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Showing posts from March 25, 2017

Critic Poem By Nakul Kumar

मेरे पागलपन की चर्चा, सारे शहर में फैली है। पर इस पागलपन में भी, तुम्हें पहचानता हूं, यह ख़बर भी, सरेआम कर दो।। कुछ अफवाहें,जो तुमने फैलाई है, कुछ अपनी मिलाकर।चलो, अब उनका काम , त...