Skip to main content

Posts

Showing posts from July 4, 2018

बेतिया मैनाटांड़ रोड में कुरान घर एकेडमी के पास सड़क में पड़ी दरार

बेतिया: शबा अख्तर पुरानी सड़क का टूटना पच सकता है किंतु नई सड़क में दरार कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है । जिसे जबरदस्ती नहीं पचाया जा सकता हैं। घटना बेतिया मैनाटार रोड़ की है । जहां कुरान घर एकेडमी के पास एक पुल का निर्माण हुआ है और उससे लगी सड़क में दरार पड़नी शुरू हो गई है यहां तक कि पुल के पास बहुत सारा हिस्सा टूटकर गिर गया है  जो किसी भी वक्त हादसे का कारण बन सकता है। राहगीरों का कहना है कि यह रोड अभी-अभी बनकर तैयार हुआ है किंतु मानसून की पहली बारिश में ही इस में दरार पड़ने लगी है। सड़क  के किनारे का हिस्सा  मेन सड़क से टूटकर अलग होने लगा है साथ ही साथ पुल के पास बहुत सारा ही से टूट कर गिर गया है इससे किसी वक्त बड़ी दुर्घटना हो सकती है ।  वीडियो देखने के लिए इस लिंक पर जाइए https://youtu.be/tXflCy0C1Tc सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि इंजीनियर ने मिटटी भराई की जांच सही ढंग से की तो फिर सड़क में दरार कैसे पड़ गई कहीं ना कहीं इसके निर्माण में लापरवाही बरती गई है जिसका खामियाजा वहां के लोगों को भुगतना पड़ रहा है । अब प्रश्न उठता है कि प्रशासन के कान में जूं कब रें गता है और कब इ

प्रिय....यूं न बेकरार करो..........👨‍❤‍💋‍👨👩‍❤‍💋‍👩💑.👄🌷.🌷.🌷🌷

बड़ी तनहाई में यह रात गुजरती है अब रात में ही मिलने को जी चाहता है।। इस मोहब्बत का न निकले कभी भी जनाजा, तेरे संग जीने मरने को जी चाहता है।। यह नयन कजरे की धार चाहता है , यह धड़कन गजरे की मार चाहता है ।। तुम बिन हर वक्त उल्फत में बिताई है हमने , अब यह तन मन तुम्हारा प्यार चाहता है।। जब तुम जुदा जुदा से रहते थे, मुझसे कुछ नहीं कहते थे।। बेकरार हमारी रातें थी, तुम मैसेंजर पर भी नहीं आती थी।। हम तड़प तड़प कर जीते थे, घूंट जहर का पीते थे।। इस रात को ना बेकरार करो, आओ मुझसे प्यार करो।। 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 कवि व पत्रकार :- नकुल कुमार 📞8083686563 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 During shooting... Aditya Gupta with costar 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 contact for advertisment and more Nakul Kumar 8083686563 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 Actor: Aditya Gupta 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴

प्यार से

कुछ न पाओगे तलवार से जीत लो  तुम हमे प्यार से लग रहा था कि बीमार हूँ मिल  गया  चैन दीदार से तुम  न  इतना ,पराया करो जो लगे,ले लो अधिकार से खेल  चलता  रहे  उम्र  भर जीत  से  तो  कभी  हार से जिंदगी अब लगे बोझ सी यार अपनो के व्यव्हार से     श्रीमती रजनी टाटस्कर             भोपाल (म.प्र.)

मदरसों में लागू होगा ड्रेस कोड, बच्चे नहीं पहनेंगे कुर्ता पायजामा

                                    मदरसों के आधुनिकीकरण की राह में प्रदेश सरकार जल्द ही एक कदम और उठाने जा रही है। मदरसों में इल्म हासिल करने वाले छात्रों के लिए सरकार ड्रेस कोड लागू करने जा रही है। अब छात्र कुर्ता-पायजामा पहन कर मदरसे में पढ़ने के लिए नहीं जा सकेंगे। वक्फ राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि इसको लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसे जल्द ही लागू करने का प्रयास किया जाएगा। वहीं, वक्फ मंत्री के बयान को लेकर उलमा ने अपनी नाराजगी भी जाहिर करना शुरू कर दी है। सरोजनीनगर स्थित अली मियां नदवी मेमोरियल हज हाउस में हज यात्रियों के टीकाकरण व प्रशिक्षण कार्यक्रम में मंगलवार को हज राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि मदरसे के छात्र कुर्ता-पायजमा पहन कर पढ़ने नहीं जा सकेंगे। प्रदेश भर के मदरसों में ड्रेस कोड लागू करने की तैयारी की जा रही है। मोहसिन रजा ने कहा कि कुर्ता-पायजामे की जगह मदरसा छात्र क्या पहन कर आएंगे, यह अभी तय नहीं है। इस पर बैठकर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह स्कूली छात्र-छात्राएं यूनिफॉर्म पहनकर आते हैं, वैसे ही मदरसा छात्रों की यूनिफार्म निर्धारित की जाएगी

जुड़िए हमारे ब्लॉग से और बढ़ाइए अपने न्यूज़ का दायरा

दीपक...... विजय नारायण अग्रवाल भ्रमर .

दोहा:--- अक्सर बुझता तेल बिन,                दीपक अपने आप। फिर भी कारण भौतिकी,                वायु को दे संताप।। मुक्तक:-- 1 दीप कणिका कह रही थी,                सुन बटोही ध्यान से, धर्म का बैभव सदा सोता,                      कहॉं सम्मान से, वो 'भ्रमर' चाहे अगर तो,             रस जलधि में ढूब कर, देख ले मन की दशा,             क्यूँ दूर है कल्यान से।। 2 धर्म तो धर्मान्ध है पर ,             मन का वो काला नही, बढ़ गये हों यदि कदम ,               तो रोकने वाला नही, वो 'भ्रमर' स्नेह का प्यासा,                   दिखे तो सोंच लो, मर्म की मोहक किरन को,                शोधने वाला नही।। 'भ्रमर 'रायबरेली 4जुलाई 18

ब्रम्हचर्य

ब्रह्मचर्य का रहस्य एक बार ऋषि दयानंद से किसी ने पूछाः "आपको कामदेव सताता है या नहीं ?" उन्होंने उत्तर दियाः "हाँ वह आता है, परन्तु उसे मेरे मकान के बाहर ही खड़े रहना पड़ता है क्योंकि वह मुझे कभी खाली ही नहीं पाता।" ऋषि दयानंद कार्य में इतने व्यस्त रहते थे कि उन्हें सामान्य बातों के लिए फुर्सत ही नहीं थी। यही उनके ब्रह्मचर्य का रहस्य था। हे युवानों ! अपने जीवन का एक क्षण भी व्यर्थ न गँवाओ। स्वयं को किसी-न-किसी दिव्य सत्प्रवृत्ति में संलग्न रखो। व्यस्त रहने की आदत डालो। खाली दिमाग शैतान का घर। निठल्ले व्यक्ति को ही विकार अधिक सताते हैं। आप अपने विचारों को पवित्र, सात्त्विक व उच्च बनाओ। विचारों की उच्चता बढ़ाकर आप अपनी आंतरिक दशा को परिवर्तित कर सकते हो। उच्च व सात्त्विक विचारों के रहते हुए राजसी व हलके विचारों व कर्मों की दाल नहीं गलेगी। सात्त्विक व पवित्र विचार ही ब्रह्मचर्य का आधार है।

भाग 4 WhatsApp नहीं लगाया अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश

                                                                        . 📝संविधानिक स्वतंत्रता:-📝 ....................................... आईए अब हम आपको बताते हैं भारतीय संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विषय में क्या कहा गया...? भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1 )(क ) के अंतर्गत प्रत्येक भारतीय नागरिक को वाणी एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार के रूप में प्राप्त है वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ है शब्दों लेखों मुद्रण चिन्हों या किसी अन्य प्रकार से अपने विचारों को व्यक्त करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में किसी व्यक्ति के विचारों को किसी ऐसे मामले से अभिव्यक्ति करना सम्मिलित है जिससे वह दूसरों तक उसे संप्रेषित कर सके इस प्रकार इसमें संकेत तो अंकुरण हो या ऐसे ही अन्य क्रियाओं द्वारा किसी व्यक्ति के विचारों की अभिव्यक्ति सम्मिलित है। जानकारों का कहना है कि WhatsApp ने ऐसे ऑप्शन लाकर कहीं ना कहीं WhatsApp ग्रुप के लोकतंत्र को खत्म कर दिया है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया है क्योंकि जहां सिर्फ एडमिन को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता रहे एवं अन्य लोग केवल एड

भाग 3 WhatsApp ने लगाया अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश

WhatsApp सेटिंग की दूसरे ऑप्शन में सेंड मैसेजेस ऑप्शन आएगा आइए जानते हैं यह सेंड मैसेज ऑप्शन में आखिर क्या क्या है... ...??? (II) Send Messages:- सेंड मैसेजेस में भी दो ऑप्शन है पहला (a)All Participants:- इस ऑप्शन को  चुनने का मतलब है  ग्रुप के सभी सदस्य ग्रुप में  मैसेज कर सकेंगे  अर्थात अपने मनमुताबिक गुड मॉर्निंग गुड इवनिंग या कोई भी अपना मैसेज ग्रुप में डाल सकेंगे इस की स्वतंत्रता प्रदान की गई थी जो कि एक लोकतांत्रिक तरीका है डेमोक्रेटिक तरीका है                               किंतु  WhatsApp ने सेटिंग में जो दूसरा परिवर्तन किया है  वह किसी भी तरह से लोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इसमें अभिव्यक्ति की आजादी चीनी गई है  आइए बताते हैं वह दूसरा ऑप्शन  क्या है। (b) Only Admins:- जी हां ओन्ली एडमिन ही सेटिंग का ऑप्शन है जो किसी भी ग्रुप को अलोकतांत्रिक बनाता है हां इसमें सुविधा है कि मैसेज को एडमिन अपनी तरीका से नियंत्रित कर सकता है लेकिन जूही एडमिन इस ऑप्शन को चुनेगा उसी क्षण ग्रुप के अन्य लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीन जाएगी मतलब संविधान में आर्टिकल 19 (1) का जो उल्लेख ह

चिंतन

---:चिंतन:---  ( सुधार) तृष्णा लिये मूढ़ता धार।        प्रभू मैं कैसे करूँ सुधार।। करम विमुख है ये तन अपना,       दोष  दिखत है जैसे सपना, फूट बैर की बोली बानी, बदला जग का शिष्टाचार---प्रभू किसे  सुनाऊँ  मंजुल  बातें,          राग - द्वेश में उलझी रातें, तुम  तो  बैठे नील गगन में, यहॉं पे ठसका लोकाचार---प्रभू भॉति भॉंति के फूल खिले हैं,      सबके अपने शिकवे गिले हैं, डाली करती कॉंटे लेकर,   अपनी मरजी से व्यवहार--प्रभू पूजा अर्चन मन नहिं लागे,          सत्कर्म में धन नहिं लागे, तन भी भागे सेवा धर्म से,   ऐसे  बदल  गये संस्कार---प्रभू तन भी शैया चढ़ के चलिहैं, धरम करम बढ़ बढ़ के बोलिहै, रिस्ता कौनौ साथ न जाई,    कपडा़ डोमौ लेई उतार---प्रभू मद ने अपना जाल फैलाया,         फँसी बिचारी उसमें दाया, ठाकुर बैठे मंदिर भीतर, बाहर मधुशाला गुलजार---प्रभू भाई ही भाई का भक्षक ,          दस्तक भी देता है रक्षक, दीपक नीचे घना अँधेरा,       मंत्री देखत हैं दरबार---प्रभू खेल-खेल में बचपन बीता,       बिषय भोग ने यौवन जीता, देख बुढा़पा आई रुलाई,      जब काया भई लाचार--प्रभू इक दिन काया मिट्टी हो जाई,   

हिलोर मेरे मन की : धर्मेन्द्र

कहाँ चले गए दोस्त! कहाँ चले गए दोस्त! बड़े होके तुम? मशगूल हो गए रोटी दाल की व्यवस्था में खेले, पढ़े, बढ़े उम्र के साथ साथ चले तुम बड़े हो गए... मेरा बचपना मेरे भीतर छोड़कर अपनी दिशा भागदौड़ की ज़िंदगी की ओर मोड़कर कहाँ चले गए दोस्त! तुम कहाँ चले गए? जीता हूँ ज़िंदगी को बड़ी जिंदादिली से, खोजता हूँ फिर भी... पाता भी हूँ लेकिन नहीं पाता हूँ तुम्हे वही, जब कि माया के सिवा है कुछ नहीं. अरे! अरे! अरे! वो माया नहीं जिसके तुम दीवाने थे. हम तो तब भी बेगाने थे अब भी बेगाने हैं तुम! तुम कहाँ चले गए दोस्त! : बस यूँ एक पन से दूसरे पन की व्यस्तता में खोयी कुछ यादों को समेट कर Jgd जयहिन्द सत्यमेव जयते Dharmendra KR Singh 📞7860501111 SAHWES Kanpur UP India