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NTC CLUB Run By Nakul Kumar...8083686563

जुबान क्या चलाऊं मैं , कलम ही चला लेता हूं। समय व्यर्थ क्या करना, आओ कुछ पढ़ा देता हूं।।

भईया........

इधर आप दिल जलाते हो, और उधर भाभी की रोटियां जल जाती है।। इधर आप दिल लगाते हो , और उधर भाभी का दिल टूट जाता है।। वह सज-धजकर आपका इंतजार करती है, और एक आप हो, जो उन्हें बेकरार किए रहते हो. दिन रात मेहनत करके, जो खुद को मालामाल करते हो. एक बार भी भाभी का, क्यों नहीं ख्याल करते हो.                                                         दरवाजे के आड़ से,.                     निहारती है आपको, सिसकते हुए,दौड़कर बिछावन पर गिरती है. तकिए को पकड़ कर, संभालती हैं खुद को.         उनके होठों की लाली में भी, मूक इंतजार रहता है. उनका मन और यौवन, इस कदर बेकरार रहता है .                         अब बस भी करो भैया, घर समय पर आओ ना .   बेकरार भाभी पर, प्यार खूब बरसाओ ना.   क्योंकि अब दरवाजे पर भाभी, बेलन लेकर किसी का इंतजार करती है । तभी दरवाजे पर पीटती है, कभी उसी से प्यार करती है। सिर रखकर दरवाजे पर,न जाने किसका इंतजार करती है। एक बार सोचा था, क्यों ना पूछ ही लूं कि , बेलन का प्यार किस पर बरसने वाला है ।।. लेकिन हिम्मत नहीं हुई, कहीं वह प्यार तत्क्षण........मुझ पर ना बरस जाए ।।..                      

भाभी का तात्क्षणिक प्यार..... नकुल कुमार

इधर आप दिल जलाते हो, और उधर भाभी की रोटियां जल जाती है।। इधर आप दिल लगाते हो , और उधर भाभी का दिल टूट जाता है।।.                                           वह सज-धजकर आपका इंतजार करती है,.                                 और एक आप हो,.                                                                     जो उन्हें बेकरार किए रहते हो.                                                     दिन रात मेहनत करके,                                                               जो खुद को मालामाल करते हो.                                                 एक बार भी भाभी का,.                                                             क्यों नहीं ख्याल करते हो.                                                         दरवाजे के आड़ से,.                                                             सिहरती हुए निहारती है आपको,                                           संभालती हैं खुद को.                                                               उनके  होठों की लाली में भी, मूक इंतजार रहता है.                  

नकुल की प्रसिद्धि......📝🏃🏃🏃🏃🖋🚶🚶🚶

प्रसिद्धि जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, दूसरों को जलन वैसे ही बढ़ती जाती है।। कदम बढ़ाने में कोई सहायता नहीं करता हैं। कदम खींचने में उसको अच्छा लगता है ।। कहत नकुल की वाणी, तुम मत घबराना ।। और कदम जो खींचे जमाना, उसी कदम से एक लात,उसके मुंह पर लगाना।।                                      फिर ना तुम को रोकेगा कोई, ना ही टोकेगा जमाना।। पुण: तय करना अपनी उड़ान और फिर आगे बढ़ते जाना।। नकुल कुमार Nakul Kumar Journalist Nakul 8083686563

गरीब एवं असहाय लोगों के बीच हुआ कंबल का वितरण

मोतिहारी (पू.च.)। कई दिनों से पड़ रही कड़ाके की ठंड में गरीब, नि:सहाय और वृद्धजनों के बीच चम्पारण कल्याण समाज मंच के द्वारा बंजरिया प्रखंड के सिंघिया, चैलाहा, रतनपुर, पँचरुखा, भेला छपरा आदि गाँवों में 250 से अधिक लोगों के बीच कंबल वितरण संगठन के अध्यक्ष डॉ. गोपाल सिंह एवं संगठन के अन्य लोगों द्वारा किया गया। ज्ञात हो कि पिछले कई दिनों से पड़ रही कड़ाके की ठंड के बावजूद प्रशासन की ओर से गरीब, नि:सहाय और वृद्धो के लिए कोई  व्यवस्था न करने पर उनलोगों की कठिनाई देख चम्पारण समाज कल्याण मंच ने गरीब, वृद्ध, नि:सहाय और विधवा महिला और पुरूषों के बीच कंबल वितरण किया। कंबल पाने से लाभुकों में खुशी देखी गई। ठंड से परेशान लोगो ने संगठन के इस पूनित कार्य की सराहना की। वहीं संगठन के अध्यक्ष डॉ. गोपाल कुमार सिंह ने बताया कि विषम परिस्थितियों में  गरीब एवं असहायो की सेवा ही मानवता की सच्ची सेवा है। कम्बल वितरण के पूनित कार्य में प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. प्रभात प्रकाश, डॉ. अजीत सिंह, सुभाष सिंह आदि का सराहनीय योगदान रहा। इस अवसर पर संगठन के उपाध्यक्ष देवेन्द्र कुमार कुशवाहा, गोविंद सिंह, चन्द

करोड़पति सुशील कुमार

न भारी लगते हो, न अनाड़ी लगते हो, न मोतिहारी के व्यापारी लगते हो।। यत्न करते रहना करोड़पति बाबू, आप मुलाजिम कहीं के सरकारी लगते हो।।

"शुजा ख़ावर" की याद में

"शुजा ख़ावर" की याद में 19 जनवरी को " हम-क़लम की तरही शेअरी निशस्त (काव्य गोष्ठी) शुजाउद्दीन साजिद उर्फ शुजा ख़ावर जदीद उर्दू शायरी का एक अहम नाम है।उनका जन्म 24 दिसंबर 1948 को हुआ और 19 जनवरी 2012 को हृदय-गति रुकने के कारण दिल्ली में उनका देहांत हो गया।शुजा ख़ावर भरतीय पुलिस सेवा के अधिकारी थे।वर्ष 1994 में उन्होंने नौकरी से त्याग-पत्र दे दिया। शुजा ख़ावर ने ग़ज़लों में लफ़्ज़ों को बरतने का नया सलीक़ा ईजाद किया।उन्होंने अपनी ग़ज़लों में बहुत से ऐसे अल्फ़ाज़ का खूबसूरत इस्तेमाल किया है जिन्हें उर्दू के तथाकथित विद्वान आलोचक और रचनाकारों ने मतरूक(निषिद्ध) क़रार दिया है।नई नस्ल के ज़्यादातर रचनाकार शुजा ख़ावर के नाम से परिचित नहीं हैं।शुजा ख़ावर के यहां भी वही जज़्बात और महसूसात हैं जो फ़ितरी (प्राकृतिक)तौर पर हर इंसान के अंदर होते हैं लेकिन शुजा ख़ावर ने उनको नए पानी से धो-चमका कर दिलकश और नए तख़लीक़ी अंदाज़ में पेश किया।शुजा का लेहजा इनका अपना है, वह कहीं से उधार लिया गया नहीं है।उनके मिज़ाज का अक्खड़पन उनकी शायरी में जा-ब-जा मिलता है।उनकी शायरी की जड़ें उनके अंदर ही पैवस्त हैं।शुजा ख़ावर के कुछ अश