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परिश्रम और मजदूरी

NTC CLUB MEDIA/धार्मिक ज्ञान परिश्रम और मजदूरी: श्रीरामा भाई परिश्रम दो प्रकार का होता है- शारीरिक और मानसिक। कई लोग कुदाली-फावड़े चलाकर शारीरिक परिश्रम करते हैं तो कई विचारों को दौड़ाकर मानसिक परिश्रम करते हैं। ज्ञानी दोनों परिश्रम छोड़कर स्वरूप मैं बैठे हैं, इसीलिए वे दोनों के गुरु हैं। स्थूल परिश्रम छोड़कर जितने सूक्ष्म बनोगे, सामर्थ्य उतना ही ज्यादा आयेगा। पटरियों पर दौड़ती रेलगाड़ी को इंजन खींच ले जाता है, क्योंकि डिब्बों की अपेक्षा इंजन में ज्यादा सूक्ष्मता है। इंजन पर भी ड्राइवर के हाथ का नियंत्रण है। हाथ पर नियंत्रण है ड्राइवर के मन का। मन में गाड़ी को चलाने का संकल्प हो हाथ को इंजन चलाने का आदेश मिल जाता है और रोकने का संकल्प करे तो हाथ ब्रेक पर पहुँच जाता है। इस प्रकार ड्राइवर का मन गाड़ी के डिब्बों, इंजन और उसके शरीर से भी सूक्ष्म है, इसीलिए वह इन सब पर राज्य करता है। इस मन से भी सूक्ष्म है बुद्धि और बुद्धि से भी सूक्ष्म है आत्मा। आत्मा की सत्ता से ही मन में स्फुरणा होती है और मन पुनः आत्मा में लीन होता है। इससे सबसे ज्यादा सामर्थ्यवान है आत्मा। यह आत्मा कहीं दूर नहीं है वरन...