नकुल कुमार/मोतिहारी 10.04.2017 आज गांधी रोते होंगे, देखकर; आत्मदाह करते किसानों को, डिग्री लेकर घुमते जवानों को।। चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष पर पूरे भारत में खासतौर से बिहार में जिस तरह से जगह-जगह शताब्दी वर्ष कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं एवं उस पर हजारों लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। सरकार चाहती तो वास्तविक सत्याग्रह किसानों की कर्ज माफी करके मनाती, सरकार चाहती तो वास्तविक सत्याग्रह चीनी मिल कर किसानों के बकाया वापस करके या वापस करवाकर बनाती लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि हमें दिखाने की ज्यादा और वास्तविक रुप में जमीन पर काम करने की कम आदत है आज गांधी की आत्मा बिलख-बिलखकर रोती होगी जब उन्होंने अपने बकाए के लिए किसानों को आत्मदाह करते देखा होगा आज मोतिहारी की भूमि क्रंदन कर रही है क्योंकि इसी भूमि ने ऐसे रणबांकुरे पैदा किए जिन्होंने गांधी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर वास्तविक सत्याग्रह का अंजाम दिया था और किसानों की समस्याएं दूर हुई थी अंतर इतना था कि उस समय अंग्रेजी शासन व्यवस्था थी और आज हमारी देसी शासन व्यवस्था है हमारा अपना संविधान है जो हमें सबसे ब
क्योंकि सच एक मुद्दा हैं