बिटिया रात की रानी दिन की बहार होती है घर आँगन की गुलजार तो कभी मनुहार भी होती है दो कूल का जीवन इससे दीप्तिमान हो जाती है प्रेम पगे रिश्ते भी इसमें मधुर मुस्कान सजाती है कहीं जन्म लेती है और--- कहीं घरौंदा बसाती हैं सृष्टि को विस्तृत करने में ईश्वर का हाथ बटातीं हैं एक जगह "पगड़ी" सजातीं दूसरे "पगड़ी" बचाती है जीवन के आपाधापी में 'खुद' न जाने कहाँ खो जाती है।।" सभी बेटियों की समर्पित
क्योंकि सच एक मुद्दा हैं