मेरे गुरु जी, मार्गदर्शक, संस्कृत के मनीषी, शिक्षा व संस्कृति के प्रतिबिंब, विचारों के सागर, संरचनात्मक शक्तियों के उत्सर्जक, परम् आदरणीय #डॉ_दीनबंधु_तिवारी जी के विषय में कुछ भी लिखना सूरज को दीपक दिखाने जैसा है, समुंदर के अंतर में छुपे खजाने को बताने जैसा है। लेकिन फिर भी उनके प्रति मेरे मन में जो अटूट श्रद्धा, विश्वास एवं प्रेम है इसी के वश होकर आज मैं आपका फोटो डालने का साहस जुटा पाया हूं। निश्चित रूप से मेरा बचपन आपके मार्गदर्शन में प्रस्फुटित हुआ, बढ़ा एवं सामाजिक सरोकार के रूप में आज चरणबद्ध तरीके से विकसित हो रहा है। मेरे मन में विचारों की जो क्रांति है, शब्दों का जो संसार है उसमें काफी हद तक आपके प्यार और स्नेह की परछाई है। साहित्य के प्रति मेरे मन में जो प्रेम है। उसका प्रस्फुटन #विद्या_निकेतन के साहित्यिक वातावरण में आप श्रीमान के श्रेष्ठ मार्गदर्शन का ही प्रतिफल है। आपके विचारों में जो समत्व भाव है, जो सारगर्भिक्ता ह
क्योंकि सच एक मुद्दा हैं