कि मेरे मन के भाव,
मन में ही रह जाते हैं प्रिय।।
पता नहीं क्या होगा..?
संदेह नहीं है खुद पर, किन्तु
तुम्हारी कसौटी पर,
खरा उतर पाउँगा या नहीं,
ये बात परेशान करती हैं मुझे।
सोचता हूँ ,
क्यों न कह दूं तुमसे।
सारी बातें ,जो
मेरे मन में हैं।
किन्तु डरता हूँ,
पता नहीं,
तुम्हें अच्छा लगे,नहीं भी।।
मन में एक डर ,
सदैव उमड़ा करता है।
2020 का समय भी निकट हैं,
और तुम्हें खोने का एहसास भी।।
...
...
...
Comments