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श्रद्धांजलि

आज दिनांक 12-01-2018 को साथी ध्रुव त्रिवेदी के अध्यक्षता में जनवादी लेखक संघ की बैठक बजाजपट्टटी, मोतिहारी संपन्न हुई। जिसमे जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष, हिंदी के समीक्षक एवं आलोचक साथी दूधनाथ की असामयिक मृत्यु पर दुख प्रकट किया गया। और उनको शोक श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उनके जनवादी लेखक के महान परंपरा को अनुसरण करने और उस को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया।

लोहड़ी पर्व... पढ़िए मुस्लिम योद्धा दुल्ला भट्टीवाले की कहानी

लोहड़ी पर्व को हर वर्ष 13 जनवरी को पंजाब में  मनाया जाता है। यह पश्चिम भारत का प्रसिद्ध त्योहार है ।सरहद के दोनों तरफ असीम उत्साह के साथ लोग इसे मनाते हैं । देश बट गया ,धर्म बदल गया, सरहद भी बंद कर दिया जाता है किंतु नव वर्ष का यह पर्व देश, जाति, धर्म की सीमाओं को लांघते हुए दोनों ओर मनाया जाता है । इस दिन दुल्ला भट्टीवाले का गीत अलाव जलाकर ढोल की थाप देते हुए लोग गाते हैं । "सुंदर मंदिर गई ऐ, सुंदर मंदिर गई ऐ। तेरा कौन विचारा ऐ, दुल्ला भट्टीवाला ऐ। दुल्ले दही बवा़ई ए , झोली शकरपाई ए। दुल्ला भट्टीवाला ऐ।।"                  पंजाब में अशांति और विद्रोह के चलते फतेहपुर सीकरी से सम्राट अकबर अपनी राजधानी लाहौर लाए थे । उनके कारिंदे सुंदर नाम की लड़की को उठा लेना चाहते थे । अब्दुल्ला खां उर्फ़ दुल्ला जो मुस्लिम राजपूत थे। उसे सुरक्षा प्रदान किए,उसकी शादी कराई और इसप्रकार पहले से चली आ रही परंपरा में इस लोकख्यात वीर शहीद का नाम भी अविभाज्य रूप से जुड़ गया । 📝आखिर कौन थे दुल्ला भट्टी वाला...📝 दुल्ला भट्टी वाला का मूल नाम अब्दुल्ला खान था यह मुस्लिम राजपूत थे क्योंकि वह पंजाब के ल

📖 बचपन पढ़ाओं आन्दोलन 📖

                     बंजरिया पंचायत के सिंघिया सागर गांव में "बचपन पढ़ाओ आंदोलन" सबके लिए निशुल्क शिक्षा के नए बैच(बच्चा बैच) की शुरुआत 24 फरवरी से होने जा रही है ।                    इस अभियान को शुरुआत करते हुए "नकुल कुमार" का कहना है कि गरीबों के बच्चे जो कि उचित मार्गदर्शन के अभाव में दुकानों में काम करने लगते हैं या घर पर फालतू पड़े रहते हैं । जिन्हें कोई जानकारी नहीं मिल पाती है और कुछ तो इधर उधर घूमते रहते हैं । उन सभी बच्चों को एकत्रित करके यदि उन्हें शिक्षा दिया जाए। उन्हें योगा सिखाया जाए,उन्हें बोलने की रहने की कला सिखाई जाए, शिक्षा के प्रति उनका झुकाव हो इस निमित्त प्रयास किया जाएं, तो निश्चित रूप से उन्हीं बच्चों से मिलकर एक सभ्य एवं सुसंस्कृत समाज का निर्माण होगा । क्योंकि यही बच्चे अपना एक शैक्षणिक समाज बनाएंगे ।                      यदि इन बच्चों को शिक्षा की प्राप्ति हो जाती है तो आने वाले भविष्य में यह बच्चे शिक्षा के हुनर से कहीं भी ऑफिशियल वर्क कर के प्रतिष्ठित ढंग से धनोपार्जन कर सकते हैं । अतः बचपन पढ़ाओ आंदोलन शैक्षणिक जागृति के माध्यम से सामा

राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद......

*राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद विवाद निश्चित रुप से इतिहास की एक चूक हैं। हमारे पूर्वजों  के आपसी भाईचारा पर एक कलंक है। इस तरह का विवाद कदापि नहीं होनी चाहिए खास तौर से एक ही देश के रहने वाले लोगों बीच में । निश्चित रुप से अंग्रेजों के लिए धार्मिक व मजहबी मुद्दे घी के लड्डू की तरह था। जिसे वे विभिन्न अवसरों पर उपयोग करके, हिंदू-मुस्लिम को लड़ाकर अपनी शासन की नींव मजबूर करते थे*               *वर्तमान परिवेश में हिंदू मुस्लिम की जनसंख्या अपने विस्फोटक रूप में हैं एवं समाज शिक्षित होते हुए भी व्यक्ति धार्मिक ग्रुप से इतना ज्यादा इमोशनल है कि वह अपने इस इमोशन का सदुपयोग नहीं कर पा रहा है। जिससे धार्मिक व मजहबी विवाद के रूप में दंगे फसाद सामने आ रहे हैं। जिसका एक सभ्य एवं शिक्षित समाज में कोई स्थान नहीं हैं।*                *बहुत सारे लोग मंदिर-मस्जिद पर बहुत सारे टिप्पणी देते हैं । लेकिन मेरा व्यक्तिगत मत कहता है कि इंसान को धार्मिक मान्यताओं के साथ साथ आर्थिक पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए। राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद विवाद से संदर्भ में हम आर्थिक मुल्यों को ध्यान दें तो यह फायदे का सौदा ह

नकुल कुमार के अधूरे प्रेम की अधूरी कहानी भाग-03

कक्षाएं बदल गई, वक्त बदल गया। सभी बदल गए, तुम कब बदलोगें....? वक्त को टालें बगैर, कभी तुम भी बदल जाओ।। तुम्हे जो अच्छा लगता हैं ,  वह हमें भी पसंद हो ये कोई जरुरी नहीं। इंसान बनकर, इंसान बन जाएं हमसब ये जरूरी है। कितना अच्छा लगता था,जब तुम देखा करते थे।                           बड़ी बड़ी आंखों से जैसे मुझे ही निहारा करते थे ।। चश्मा उठाकर भी देखा करते थे,और जब मैं देखता तो चश्मा निकालकर साफ करने लगते थे।  कितना सुहावना दिन था,कितना मनभावन दृश्य था । तुम भी देखा करते थे,हम भी देखा करते थे।।  कागज के पन्ने पर जो मोहब्बत की लकीर तुमने खींची थी,हमारे लिए तो लक्ष्मण रेखा से कम न थी । एक तरफ तुम नजर मिलाया करते थे, दूसरी तरफ अपनों का डर दिखाया करते थे। मिस कॉल मारा करते थे और फोन नहीं उठाया करते थे कितना मनोरम दृश्य था और कितना मनभावन दिन था ।  तुम न पढ़ा करते थे और खूब पिटाई खाते थे।  बहाने मार कर हमें भी पिटवाया करते थे । क्लास में जल्दी आया करते थे,खाली पड़े बेंच को देर तक निहारा करते थे । मुझे देख कर वक्त टाला करते थे और कभी-कभी बैग से चॉकलेट निकाला करते थे। हमें दिखा दिखा कर खाते और ना

नकुल कुमार के प्यार की अधूरी कहानी... भाग-2

कि मेरे मन के भाव, मन में ही रह जाते हैं प्रिय।। पता नहीं क्या होगा..? संदेह नहीं है खुद पर, किन्तु तुम्हारी कसौटी पर, खरा उतर पाउँगा या नहीं, ये बात परेशान करती हैं मुझे। सोचता हूँ , क्यों न कह दूं तुमसे। सारी बातें ,जो मेरे मन में हैं। किन्तु डरता हूँ, पता नहीं, तुम्हें अच्छा लगे,नहीं भी।। मन में एक डर , सदैव उमड़ा करता है। 2020 का समय भी निकट हैं, और तुम्हें खोने का एहसास भी।। ... ... ...

नकुल कुमार के प्यार की अधूरी कहानी भाग-01

मुझसे कुछ नहीं कहते हो, इतना चुप क्यों रहते हो। बेजान पड़ा ये माली हैं, सूखी जबसे ड़ाली हैं । इंस्टाग्राम छोड़ा तुमने, अब मैसेंजर भी खाली खाली हैं। इतनी तड़प तुम सहते हो, फिर भी कुछ नहीं कहते हो। ... ...