कक्षाएं बदल गई, वक्त बदल गया। सभी बदल गए, तुम कब बदलोगें....? वक्त को टालें बगैर, कभी तुम भी बदल जाओ।। तुम्हे जो अच्छा लगता हैं , वह हमें भी पसंद हो ये कोई जरुरी नहीं। इंसान बनकर, इंसान बन जाएं हमसब ये जरूरी है। कितना अच्छा लगता था,जब तुम देखा करते थे। बड़ी बड़ी आंखों से जैसे मुझे ही निहारा करते थे ।। चश्मा उठाकर भी देखा करते थे,और जब मैं देखता तो चश्मा निकालकर साफ करने लगते थे। कितना सुहावना दिन था,कितना मनभावन दृश्य था । तुम भी देखा करते थे,हम भी देखा करते थे।। कागज के पन्ने पर जो मोहब्बत की लकीर तुमने खींची थी,हमारे लिए तो लक्ष्मण रेखा से कम न थी । एक तरफ तुम नजर मिलाया करते थे, दूसरी तरफ अपनों का डर दिखाया करते थे। मिस कॉल मारा करते थे और फोन नहीं उठाया करते थे कितना मनोरम दृश्य था और कितना मनभावन दिन था । तुम न पढ़ा करते थे और खूब पिटाई खाते थे। बहाने मार कर हमें भी पिटवाया करते थे । क्लास में जल्दी आया करते थे,खाली पड़े बेंच को देर तक निहारा करते थे । मुझे देख कर वक्त टाला करते थे और कभी-कभी बैग से चॉकलेट निकाला करते थे। हमें दिखा दिखा कर खाते और ना