श्री आशारामायण श्री आशारामायण पाठ (Shri Asharamayan Path) Shri Asharamayan Path गुरु चरण रज शीष धरि, हृदय रूप विचार । श्री आशारामायण कहौं, वेदांत को सार ।। धर्म कामार्थ मोक्ष दे, रोग शोक संहार । भजे जो भक्ति भाव से, शीघ्र हो बेड़ा पार । । भारत सिंधु नदी बखानी, नवाब जिले में गाँव बेराणी । रहते एक सेठ गुण खानि, नाम थाऊमल सिरुमलानी ।। आज्ञा में रहती मंगीबा, पतिपरायण नाम मंगीबा । चैत वद छः* उन्नीस चौरानवे, आसुमल अवतरित आँगने ।। माँ मन में उमड़ा सुख सागर, द्वार पै आया एक सौदागर । लाया एक अति सुंदर झूला, देख पिता मन हर्ष से फूला ।। सभी चकित ईश्वर की माया, उचित समय पर कैसे आया । ईश्वर की ये लीला भारी, बालक है कोई चमत्कारी ।। हरिॐ हरिॐ हरिॐ हरिॐ हरिॐ हरिॐ हरिॐ हरिॐ । संत सेवा औ’ श्रुति श्रवण, मात पिता उपकारी । धर्म पुरुष जन्मा कोई, पुण्यों का फल भारी || सूरत थी बालक की सलोनी, आते ही कर दी अनहोनी । समाज में थी मान्यता जैसी, प्रचलित एक कहावत ऐसी ।। तीन बहन के बाद जो आता, पुत्र वह त्रेखण कहलाता । होता अशुभ अमंगलकारी, दरिद्रता लाता है भारी ।। विपरीत किंतु दिया दिखायी, घर में जैसे लक्ष्मी आयी । तिरल...
क्योंकि सच एक मुद्दा हैं