Skip to main content

Posts

Critic Poem By Nakul Kumar

मेरे पागलपन की चर्चा, सारे शहर में फैली है। पर इस पागलपन में भी, तुम्हें पहचानता हूं, यह ख़बर भी, सरेआम कर दो।। कुछ अफवाहें,जो तुमने फैलाई है, कुछ अपनी मिलाकर।चलो, अब उनका काम , त...

पूंजीवादी व्यवस्था

                            इस पूँजीवादी व्यवस्था में , आप कितने भी हुनरमंद क्यों न हो आपकी सफलता का सिर्फ एक ही पैमाना है और वह है money. सारी गुणवत्ता धरी रह जातीं है धन के अभाव में । इसलिए जो सभी व्यवस्थाओं का मूल है , क्यों न सारे काम उसी  के निमित्त किया जाएँ । जरूर सोचिएगा और अपना विचार भो लिख डालिए. ......शायद किसी के काम आ जाएँ । धन्यवाद नकुल कुमार युवा पत्रकार, मोतिहारी 8083686563