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Jyoti Jha: A Story of Inspiration

Patna 29 June Jyoti Jha is an International television/ media/ fashion personality, Entrepreneur, Aircraft Engineer, Business owner, Grooming, Soft Skills and Personal Development Coach and Mentor, Holistic Yoga and Mindfulness Practitioner, Social Activist, Philanthropist, Visionary. Finalist at Femina Miss India 2004, Finalist at Tourism Model of The World 2006. “Miss Beautiful Smile” at Miss India Worldwide 2002. Born in Patna, raised, educated and worked in parts of Bihar, Jharkhand, Kolkata and Mumbai, and overseas, Jyoti has always maintained a broader perspective in her life.      Jyoti’s aura is hard to miss. When you interact with her, within minutes you can discover that she possesses a wealth of knowledge and wisdom but still values humility, kindness and spirituality. Jyoti’s qualifications and career journey: From a humble beginning to having achieved a significant amount of success in every walks of her life, she is firmly and deeply

Rakesh Pandey is a ray of hope in Champaran in the field of health, education and employment.

Now-a-days in Champaran an NRI Indian Industrialist is very popular because of his sympathy, Cooperation and Contributions. He is non other than Rakesh Pandey and from sarotar East Champaran Bihar. He had put cornerstone a manufacturing unit of  pharmaceutical company of Bravo Pharma in Dhangadhaha, in Bihar. After 18 month the manufacturing unit will be started working, that will provide 300 job opportunity directly in the company. Without wasting time I would like to say that Rakesh Pandey is a man who always stand with the people of Champaran. He is working in the field of health, education and employment of the people of Champaran. He has announced to establish a sport Complex in Champaran for players. Rakesh Pandey came in light when is started plantation of Champa plants with Crorepati Sushil Kumar( Champa se Champaran) in Champaran and he donated 1 and half lakh of Champa plants to plant them on the each door of the people of Champaran. After getting success, he start

छात्रों की विभिन्न समस्याओं को लेकर प्राचार्य से मिला छात्र प्रतिनिधिमंडल, निराकरण का मिला आश्वासन

आज मुंशी सिंह महाविद्यालय में विभिन्न समस्या को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं छात्रसंघ ने मुंशी सिंह महाविद्यालय के प्रचार्य डॉ. प्रदीप कुमार से बात चीत की। जिसमे कॉलेज कैंपस से संबंधित अनेकों मुद्दे उठाए गए । छात्रसंघ अध्यक्ष मुकेश ने कहा की आम चुनाव 2019 के बाद भी अभीतक कॉलेज की स्थिति ठीक नहीं हुई हैं और इतने भीषण गर्मी के बावजूद आज तक पानी का व्यवसथा ठीक से नहीं हुआ है, जिस कारण छात्रों को बहुत ही परेशानी हो रही हैं। नगर मंत्री दिव्यांसु ने बताया पीजी में सभी संकाय में आधे से अधिक सीटें कम कर दी गई, जिसको लेकर 23 मई को ABVP और छात्रसंघ ने यूनिवर्सिटी में पीजी के सीट बढ़ाने के लिए मांगपत्र बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति को शौप था लेकिन अभी सीट नहीं बढ़ाया गया। वही छात्रसंघ कॉलेज प्रतिनिधि उजाला कुमार ने पीजी में एडमिशन से संबंधित मुद्दे को रखते हुए कहा कि पीजी में नामांकन के लिए छात्र इधर-उधर भटक रहें हैं लेकिन उनकों कोई बताने वाला नहीं है और BRABU. यूनिवर्सिटी के पीजी एडमिशन लिस्ट में भारी गड़बड़ी किया है। जहाँ 71% वाले छात्रों को मेरिट लिस्ट में नाम नहीं दिया गया हैं वही पर

कैसे फकीर हो पान का पिक इधर-उधर फेंकते हो.... और फिर क्या हुआ...?

बाबा की बस एक हरकत मुझे पसंद नहीं आई और जब मैंने टोक दिया तो वह चेन्नई एक्सप्रेस की रफ्तार से आगे बढ़ने लगा.....  अब आगे पढ़िए क्या हुआ... एक बार ऐसे ही हमारे मोहल्ले में भी ऐसे बाबाओं का आना हुआ  सब के केसरिया और हरा वस्त्र पहने हुए  थे आंखों में सुरमा और सिर पर टोपी के साथ-साथ चादर तानकर आगे बढ़ते जा रहे थे। सबकी आजू बाजू में झोला टंगा था और उनमें से किसी एक के झोले में छोटा सा स्पीकर लगा था जिसमें गाना चल रहा था ख्वाजा ख्वाजा ख्वाजा ख्वाजा ख्वाजा ख्वाजा...... चुकी धार्मिक सहिष्णुता हम हिंदुओं में कूट-कूट कर भरी हुई है इसलिए माँ ने ₹10 दे दिया किंतु  बाबा की एक हरकत मुझे पसंद नहीं आई और  फिर क्या था मैंने बाबा को ठोक दिया तो वह बाबा चेन्नई एक्सप्रेस की रफ्तार से आगे बढ़ते हुए हमारे गली से रफूचक्कर हो गया। हुआ यूं कि सुबह सुबह का वक्त था गर्मी से बेहाल जिंदगी दरवाजे के बाहर अखबार के सहारे कट रही थी इसी बीच एक गिलास पानी के साथ चाय की चुस्की  रात की गर्मी के साथ साथ मानसिक उलझनों से दूर एक अलग ही वातावरण में ले जा रही थी तभी मोहल्ले के सुदूर गली के मोड़ से मंद मंद सी आवाज आन

पार्श्वगायन के क्षेत्र में खास पहचान बना चुके हैं अमर आनंद

खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,         जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,         लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ, जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी हैं ।।        जाने माने पार्श्वगायक अमर आनंद ने पार्श्वगायन के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण पहचान बनायी है।उनकी ज़िन्दगी संघर्ष, चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है। अमर आनंद ने अपने करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया।                 महान साहित्यकार फनीश्वर नाथ रेणु की जन्मस्थली बिहार के अररिया जिले के रानीगंज थाना के लक्ष्मीपुर गीतवास गांव में वर्ष 1990 में जन्में अमर आनंद के पिता श्री जगदीश यादव जाने माने लोक कथाकार और गायक हैं। छह भाइयों में सबसे बड़े अमर आनंद को कला की शिक्षा विरासत में मिली। बचपन के दिनों से ही अमर आनंद का रूझान संगीत की ओर हो गया था। वह अक्सर स्कूल में होने वाले सांस्कृतिक कार्यकम में हिस्सा लिया करते जिसके लिये उन्हें काफी प्रशंसा मिला करती।   जिंदगी म

जनता से कौन जुड़ा हुआ है ? l डॉ. वेदप्रताप वैदिक

लोकसभा में राष्ट्रपति के भाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेहरु-गांधी परिवार पर जो ताना कसा है, वह इतना सटीक है कि उसे गलत नहीं कहा जा सकता लेकिन उन्होंने कांग्रेस के लिए जो कहा है, वह क्या देश के सभी राजनीतिक दलों पर लागू नहीं होता ? उन्होंने कहा कि कांग्रेस इतनी ऊंची उठ गई कि वह जड़ से ही उखड़ गई। सचमुच कांग्रेस के नेता, जो सोने की चम्मच मुंह में लेकर पैदा हुए, उन्हें शहद और रसमलाई का स्वाद तो पता है लेकिन गेहूं और करेले का स्वाद वे क्या जानें ? वे जनता से कट गए हैं। सिर्फ कुर्त्ता-पायजामा पहन लेने से कोई जनता के नजदीक नहीं हो जाता। चुनाव-अभियान के दौरान उन्होंने जैसी भाषा का इस्तेमाल किया, क्या हमारे साधारण लोग भी एक-दूसरे के लिए वैसी भाषा का इस्तेमाल करते हैं ? यह ठीक है कि राहुल गांधी के मुकाबले नरेंद्र मोदी की भाषा अधिक संयत थी और उनके भाषण भी लोक-लुभावन थे लेकिन क्या मोदी भी जनता से उतने ही कटे हुए नहीं हैं, जितने कि कांग्रेसी नेता ? पिछले पांच साल में मोदी ने एक दिन भी जनता-दरबार नहीं लगाया, एक दिन भी पत्रकार-परिषद नहीं की, शायद एक दिन भी किसी

यहाँ सपनों के भी खरीदार मिल जाएंगे....... सपने ले लो सपने

बस स्टैंड के बाहर  एक अंगूठी बेचने वाला जोर जोर से चिल्ला रहा था। काले घोड़े की नाल की चमत्कारी अंगूठी ले लो .......कीमत केवल दस रूपये अंगूठी, बेचने वाला का दावा साथ बोल रहा था, अंगूठी पहनते ही सब समस्या दूर,गृहक्लेश दूर,नौकरी मिल जाएगी, व्यापार चमक जाएगा, हर इम्तेहान में पास हो जाओगे, हाईस्कूल में टॉप करोगे। मुझे अंगूठी बेचने वाले की नादानी और उसकी हालत पर दया आ रही थी, और उससे भी ज्यादा दया आ रही थी अगुंठीयों के खरीददारों पर जो भीड़ लगाए हुए उस अंगूठी बेचने वाले के इर्द-गिर्द खड़े हुए थे। मेरे मन का ही यक्ष मुझ युधिष्ठिर से प्रश्न कर रहा था कि  आखिर लोग सत्य के नाम पर झूठ क्यों बेचते हैं....??? घोड़े की नाल अगर इतनी ही चमत्कारी होती तो  सबसे पहले उस काले घोड़े की किस्मत चमकती। उसे रोज रोज  दाएं बाएं चलने, सही से खड़े रहने अथवा भीषण गर्मी में प्यास से तिलमिलाते हुए माल ढोने के लिए मालिक के चाबुक की मार न खानी पड़ती। और तो और यह चमत्कारी घोड़ा और चमत्कारी घोड़े की नाल की गठरी जिस व्यापारी के पास होगा, कम से कम वह रोड पर दुकान तो नहीं लगा रहा होता। सच में कहूं तो यहां पर ख्वाब बेचे