शुरू से ही बसंत का महीना कवि और लेखकों की लेखनी का केंद्र बिंदु में रहा है। सभी ने अपने अपने अनुसार बसंत का जोरदार चित्रण किया है। किसी ने बसंत को प्रेम का महीना बताया है तो किसी ने पतझड़ का, तो किसी ने नए-नए पल्लव का ।। बसंत के महीने में खेतों में सरसों का पीलापन मानो धरती के हाथ पीले कर देने व मोहब्बत का सुखद एहसास दिलाता है। वही इस महीने में महाशिवरात्रि सरस्वती पूजा जैसे त्यौहार इसकी महत्ता को बढ़ाते हैं। किंतु कुछ वर्षों से देखने को मिला है कि पश्चिम जगत में वैलेंटाइन डे के नाम पर अश्लीलता अपने चरम को छू गई है। जहां मोहब्बत के नाम पर एक दूसरे के शरीर को प्राप्त करने के लिए काम आतुर जोड़ें कहीं कोई कसर नहीं छोड़ते । घर बेचकर प्रेमिका को खुश करते हैं,माता-पिता का दिल दुखा कर खुश करते हैं ।किंतु इस खुशी के मायने कुछ नहीं है ।। इन्हीं सभी चिंताओं से वाकिफ हुए अहमदाबाद साबरमती तट पर बसने वाले संत श्री आसाराम जी बापू ।।उन्होंने अपने साधकों के बीच संकल्प किया कि उनके सारे साधक 14 फरवरी को मातृ पितृ पूजन दिवस मनाएंगे और पूर...