरी छिपे बेच देते हैं अथवा चोरी_करने जैसी घिनौनी घटना को अंजाम देते हैं। इतना ही नहीं बहुत से छात्र सड़क रोक रोक कर चंदा माँगते है एवं सरस्वती पूजा जैसी पवित्र पूजन पद्धति को बदनाम करते हैं।                        आप जरा स्वयं विचार करें कि क्या सरस्वती पूजा के नाम पर चंदा बटोरना,सड़क रोक-रोककर लोगों को परेशान करना, माता-पिता को परेशान करना एवं चंदे से एकत्रित राशि से नाच-गाना, धूम-धड़ाका करना एवं वास्तविक पूजन पद्धति से हटकर विभिन्न क्रियाकलापों को अंजाम देना....क्या वास्तव में यह सरस्वती पूजा है ? आखिर हम पूजन पद्धति का मजाक क्यों बना रहे हैं ।                         दूसरी ओर जब सरस्वती माता के मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। उस समय अश्लील भोजपुरी गाने बजाकर डांस करना,चलते हुए राहगीरों को जबरदस्ती अबीर लगाना ,,,,यह हमारी वास्तविक सरस्वति पूजा नहीं हो सकती।                           वास्तविक सरस्वती की साधना यही कहती है कि हम उन सभी पद्धतियों

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जुबान क्या चलाऊं मैं , कलम ही चला लेता हूं। समय व्यर्थ क्या करना, आओ कुछ पढ़ा देता हूं।।

नकुल की प्रसिद्धि......📝🏃🏃🏃🏃🖋🚶🚶🚶

प्रसिद्धि जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, दूसरों को जलन वैसे ही बढ़ती जाती है।। कदम बढ़ाने में कोई सहायता नहीं करता हैं। कदम खींचने में उसको अच्छा लगता है ।। कहत नकुल की वाणी, तुम मत घबराना ।। और कदम जो खींचे जमाना, उसी कदम से एक लात,उसके मुंह पर लगाना।।                                      फिर ना तुम को रोकेगा कोई, ना ही टोकेगा जमाना।। पुण: तय करना अपनी उड़ान और फिर आगे बढ़ते जाना।। नकुल कुमार Nakul Kumar Journalist Nakul 8083686563

लोहड़ी पर्व... पढ़िए मुस्लिम योद्धा दुल्ला भट्टीवाले की कहानी

लोहड़ी पर्व को हर वर्ष 13 जनवरी को पंजाब में  मनाया जाता है। यह पश्चिम भारत का प्रसिद्ध त्योहार है ।सरहद के दोनों तरफ असीम उत्साह के साथ लोग इसे मनाते हैं । देश बट गया ,धर्म बदल गया, सरहद भी बंद कर दिया जाता है किंतु नव वर्ष का यह पर्व देश, जाति, धर्म की सीमाओं को लांघते हुए दोनों ओर मनाया जाता है । इस दिन दुल्ला भट्टीवाले का गीत अलाव जलाकर ढोल की थाप देते हुए लोग गाते हैं । "सुंदर मंदिर गई ऐ, सुंदर मंदिर गई ऐ। तेरा कौन विचारा ऐ, दुल्ला भट्टीवाला ऐ। दुल्ले दही बवा़ई ए , झोली शकरपाई ए। दुल्ला भट्टीवाला ऐ।।"                  पंजाब में अशांति और विद्रोह के चलते फतेहपुर सीकरी से सम्राट अकबर अपनी राजधानी लाहौर लाए थे । उनके कारिंदे सुंदर नाम की लड़की को उठा लेना चाहते थे । अब्दुल्ला खां उर्फ़ दुल्ला जो मुस्लिम राजपूत थे। उसे सुरक्षा प्रदान किए,उसकी शादी कराई और इसप्रकार पहले से चली आ रही परंपरा में इस लोकख्यात वीर शहीद का नाम भी अविभाज्य रूप से जुड़ गया । 📝आखिर कौन थे दुल्ला भट्टी वाला...📝 दुल्ला भट्टी वाला का मूल नाम अब्दुल्ला खान था यह मुस्लिम राजपूत थे क्योंकि वह पंजाब के ल

📖 बचपन पढ़ाओं आन्दोलन 📖

                     बंजरिया पंचायत के सिंघिया सागर गांव में "बचपन पढ़ाओ आंदोलन" सबके लिए निशुल्क शिक्षा के नए बैच(बच्चा बैच) की शुरुआत 24 फरवरी से होने जा रही है ।                    इस अभियान को शुरुआत करते हुए "नकुल कुमार" का कहना है कि गरीबों के बच्चे जो कि उचित मार्गदर्शन के अभाव में दुकानों में काम करने लगते हैं या घर पर फालतू पड़े रहते हैं । जिन्हें कोई जानकारी नहीं मिल पाती है और कुछ तो इधर उधर घूमते रहते हैं । उन सभी बच्चों को एकत्रित करके यदि उन्हें शिक्षा दिया जाए। उन्हें योगा सिखाया जाए,उन्हें बोलने की रहने की कला सिखाई जाए, शिक्षा के प्रति उनका झुकाव हो इस निमित्त प्रयास किया जाएं, तो निश्चित रूप से उन्हीं बच्चों से मिलकर एक सभ्य एवं सुसंस्कृत समाज का निर्माण होगा । क्योंकि यही बच्चे अपना एक शैक्षणिक समाज बनाएंगे ।                      यदि इन बच्चों को शिक्षा की प्राप्ति हो जाती है तो आने वाले भविष्य में यह बच्चे शिक्षा के हुनर से कहीं भी ऑफिशियल वर्क कर के प्रतिष्ठित ढंग से धनोपार्जन कर सकते हैं । अतः बचपन पढ़ाओ आंदोलन शैक्षणिक जागृति के माध्यम से सामा

राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद......

*राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद विवाद निश्चित रुप से इतिहास की एक चूक हैं। हमारे पूर्वजों  के आपसी भाईचारा पर एक कलंक है। इस तरह का विवाद कदापि नहीं होनी चाहिए खास तौर से एक ही देश के रहने वाले लोगों बीच में । निश्चित रुप से अंग्रेजों के लिए धार्मिक व मजहबी मुद्दे घी के लड्डू की तरह था। जिसे वे विभिन्न अवसरों पर उपयोग करके, हिंदू-मुस्लिम को लड़ाकर अपनी शासन की नींव मजबूर करते थे*               *वर्तमान परिवेश में हिंदू मुस्लिम की जनसंख्या अपने विस्फोटक रूप में हैं एवं समाज शिक्षित होते हुए भी व्यक्ति धार्मिक ग्रुप से इतना ज्यादा इमोशनल है कि वह अपने इस इमोशन का सदुपयोग नहीं कर पा रहा है। जिससे धार्मिक व मजहबी विवाद के रूप में दंगे फसाद सामने आ रहे हैं। जिसका एक सभ्य एवं शिक्षित समाज में कोई स्थान नहीं हैं।*                *बहुत सारे लोग मंदिर-मस्जिद पर बहुत सारे टिप्पणी देते हैं । लेकिन मेरा व्यक्तिगत मत कहता है कि इंसान को धार्मिक मान्यताओं के साथ साथ आर्थिक पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए। राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद विवाद से संदर्भ में हम आर्थिक मुल्यों को ध्यान दें तो यह फायदे का सौदा ह

Who is Supiya Bharti.....???

Read the ............ Junior Mother Teresa from the book of NAKUL KUMAR "The Story of Supriya Bharati 📝 familiar Dumariya is a small village in Belhar Panchayat in Banka district of Bihar. If Bihar is a village, then imaging more for it is ineffective in itself. But there can not be any social worker or scholar even in the absence of that village. Supriya Bharti, who came out from the middle of such a lack, 📝 Bachpan📝 From childhood, Supriya Bharati was fond of reading and teaching. But the mind of the mind remained subdued in the mind itself. This passion of study inspired him to take the ISC and after 10th, he started to study Jamui in the daughter-in-law's daughter-in-law for further studies. During the registration of Jamui Women's College, she met a girl who told Supriya Bharti about things that her maternal uncle teaches children free education in her village and working on free educational awareness in her area. So much heard that Supriya Bharti's curiosity w

सावित्रीबाई फुले जयंति........

👉 3 जनवरी, सावित्रीबाई फुले जयंती          जो सरस्वती को तो जानते है लेकिन सावित्री बाई फूले को नही जानते कृपया ये पूरा पढ़े...       नाम– सावित्रीबाई फूले जन्म– 3 जनवरी सन् 1831 मृत्यु– 10 मार्च सन् 1897 👉 उपलब्धि कर्मठ समाजसेवी जिन्होंने समाज के पिछड़े वर्ग खासतौर पर महिलाओं के लिए अनेक कल्याणकारी काम किये, उन्हें उनकी मराठी कविताओं के लिए भी जाना जाता है। 👉 जन्म व विवाह सावित्रीबाई फूले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगाँव नामक स्थान पर 3 जनवरी सन् 1831 को हुआ। उनके पिता का नाम खण्डोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। सन् 1840 में मात्र नौ वर्ष की आयु में ही उनका विवाह बारह वर्ष के ज्योतिबा फूले से हुआ। महात्मा ज्योतिबा फूले स्वयं एक महान विचारक, कार्यकर्ता, समाज सुधारक, लेखक, दार्शनिक, संपादक और क्रांतिकारी थे। 📝 सावित्रीबाई पढ़ी-लिखी नहीं थीं। शादी के बाद ज्योतिबा ने ही उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाया। बाद में सावित्रीबाई ने ही पिछड़े समाज की ही नहीं, बल्कि देश की प्रथम शिक्षिका होने का गौरव प्राप्त किया। उस समय लड़कियों की दशा अत्यंत दयनीय थी और उन्हें पढ़ने लिखने की अनुमति तक न