इस तस्वीर को देखिए और विचलित होइए...अगर हो सकते है तो. ये मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड के शीतलपट्टी गांव का अर्जुन हैं. अब इस दुनिया में नहीं है. बाढ की पानी में मां की गोद से गिर कर बह गया. मछुआरों ने लाश निकाली. मैं इस तस्वीर को अपने डेस्क़टॉप पर संभाल कर रखूंगा. आप भी रखिए. इसलिए...कि जब हमारा चन्द्रयान चान्द को छूने जाएगा तो मैं ये तस्वीर निकाल कर उस यान में रख दूंगा. भगवान आसमान में रहते हैं न. ये तस्वीर जा कर पूछेगी भगवान से, मेरा कसूर क्या था? यही कि मैं गरीब का बेटा था. यही कि मैं सर्वाइवल ऑफ द फिट्टेस्ट थ्योरी पर खरा नहीं उतरता था. तो क्या मैं मार दिया जाऊंगा? मुझे जीने का हक नहीं है? अर्जुन मरा नहीं. उसे मारा गया है. दोषी कौन है? मैं जानता हूं. लेकिन, मैं कुछ नहीं कर सकता. मैं अकेला कर भी क्या सकता हूं. सिवाए, इसके कि दोषियों के खिलाफ मेरे दिल से सिर्फ बद्दुआ निकले. उनकी बर्बादी की बद्दुआ. ये बद्दुआ कि तबाह हो जाए तुम्हारी अट्टालिकाएं. बर्बाद हो जाए तुम्हारा साम्राज्य. टूट जाए तुम्हारे सुरक्षा की चारदिवारी, जो गरीबों की आंसुओं से तुमको बचाती है. इस तस्वीर को तब-तब निकालूं
क्योंकि सच एक मुद्दा हैं