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Showing posts from December 30, 2017

.........अच्छा है।

बस  तनहाई में कुछ लिख लेता हूं...📝,कुछ गा लेता हूं...🎤 कुछ गुनगुना लेता हूं... जाने क्यों जमाना मुझे आशिक समझता है... प्यास बुझाए जो अधजल गगरी नकुल की, तेरी भरी गगरी से मेरी अधजल गगरी अच्छा है। दिल ये मेरा, गुस्ताखियाँ करता है बार-बार, मिलकर समझाना इसे, अभी यह बच्चा हैं। मुझे दिखाने के लिए तुम जो "फेयर & लवली" लगाते हो, सच कहूं तो तुम्हारा कालापन, फेयर & लवली के गोरेपन से अच्छा है👯 तुम जो बार बार मेसेंजर देखकर ऑफलाइन हो जाते हो , मेरे मैसेज के लिए तुम्हारा यूं बेचैन रहना अच्छा हैं। तुम्हें रूठने और मुझे मनाने🙏 की आदत है, फिर तो तुम्हारा रूठना💔 ही अच्छा है। तुम जो रूठकर दूर-दूर रहते हो मुझसे, ये दूरी नजदिकियों से अच्छा है। कवि: नकुल कुमार