*राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद विवाद निश्चित रुप से इतिहास की एक चूक हैं। हमारे पूर्वजों के आपसी भाईचारा पर एक कलंक है। इस तरह का विवाद कदापि नहीं होनी चाहिए खास तौर से एक ही देश के रहने वाले लोगों बीच में । निश्चित रुप से अंग्रेजों के लिए धार्मिक व मजहबी मुद्दे घी के लड्डू की तरह था। जिसे वे विभिन्न अवसरों पर उपयोग करके, हिंदू-मुस्लिम को लड़ाकर अपनी शासन की नींव मजबूर करते थे*
*वर्तमान परिवेश में हिंदू मुस्लिम की जनसंख्या अपने विस्फोटक रूप में हैं एवं समाज शिक्षित होते हुए भी व्यक्ति धार्मिक ग्रुप से इतना ज्यादा इमोशनल है कि वह अपने इस इमोशन का सदुपयोग नहीं कर पा रहा है। जिससे धार्मिक व मजहबी विवाद के रूप में दंगे फसाद सामने आ रहे हैं। जिसका एक सभ्य एवं शिक्षित समाज में कोई स्थान नहीं हैं।*
*बहुत सारे लोग मंदिर-मस्जिद पर बहुत सारे टिप्पणी देते हैं । लेकिन मेरा व्यक्तिगत मत कहता है कि इंसान को धार्मिक मान्यताओं के साथ साथ आर्थिक पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए। राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद विवाद से संदर्भ में हम आर्थिक मुल्यों को ध्यान दें तो यह फायदे का सौदा है। क्योंकि आर्थिक मान्यता ही वह स्थिति है जिसके माध्यम से हम गरीबी,कुपोषण,भुखमरी आदि चीजों पर विजय पा सकते हैं*
*उस विवादित स्थल पर एक मस्जिद बना दी जाए या एक लाइब्रेरी बना दी जाए या कोई अन्य ढांचा बना दिया जाए या कोई कंपनी खोल दी जाए तब भी यह सभी मिलकर इतने रोजगार के साधन उत्पन्न नहीं कर पाएंगे जितना कि अकेला राम की आस्था से जुड़ी हुई एक मंदिर रूपी इमारत कर पाएगी। मंदिर सिर्फ आस्था के केंद्र नहीं है बल्कि सरकार के लिए टैक्स का साधन हैै तथा हिंदू,मुस्लिम,सिख,इसाई हर धर्म के लोगों के लिए एवं हर जाति के लोगों के लिए, रोजगार का साधन भी है । मस्जिद या अन्य कोई इमारत बनने पर इतने लोगों को रोजगार मिल पाएगा अथवा सरकार को टैक्स की प्राप्ति हो पाएगी...??? यह समिक्षा का विषय है । अतः राम मंदिर ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से रोजगार के साथ साथ सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी।*;
*इसलिए उस स्थल पर मंदिर ही बननी चाहिए।।*
ध्यानार्थ:- मेरे इस लेख का उद्देश्य यह कदापि नहीं हैं कि मैं किसी भी धर्म मत की मूल भावनाओं को ठेस पहुंचाऊं ।
किंतु यदि मेरे इस लेख से किसी भी धर्म अथवा मजहब की किसी भी भावना को ठेस पहुंची हो अथवा किसी भी व्यक्ति को खराब लगा हो तो कृपया हाथ जोड़कर क्षमाप्रार्थी हूं
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