कभी सोचा न था, ऐसा दिन भी आएगा। लड़के गे और बेटियों संग बलात्कार, किया जाएगा । भाउकता बेची जाएगी, मूर्ख प्रेरक बन जाएगा । उत्तेजना चरम छू जाएगी, समाजिकता धरी रह जाएगी । नाजुक तन परोसा जाएगा , कपड़ा, तन चढ़ने को तरस जाएगा । बेटी अपनी हो जाएगी, घर-घर बहू जलाई जाएगी । मर्द नपुंसक हो जाएगा और , कम्प्यूटर बच्चा जनाएगा । तब राह गुजरती महिला को, घूर-घूर कर देखा जाएगा । तब लाल किले की प्राचीर से , एक मर्द दहाड़ लगाएगा । बेटी बचाओ का नारा , जोर शोर से लगाएगा । तब शर्मिन्दा होगा यह देश , जब घर-घर शौचालय हो , का आग्रह कर जाएगा । धन्यवाद।।
क्योंकि सच एक मुद्दा हैं