श्री योग वेदांत सेवा समिति मोतिहारी पूर्वी चंपारण बिहार के तत्वावधान में टाउन हॉल मोतिहारी के मैदान में मातृ पितृ पूजन दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्र...
शुरू से ही बसंत का महीना कवि और लेखकों की लेखनी का केंद्र बिंदु में रहा है। सभी ने अपने अपने अनुसार बसंत का जोरदार चित्रण किया है। किसी ने बसंत को प्रेम का महीना बताया है तो किसी ने पतझड़ का, तो किसी ने नए-नए पल्लव का ।। बसंत के महीने में खेतों में सरसों का पीलापन मानो धरती के हाथ पीले कर देने व मोहब्बत का सुखद एहसास दिलाता है। वही इस महीने में महाशिवरात्रि सरस्वती पूजा जैसे त्यौहार इसकी महत्ता को बढ़ाते हैं। किंतु कुछ वर्षों से देखने को मिला है कि पश्चिम जगत में वैलेंटाइन डे के नाम पर अश्लीलता अपने चरम को छू गई है। जहां मोहब्बत के नाम पर एक दूसरे के शरीर को प्राप्त करने के लिए काम आतुर जोड़ें कहीं कोई कसर नहीं छोड़ते । घर बेचकर प्रेमिका को खुश करते हैं,माता-पिता का दिल दुखा कर खुश करते हैं ।किंतु इस खुशी के मायने कुछ नहीं है ।। इन्हीं सभी चिंताओं से वाकिफ हुए अहमदाबाद साबरमती तट पर बसने वाले संत श्री आसाराम जी बापू ।।उन्होंने अपने साधकों के बीच संकल्प किया कि उनके सारे साधक 14 फरवरी को मातृ पितृ पूजन दिवस मनाएंगे और पूर...
आपको क्या लगता है BJP इतना मूर्ख है जो इस महंगाई की स्थिति में भी बार-बार पकौड़े जैसे शब्दों पर जोर देकर जनमानस को गुस्सा दिलाएगी......🤔 बीजेपी के पोस्टर ब्वॉय व स्टार प्र...
विवेकानंद की जिवनी से युवाओ को प्रेरणा लेने की जरूरत: डॉ. गोपाल नकुल कुमार/मोतिहारी 8083686563 मोतिहारी शहर के स्थानीय अगरवा माई स्थान के नजदीक स्थित गौतम बुद्ध दर्द उपचार क्लिनिक...
मोतिहारी/07-01-2018 मोतिहारी शहर के अगरवा माई स्थान मंदिर के नजदीक स्थित गौतम बुद्ध दर्द उपचार क्लिनिक मे रविवार को मुफ्त दर्द जांच शिविर का आयोजन किया गया। क्लिनिक के निदेशक दर्...
#मैं_आज़ाद_पांडेय_बोल_रहा_हूँ। अगर पूरा पढ़ लेंगें तो आप बहुत कुछ सोचने पर मजबूर जरूर हो जायेंगें। मैं आज़ाद पांडे बोल रहा हूँ। मेरे दो हाथों को काटने की कोशिश की गयी है। यूं तो म...
📝नकुल कुमार की कलम से ...........पढ़िए जूनियर मदर टेरेसा "सुप्रिया भारती की कहानी 📝परिचय📝 बिहार के बांका जिले के बेलहर पंचायत में एक छोटा सा गांव है डुमरिया । चुकि बिहार का गांव है तो उसके लिए ज्यादा इमेजिन करना अपने आप में बेमानी है। किंतु उस गांव से आभाव के बीच भी कोई समाजसेवी अथवा विद्वान ना निकले ऐसा हो ही नहीं सकता।। ऐसे ही अभाव के बीच से निकली सुप्रिया भारती। 📝बचपन📝 बचपन से ही सुप्रिया भारती को पढ़ने एवं पढ़ाने का शौक था। किंतु मन की बात मन में ही दब कर रह जाती थी। पढ़ाई का यही लगन उन्हें आईएससी करने के लिए प्रेरित किया और 10th के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए जमुई अपने बड़े पापा की बेटी के ससुराल में आकर करने लगी । जमुई विमेंस कॉलेज में रजिस्ट्रेशन के दौरान उसकी मुलाकात एक लड़की से हुई जिसने सुप्रिया भारती को बातों ही बातों में बताया कि उसके मामा जी अपने गांव में बच्चों को निशुल्क शिक्षा देते हैं एवं अपने क्षेत्र में निशुल्क शैक्षणिक जागृति पर कार्य कर रहे हैं । इतन...