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Showing posts from March 25, 2017

Critic Poem By Nakul Kumar

मेरे पागलपन की चर्चा, सारे शहर में फैली है। पर इस पागलपन में भी, तुम्हें पहचानता हूं, यह ख़बर भी, सरेआम कर दो।। कुछ अफवाहें,जो तुमने फैलाई है, कुछ अपनी मिलाकर।चलो, अब उनका काम , तमाम कर दो।। मुझे मालूम न था, कोई मेरे पागलपन का, इतना मुरीद होगा। पहले अफवाहें फैलाएगा, और माफ़ी के बहाने, इतना करीब आएगा।। #नकुल_कुमार "आलोचक" मोतिहारी, पूर्वी चम्पारण बिहार #मो_08083686563 #मो_08789826276 #Nakul_Tuition_Center #Cashless_Education #बचपन_पढ़ाओ_आन्दोलन #Vision2020 #इक्कीसवीं_सदी_उज्जवल_भविष्य