मोतिहारी /नकुल कुमार आजादी के बाद 70 बरस...40 हजार कुर्बानियाँ... हमने इस दिन के लिए कतई नहीं दी है कि हम कश्मीरी बहनों पर अनर्गल फब्तियां कसें। क्योंकि हम हिंदुस्तानी हैं पाकिस्तानी आर्मी के भगोड़े, लुटेरे कबायली नहीं.....अब आगे.... दुनिया के कई देशों में गिरोह वाली सत्ता चलती रही है जिसमें कबीले एवं उसके सरदार की कहानियां हमें ज्यादा सुनने को मिलती है खासतौर से अरब जगत का इतिहास खंगाला जाए तो यह सारी चीजें ज्यादा है। जहां हर कबीले का एक सरदार होता है सरदार के एक इशारे पर कबीले के लोग मर मिटने को तैयार रहते हैं। और वह सरदार ही कबीले की सुरक्षा,भोजन-पानी, दिशा, ज्ञान विज्ञान आदि का मार्गदर्शक एवं व्यवस्थापक होता है। यहां कबीलों के बीच भी प्रतिस्पर्धा होती है एवं उस प्रतिस्पर्धा का मूल धन क्षेत्र एवं स्त्रियां होती हैं एक कबीला दूसरे कबीले पर हमला सिर्फ इसलिए करता है ताकि वह उसके आर्थिक संसाधन एवं सुंदर स्त्रियों को प्राप्त कर सकें, इतिहास के बहुतेरे पन्नों में आप ने इन सभी बातों को पढ़ा होगा। लेकिन जब भारत और पाकिस्तान के संदर्भ में इसकी विवेचना की जाए तो
क्योंकि सच एक मुद्दा हैं