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Showing posts from August 4, 2019

दर्शक और श्रोताओं को को पसंद आयेगी चटकार ओढ़िया वाली : निशा सिंह

पटना 04 अगस्त। भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री निशा सिंह का कहना है कि उनका नये अलबम के गीत चटकार ओढ़िया वाली लोगो को बेहद पसंद आयेगी।       निशा सिंह ने गोलु राजा के साथ नये अलबम के गीत चटकार ओढ़िया वाली की शूटिंग पूरी कर ली है। यह गाना वेब म्यूजिक पर रिलीज किया जायेगा। ऋषि राज के निर्देशन में बने इस गाने की कोरियोग्राफी राजा बाबू ने की है जबकि ड्रोन के माध्यम से इसकी शूटिंग पिंटू इशान ने की है। इस गीत की सिनेमेटोग्राफी राम बाबू ने की है।    निशा सिंह ने  बताया कि उनका यह गीत दर्शक और श्रोताओं को बेहद पसंद आने वाला है। इस गीत में किसी तरह की अश्लीलता नही परोसी नही गयी है लोग इसे बेहद पसंद करेगे।       निशा सिंह ने बताया कि भोजपुरी की अपनी भाषा और संस्कृति मिठास है और फिल्म इसी को ध्यान में रखकर बनायी जाती रही है लेकिन अब भोजपुरी सिनेमा पर बाजारवाद हावी हो गया है। फिल्मकार फिल्मों में अश्लीलता परोस रहे हैं। मुझे इस तरह की फिल्मों में काम करना मंजूर नही। भोजपुरी बोली ख़ास कर इसकी मिठास बेहद पसंद है।उन्होंने बताया कि हाल ही में उनकी काशी विश्वनाथ और जय-वीरू प्रदर्शित हुयी है। वह इन दिनों

मृदुल शरण और ब्रजेश वर्मा बनें राष्ट्रीय ब्रजवासी महिला सुरक्षा ट्रस्टI के संरक्षक

पटना 03 अगस्त महिला सशक्तीकरण को बढावा देने की दिशा में काम कर रही स्वंय सेवी संगठन (एनजीओ) राष्ट्रीय ब्रजवासी महिला सुरक्षा ट्रस्ट  ने फिल्म अभिनेता-लेखक मृदुल शरण और समाजसेवी ब्रजेश वर्मा को राष्ट्रीय संरक्षक बनाया है।         राष्ट्रीय ब्रजवासी महिला सुरक्षा ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष गिरीश चौधरी ने मृदुल शरण एवं श्री ब्रजेश वर्मा को राष्ट्रीय संरक्षक के पद पर नियुक्त किया है।श्री चौधरी ने खुशी जाहिर करते हुये कहा कि श्री मृदुल शरण और ब्रजेश वर्मा ने सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किये हैं। वह हमेशा खासकर महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम करते रहे हैं। हमें श्री शरण और श्री वर्मा को ट्रस्ट का संरक्षक बनाकर खुशी मिल रही है।         श्री मृदुल शरण ने कहा कि  राष्ट्रीय ब्रजवासी महिला सुरक्षा ट्रस्ट के साथ जुड़कर काफी खुशी महसूस हो रही है। मैं इसके लिये श्री गिरीश चौधरी का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा कि उन्होंने मुझे यह जिम्मेवारी सौंपी है।यह ऐसा ट्रस्ट है जो महिलाओं की सोच का दायरा बढ़ाएगी और एक सामाजिक वातावरण में महिलाओं को बढ़ने की सुविधा प्रदान करेगी।ट्रस्ट का उद्देश्य मह

जनजागृति और कानून के जरिये खत्‍म होगी भोजपुरी से अश्‍लीलता : विनय बिहारी

भोजपुरी में अश्‍लील गानों के खिलाफ भोजपुरिया सेना ने शुरू की   मुहिम पटना। भोजपुरी सिनेमा और अलबमों को अश्‍लीलतामुक्‍त करने के लिए भोजपुरिया सेना ने एक मुहीम की शुरूआत आज राजधानी पटना स्थित यूथ हॉस्‍टल में एक संवाददाता सम्‍मेलन के जरिये की है। इस मौके पर गीतकार और भाजपा विधायक विनय बिहारी ने कहा कि भोजपुरी में अश्‍लीलता के लिए कोई एक आदमी जिम्‍मेवार नहीं है। इसलिए इसे समाप्‍त करने के लिए समाज से लेकर गीतकार, म्‍यूजिक कंपनी और सरकार को पहल करनी होगी।  विनय बिहारी ने कहा कि भोजपुरी से अश्‍लीलता जनजागृति और कठोर कानून के जरिये ही खत्‍म हो सकता है। इसकी शुरूआत कुछ बड़े स्‍टार जो आज भी अश्‍लील गाने गा रहे हैं, उनको दो महीने की जेल डाल कर किया जाना चाहिए। उसके बाद एक सकारात्‍मक संदेश जायेगा और लोग भोजपुरी में अश्‍लीलता फैलाने से डरेंगे। उन्‍होंने कहा कि आज मैथिली में अश्‍लीलता नहीं है, क्‍योंकि वहां का समाज जागरूक है। इसलिए भोजपुरी में भी समाज को जागरूक होना पड़ेगा। उन्‍होंने बताया कि बिहार के मुख्‍यमंत्री अश्‍लीलता को लेकर गंभीर हैं और आने वाले विधान सभा सत्र में इस पर बिहार

व्यक्ति विशेष में पढ़िए मोतिहारी के लाल रामनिवास सिंह की कहानी जिन्होंने 100 रुपया से एक करोड़ की कंपनी बना डाली...

मोतिहारी /नकुल कुमार  मोतिहारी। "कौन कहता है आसमान में सुराग नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो" .......उपरोक्त पंक्तियों को चंपारण के गरीब किसान के बेटे रामनिवास सिंह ने अपनी कड़ी मेहनत एवं बौद्धिक कौशल के बल पर 1 करोड़ से ज्यादा के टर्नओवर की कंपनी बनाकर साबित कर दिया है। कौन है रामनिवास सिंह:- रामनिवास सिंह पूर्वी चंपारण जिले के पताही थाना क्षेत्र के रतनसायर गांव के किसान आनंद किशोर सिंह के पुत्र हैं। चार भाई-बहनों में सबसे छोटे रामनिवास सिंह शुरू से ही पिता के साथ साथ माता एवं भाई बहनों के दुलारे रहे हैं किंतु परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी ना होने के कारण पिता को उनसे जीविकोपार्जन के सिवा कुछ खास उम्मीद नहीं थी जिस कारण उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव की स्कूल में संपन्न हुई। मुंबई की यात्रा, संघर्ष एवं जीवन का टर्निंग प्वाइंट:- 2003 के आते-आते परिवार की माली स्थिति इतनी खराब हो गई कि मैट्रिक का फॉर्म भरने के लिए उनके पास ₹100 तक नहीं थे जिस कारण से वे करंट ईयर में मैट्रिक की परीक्षा देने से वंचित रह गए। उन्हीं दिनों उनके पिता आनंद किशोर सिंह न