नेपाल। नेपाल के बारा जिला स्थित गढ़ीमाई धाम पूरे विश्व में पशु बलि के लिए प्रसिद्ध है. प्रत्येक पांच साल पर लगने वाले इस स्थानीय ग्रामीण मेला को देखना, इसके आध्यात्मिक पहलू, धार्मिक श्रद्धा, स्थानीय विधि व्यवहार आदि को निकट से जानना, समझना, महसूस करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. मेला में शामिल होना अपने आप में बहुत बड़ा सौभाग्य का विषय है क्योंकि इस मंदिर के लगभग 10 किलोमीटर रेडियस में हर जगह आपको एक जैसे ही स्थिति दिखेगी. आप कुछ देर के लिए यह समझ नहीं पाएंगे कि आप मंदिर की किस दिशा में है और आपको किस दिशा में जाना है. हरगांव हर मोहल्ले में एक बड़ा भारी हुजूम चलता हुआ दिखेगा. जिससे 4-5 किलोमीटर पहले से ही आपको आभास होगा कि मंदिर अगल-बगल में ही है लेकिन ऐसा नहीं है. क्या आभास मिर्ग-मरीचिका की तरह है. स्थानीय लोगों की माने तो गढ़ीमाई से मांगे गए मनोकामना के पूरी होने के बाद लोग कबूतर गौ माता के प्रांगण में उड़ाते हैं, बकरा अथवा भैंस की बलि चढ़ाते हैं और खून माता को समर्पित करते हैं. यहां चारों तरफ बकरे की बली (झटका) देते ...
बिहार के चौथे कृषि रोड मैप लॉन्च. राष्ट्रपति ने कहा कि विकसित भारत के सपना को पूरा करने में बिहार का योगदान बहुत महत्वपूर्ण
बिहार के चौथे कृषि रोड मैप लॉन्च. राष्ट्रपति ने कहा कि विकसित भारत के सपना को पूरा करने में बिहार का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रिपोर्ट : नकुल कुमार पटना। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पटना में बिहार का चौथा कृषि रोड मैप (2023-2028) लॉन्च किया. इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि विकसित भारत के सपने को पूरा करने में बिहार का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि कृषि बिहार की लोक-संस्कृति का एक अहम हिस्सा है. बटोहिया और बिदेसिया से लेकर कटनी और रोपनी गीतों तक की बिहार की लोक-संस्कृति और साहित्य की यात्रा ने पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई है. कृषि बिहार की अर्थव्यवस्था का आधार है। कृषि और संबद्ध क्षेत्र में न केवल राज्य का लगभग आधा कार्यबल लगा हुआ है बल्कि राज्य GDP में भी इसका अहम योगदान है. इस प्रदेश की उन्नति के लिए कृषि क्षेत्र का सर्वांगीण विकास अत्यंत आवश्यक है. बिहार के किसान भाई-बहन खेती में नए-नए प्रयोगों को आजमाने और अपनाने के लिए जाने जाते हैं. यही वजह है कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित एक अर्थशास्त्री ने नालंदा के किसानों को “greater than scientists” कहा था. य...