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Showing posts from January 12, 2018

"शुजा ख़ावर" की याद में

"शुजा ख़ावर" की याद में 19 जनवरी को " हम-क़लम की तरही शेअरी निशस्त (काव्य गोष्ठी) शुजाउद्दीन साजिद उर्फ शुजा ख़ावर जदीद उर्दू शायरी का एक अहम नाम है।उनका जन्म 24 दिसंबर 1948 को हुआ और 19 जनवर...

धुमधाम से मनाई गयी स्वामी विवेकानंद की जयंती

विवेकानंद की जिवनी से युवाओ को प्रेरणा लेने की जरूरत: डॉ. गोपाल नकुल कुमार/मोतिहारी 8083686563 मोतिहारी शहर के स्थानीय अगरवा माई स्थान के नजदीक स्थित गौतम बुद्ध दर्द उपचार क्लिनिक...

श्रद्धांजलि

आज दिनांक 12-01-2018 को साथी ध्रुव त्रिवेदी के अध्यक्षता में जनवादी लेखक संघ की बैठक बजाजपट्टटी, मोतिहारी संपन्न हुई। जिसमे जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष, हिंदी के समीक्षक एवं आलोचक ...

लोहड़ी पर्व... पढ़िए मुस्लिम योद्धा दुल्ला भट्टीवाले की कहानी

लोहड़ी पर्व को हर वर्ष 13 जनवरी को पंजाब में  मनाया जाता है। यह पश्चिम भारत का प्रसिद्ध त्योहार है ।सरहद के दोनों तरफ असीम उत्साह के साथ लोग इसे मनाते हैं । देश बट गया ,धर्म बदल गया, सरहद भी बंद कर दिया जाता है किंतु नव वर्ष का यह पर्व देश, जाति, धर्म की सीमाओं को लांघते हुए दोनों ओर मनाया जाता है । इस दिन दुल्ला भट्टीवाले का गीत अलाव जलाकर ढोल की थाप देते हुए लोग गाते हैं । "सुंदर मंदिर गई ऐ, सुंदर मंदिर गई ऐ। तेरा कौन विचारा ऐ, दुल्ला भट्टीवाला ऐ। दुल्ले दही बवा़ई ए , झोली शकरपाई ए। दुल्ला भट्टीवाला ऐ।।"                  पंजाब में अशांति और विद्रोह के चलते फतेहपुर सीकरी से सम्राट अकबर अपनी राजधानी लाहौर लाए थे । उनके कारिंदे सुंदर नाम की लड़की को उठा लेना चाहते थे । अब्दुल्ला खां उर्फ़ दुल्ला जो मुस्लिम राजपूत थे। उसे सुरक्षा प्रदान किए,उसकी शादी कराई और इसप्रकार पहले से चली आ रही परंपरा में इस लोकख्यात वीर शहीद का नाम भी अविभाज्य रूप से जुड़ गया । 📝आखिर कौन थे दुल्ला भट्टी वाला...📝 दुल्ला भट्टी वाला...

📖 बचपन पढ़ाओं आन्दोलन 📖

                     बंजरिया पंचायत के सिंघिया सागर गांव में "बचपन पढ़ाओ आंदोलन" सबके लिए निशुल्क शिक्षा के नए बैच(बच्चा बैच) की शुरुआत 24 फरवरी से होने जा रही है ।                    इस अभियान को शुरुआत करते हुए "नकुल कुमार" का कहना है कि गरीबों के बच्चे जो कि उचित मार्गदर्शन के अभाव में दुकानों में काम करने लगते हैं या घर पर फालतू पड़े रहते हैं । जिन्हें कोई जानकारी नहीं मिल पाती है और कुछ तो इधर उधर घूमते रहते हैं । उन सभी बच्चों को एकत्रित करके यदि उन्हें शिक्षा दिया जाए। उन्हें योगा सिखाया जाए,उन्हें बोलने की रहने की कला सिखाई जाए, शिक्षा के प्रति उनका झुकाव हो इस निमित्त प्रयास किया जाएं, तो निश्चित रूप से उन्हीं बच्चों से मिलकर एक सभ्य एवं सुसंस्कृत समाज का निर्माण होगा । क्योंकि यही बच्चे अपना एक शैक्षणिक समाज बनाएंगे ।                    ...