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नए कश्मीर का सूत्रपात l डॉ. वेदप्रताप वैदिक l 12.08.2019

दिल्ली। दिल्ली के नेताओं और अफसरों को आशंका थी कि ईद के दिन कश्मीर में घमासान मचेगा। यह आशंका 14 और 15 अगस्त के लिए भी बनी हुई है लेकिन यह लेख लिखे जाने तक कश्मीर से कोई भी अप्रिय खबर नहीं आई है। मैं प्रायः टेलिविजन नहीं देख पाता हूं लेकिन आज घनघोर व्यस्तता के बावजूद दिन में चार-छह बार उसे देखा, क्योंकि मुझे भी शंका थी कि कश्मीर में कुछ भी हो सकता है, हालांकि तीन दिन पहले मैंने लिखा था कि हमारे कश्मीरी भाई-बहनों को यह ईद एतिहासिक शैली में मनानी चाहिए, क्योंकि 5 अगस्त को उनकी फर्जी हैसियत खत्म हुई है और अन्य भारतीयों की तरह उन्हें सच्ची आजादी मिली है। कश्मीर के आम लोग तो बहुत शालीन, सुसंस्कृत और शांतिप्रिय हैं लेकिन नेताओं और गुमराह आतंकियों की मजबूरी है कि वे लोगों को उकसाते हैं और हिंसा भड़काते हैं। लेकिन कितना गजब हुआ है कि आज पूरा कश्मीर खोल दिया गया है, हजारों लोग मस्जिदों में जाकर नमाज़ पढ़ रहे हैं और बाजारों में खरीदी कर रहे हैं किंतु कहीं से कोई तोड़-फोड़ या मार-पीट की खबर नहीं आई है, हो सकता है कि ऐसा प्रेस, फोन, टेलिविजन आदि पर लगे प्रतिबंधों के कारण हो रहा है। व

कश्मीरी बहनों पर घटिया कमेंट करने वाले भारतीय नहीं हो सकते: नकुल कुमार

मोतिहारी /नकुल कुमार            आजादी के बाद 70 बरस...40 हजार कुर्बानियाँ... हमने इस दिन के लिए कतई नहीं दी है कि हम कश्मीरी बहनों पर अनर्गल फब्तियां कसें। क्योंकि हम हिंदुस्तानी हैं पाकिस्तानी आर्मी के भगोड़े, लुटेरे कबायली नहीं.....अब आगे.... दुनिया के कई देशों में गिरोह वाली सत्ता चलती रही है जिसमें कबीले एवं उसके सरदार की कहानियां हमें ज्यादा सुनने को मिलती है खासतौर से अरब जगत का इतिहास खंगाला जाए तो यह सारी चीजें ज्यादा है। जहां हर कबीले का एक सरदार होता है सरदार के एक इशारे पर कबीले के लोग मर मिटने को तैयार रहते हैं। और वह सरदार ही कबीले की सुरक्षा,भोजन-पानी, दिशा, ज्ञान विज्ञान आदि का मार्गदर्शक एवं व्यवस्थापक होता है। यहां कबीलों के बीच भी प्रतिस्पर्धा होती है एवं उस प्रतिस्पर्धा का मूल धन क्षेत्र एवं स्त्रियां होती हैं एक कबीला दूसरे कबीले पर हमला सिर्फ इसलिए करता है ताकि वह उसके आर्थिक संसाधन एवं सुंदर स्त्रियों को प्राप्त कर सकें, इतिहास के बहुतेरे पन्नों में आप ने इन सभी बातों को पढ़ा होगा। लेकिन जब भारत और पाकिस्तान के संदर्भ में इसकी विवेचना की जाए तो

काश्मीर से धारा 370 हटाए जाने पर ABVP मोतिहारी ने शहर में निकाली बाइक रैली

सोमवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मोतिहारी ने भारत सरकार के उक्त निर्णय का किया जोरदार स्वागत विद्यार्थी परिषद के विभाग संगठन मंत्री दीपक मिश्रा ने बताया की जब जम्मू में भारत के तिरंगा का अपमान हो रहा था, तब विद्यार्थी परिषद के 10 हजार कार्यकर्ता सन 1990 ई. में जम्मू कश्मीर के लाल चौक पर जाकर तिरंगा फहरा कर यह नारा देकर आये की " जहां हुआ तिरंगा का अपमान वही करेगें हम तिरंगा का सम्मान "। और आज जब भारत सरकार इतना बड़ा कदम उठाई है  इससे उन सभी काश्मीरी पंडितों के आत्मा के साथ-साथ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को यह सच्चि श्रधांजली होगी। इस कार्यक्रम में अभाविप के दिव्यांशु मिश्रा, प्रियेश गौतम, उजाला कुमार, कौशर जहागिर, पंकज कुमार, अनुभव तिवारी, राजन सिह, प्रकाश तिवारी, शिवम सावर्ण, गोलु तिवारी, प्रताप झा,अमित विक्रम, ओमकार प्रसाद, जहान्वी शेखर सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे।