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Showing posts from April, 2017

वाह पाण्डेय जी..........

कमाल हो गया, धमाल हो गया। मूंछ हुई काली, चेहरा लाल हो गया। वाह रे मेरे शिक्षक मित्र, ये कैसा हा ल हो गया।

पागलपन

मेरे पागलपन की चर्चा, सारे शहर में फैली है। पर इस पागलपन में भी, तुम्हें पहचानता हूं, यह ख़बर भी, सरेआम कर दो।। कुछ अफवाहें,जो तुमने फैलाई है, कुछ अपनी मिलाकर।चलो, अब उनका काम , तमाम कर दो।। मुझे मालूम न था, कोई मेरे पागलपन का, इतना मुरीद होगा। पहले अफवाहें फैलाएगा, और माफ़ी के बहाने, इतना करीब आएगा।। #नकुल_कुमार "आलोचक" मोतिहारी, पूर्वी चम्पारण बिहार #मो_08083686563 #मो_08789826276 #Nakul_Tuition_Center #Cashless_Education #बचपन_पढ़ाओ_आन्दोलन #Vision2020 #इक्कीसवीं_सदी_उज्जवल_भविष्य

राजेश कुमार सुमन........ शैक्षणिक क्रांति के सारथी।

कैसे अकेले एक शख्स ने 8 साल में खड़ी कर दी 'बीएसएस क्लब' सरकारी नौकरी की फौज़ भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई के विदेश मंत्रालय के पूर्व कर्मचारी राजेश कुमार सुमन. मूलत: समस्तीपुर,बिहार के रहने वाले राजेश कुमार सुमन को यह देखकर अच्छा नहीं लगता था कि बिहार के युवा पढ़ाई तो अच्छी करते हैं लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं में उनकी सफलता की दर काफी कम है. इसी विचार से प्रेरित होकर उन्होंने 8 साल पहले ‘बीएसएस’ नामक संस्था बनाकर युवा प्रतिभागियों की निशुल्क कोचिंग शुरू की और इन 8 सालों में उनकी संस्था ने सरकारी नौकरी की पूरी फ़ौज तैयार कर दी है. सुमन जब विदेश मंत्रालय में पोस्टेड थे जब कभी छुट्टी  में घर में आते थे, तो  युवाओं का हुजूम मिलने आते थे, जिससे परिचय का दायरा बढ़ा तो उन्हें समझ में आया कि इस राज्य में युवा लड़के लड़कियां पढ़ाई लिखाई में मेहनत करते हैं, लेकिन उनकी यह सारी मेहनत उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं के लायक नहीं बना पाती. सुमन सोच में पड़ जाते लेकिन रास्ता नहीं सूझता. फिर एक दिन उन्होंने तय कर लिया कि इन युवाओं के लिए कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा. उनकी इसी सोच के चलते नौकरी छोड़कर ‘

नकुल का................. समर्पण

हमसे समर्पण की चाह रखने वाले, ये तो बता, तेरा क्या है समर्पण ? हमसे अर्पण की चाह रखने वाले, ये तो बता तेरा क्या है अर्पण ? तन भी समर्पित, मन भी समर्पित, अब तो बता, मैं क्या करूं अर्पण । लोभ भी तेरा है, भोग भी तेरा है, इस लोभ का क्यों न, तुम करते हो अर्पण । हमसे समर्पण की चाह रखने वाले, ये तो बता, तेरा क्या है समर्पण ? तनाव में सोता हूं, तन्हाई में खोता हूं, तनाव का कैसे, कर दूं मैं तर्पण। मजबूर सिपाही, हमको न समझो; गर, किया है हमने, खुद को समर्पण । हमसे समर्पण की चाह रखने वाले, ये तो बता, तेरा क्या है समर्पण ? गुणवान सार्थी हूं , रणभूमि का; अब बन जाओ, इस रण के अर्जुन; बांटो न दिल को, बंट जाओगे इक दिन, दरबारी बढ़ाएंगे, कुछ ऐसे धड़कन । हमसे समर्पण की चाह रखने वाले, ये तो बता, तेरा क्या है समर्पण ? #नकुल_कुमार (युवा आलोचक ) 8083686563 08789826276

शब्द

      शब्द........... शब्दों संग, शब्दों में खोने लगा हूं। आखिर मैं तेरा, होने लगा हूं। मेरी कविता में, शब्दों की मोती है तू। मेरे ख्वाबों की बाहों में, सोती है तू। कई शब्द, बेशब्द हुए, अनाथ पड़े हैं। कुछ गर्व से, कुछ निर्लज्ज खड़े हैं । किसकी लज्जा मैं, किससे छुपाऊं। क्यों न नया, कोई शब्द बनाऊं ।         Words........... With words I started losing. After all, I have started to be. In my poem, You are the pearl of words In the arms of my dreams, You are sleeping Many words, of course, Orphaned. Some pride, some Are shameless standing. Whose disgrace I am, Whom to hide Why not new, Make a word #nakul_kumar "critic" Motihari, Eastern Champaran Bihar 845401 # Mobile_8083686563, 8789826276 # Childhood_readings_and movement #बचपन_पढ़ाओ_आन्दोलन #Cashless_Education # Vision2020 #Khwab_ek_nai_Duniya_Ki

नारी तू नारायणी

#Happy_women's_day हे नारी तू नारायणी, पूजन करे संसार। दूसरों का घर बसाती हो, छोड़ कर अपना घर-द्वार । हजार कुर्बानियां देकर भी, सुन लेती दुत्कार। ममता की आंचल में भरकर, पिलाएं जाती करुण-धार। आंशु को पानी बताती, हृदय पीड़ा को प्यार। किन शब्दों से तेरी पूजा करूं, हे देवी, नमन, तुम्हें कई-कई बार। तुम्हारा वंदन बारंबार।। #नकुल_कुमार #आलोचक मोतिहारी, पूर्वी चंपारण बिहार 845401 #Mb8083686563 #बचपन_पढ़ाओ_आंदोलन #Bachpan_Padhaao_Aandolan #कैसलेश_शिक्षा #Cashless_Education

प्यार साश्वत है पर............ भरोसे का कत्ल न करें युवा पीढ़ी

प्रेम किसी और से, विवाह किसी और से और उसके बाद छल-कपट, अविश्वास और................हत्या।                    यह हमारे बदलते समाज का विकृत रूप है जहां लड़की एवं लड़कियां चाहते जहां लड़के लड़कियां चाहते किसी और को है और शादी किसी और से हो जाती है अथवा परिवार के द्वारा कराई जाती है। एक तरफ माता पिता अपनी जिम्मेदारी निभा लेते हैं तो वही

भरोसे का कत्ल

महिला ने प्रेमी संग मिलकर पति को मार डाला Mon 24-Apr-2017 07:41:00 - पत्नी ने आशिक संग मिलकर पति को ईट से कूच डाला - पांच साल का बेटा बना पापा की हत्या का गवाह - कैंट एरिया के विशुनपुरवा मोहल्ला की घटना सुन हर कोई रह गया अवाक - हत्या को एक्सीडेंट का रूप देने की रची थी साजिश - रात में गश्त पर निकली निकली पुलिस को देख भागे आरोपी तो दौड़ाकर पकड़ा GORAKHPUR: कहते हैं प्रेम त्याग और बलिदान का नाम है तो शादी सात जन्मों का बंधन। लेकिन रविवार को जब इन दोनों ही रिश्तों को कलंकित करने वाली घटना सामने आई तो हर कोई हैरान रह गया। घटना ही कुछ ऐसी घटी। शहर के कैंट एरिया के विशुनपुरवा मोहल्ले में महिला ने प्रेमी के साथ मिलकर पति का ही खून कर डाला। यहां तक कि अपने पांच साल के मासूम बेटे की भी परवाह नहीं की जो घटना के वक्त वहीं मौजूद था। योजना थी कि हत्या के बाद इसे एक्सीडेंट का रूप दे दिया जाए लेकिन शनिवार की रात गश्त पर निकली पुलिस अपनी ड्यूटी कर गई और रिश्तों को दागदार करने वाले बेनकाब हो गए। पुलिस ने हत्या के आरोप में पुलिस ने महिला, उसके ब्वायफ्रेंड और दो अन्य को गिरफ्तार कर ि1लया है। पुलिस गश्ती क

तुम्हारा कलमकार आशिक .........…. नकुल कुमार

मैं प्रेम पत्र नहीं लिख सकता, इसका इंतजार न करना । दिल में जो राज हो, उसे राज ना करना । कुछ लिखना, भूल से ही सही,मेरे वास्ते, जल्द भेजना , मुझे बेकरार न करना । भूल से ही सही, हमने यदि कुछ पूछ लिया हो तुम से, प्रण्य बंधक उन बातों का, दिल से आन न करना। मेरे स्नेह का बंधन, तुमसे ही बंधा है, याद रखना, इससे कभी इन्कार न करना। और जो करती हो तुम, रातों में इंतजार हमारा। और इधर भी मन ढ़ूंढ़ता है, सोशल साइट्स का इंबाक्स सारा। और जब आधी रात में, इतने प्यार से, गुड नाईट कहती हो, नींद के आगोश में, जाकर मेरा जिया जलाती हो, कसम से तुम्हारी ये आदत, मुझे पूरी रात सोने नहीं देती हैं। तुम्हारा कलमकार आशिक #नकुल कुमार

Resume

Nakul

हारिए न हिम्मत~~~~~ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

तुम्हें अपने मन को सदा कार्य में लगाए रखना होगा। इसे बेकार न रहने दो। जीवन को गंभीरता के साथ बिताओ। तुम्हारे सामने आत्म उन्नति का महान कार्य है और पास में थोड़ा समय है। यदि अपने को असावधानी के साथ भटकने दोगे तो तुम्हें शोक करना होगा और इस से भी बुरी स्थिति को प्राप्त होगे। धैर्य और आशा रखो तो शीघ्र ही जीवन की समस्त स्थिति का सामना करने की योग्यता तुम में आ जाएगी। अपने बल पर खड़े होओ। यदि आवश्यक आवश्यक हो तो समस्त संसार को चुनौती दे दो। परिणाम में तुम्हारी हानि नहीं हो सकती। तुम केवल सबसे महान से संतुष्ट रहो। दूसरे भौतिक धन की खोज करते हैं और तुम अंतकरण के धन को ढूंढो।

हारिए न हिम्मत~~ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

           जो लोग आध्यात्मिक चिंतन से विमुख होकर केवल लोकोपकारी कार्य में लगे रहते हैं वह अपनी ही सफलता पर अथवा सद्गुणों पर मोहित हो जाते हैं, वह अपने आप को लोक सेवक के रूप में देखने लगते हैं। ऐसी अवस्था में वह आशा करते हैं कि सब लोग उनके कार्यों की प्रशंसा करें उनका कहां माने। उनका बढ़ा हुआ अभिमान उन्हें अनेक लोगों का शत्रु बना देता है, इससे उनकी लोकसेवा उन्हें वास्तविक लोकसेवक न बनाकर लोक विनाश का रूप धारण कर लेती है और अनेक लोगों का शत्रु बना देता है।            आध्यात्मिक चिंतन के बिना मनुष्य में विनीत भाव नहीं आता और ना ही उसमें अपने आप को सुधारने की छमता रह जाती है। वह भूलो पर भूल करता चला जाता है और इस प्रकार अपने जीवन को विकल बना देता है। * पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य। *

Nakul............Beautiful hai she

आपने आप में, खूबसूरती की महल हो आप , जो​ न कह पाऊं, वह ग़ज़ल हो आप।।

नकुल......... बदल रही है जिंदगी।।

प्रोफाइल पिक्चर की तरह, बदल रही है जिंदगी। कभी खुशी और कभी गम में भी, बदल रही है जिंदगी। विराट हैंडसम है तो क्या, हम भी कोई इन से कम थोड़े ही है, और इसी बीच हौले हौले से, संभल रही है जिंदगी। कोई ठिकाना नहीं, किसी की जिंदगी का, कोई ठिकाना नहीं, किसी के रुप का, यौवन का, कोई ठिकाना नहीं, और इसी बीच, हौले हौले से , निकल रही है जिंदगी सवर रही है जिंदगी, संभल रही है जिंदगी। बदल रही है जिंदगी।। Nakul Kumar 8083686563

ससुर जी तक

मेरा प्रेम-पत्र कोई, मेरे ससुर जी तक पहुंचा देना। दिल में है हजारों गम , उनमें से एक समझा देना। घबराने की बात नहीं, और इंतजार कर लेना। अपनी पुत्री कहा हाथ, मेरे हाथ में ही देना। मैंने प्रेम पत्र नहीं लिखा है, अंत: मन का संगीत सुनाता हूं। आपकी पुत्री से निभाने को, मैं यह मैसेज आप तक पहुंचाता हूं।

Reporting by Nakul Kumar

मोतिहारी .                                          नकुल कुमार  17.04.2017                                    08083686563                 नगर परिषद मोतिहारी का चुनाव निकट ही है और विभिन्न संभावित प्रतिनिधियों एवं उनके समर्थकों के बीच वाक युद्ध शुरु हो चुका है जहां एक और वर्तमान प्रत्याशी का कहना है कि वर्तमान प्रत्याशी पूजा गुप्ता का कहना है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में अपने वार्ड नंबर 9 के लिए जितना काम किया है उतना इसके पूर्व कभी भी किसी वार्ड पार्षद ने नहीं किया. वर्तमान वार्ड पार्षद श्रीमति पूजा गुप्ता ने कहा कि मैंने अपने वार्ड नम्बर 09 में नाली बनवाया, बिजली की व्यवस्था की, स्वच्छ पानी की व्यवस्था की, अपने वार्ड के गरीब गुरुवे गरीब लोगों को वृद्धा पेंशन दिलवाया, राशन कार्ड दिलवाया ,मिट्टी तेल योजना का लाभ दिलवाया, एवं विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उनके लाभ के लिए एवं अपने वार्ड की उन्नति के लिए मैं सदा सर्वदा कार्य करती रही। जब भी वार्ड के लोगों ने मुझे याद किया, मैंने​ तत्क्षण उनके समस्याओं का समाधान ही नहीं की वरन उनके पास जाकर उनसे मिली एवं व्यक्तिगत रूप से जितना हो सकता था, व

इंतजार में........नकुल कुमार

कई पक्ष बीत गए, मुझे तुम्हारा इंतजार रहा। तुम हमें कब याद किए, हमारा प्यार तो प्यार रहा। यौवन का रूप मलिन हुआ, चन्दा का वही आकार रहा। अॉखों का दीप्ति चली गई, कभी पतझड़, कभी बहार रहा। तुम सोए रहे सघन नीड़ में, दस्तक होता बारंबार रहा।।

भीमराव आंबेडकर/14.04.2017

 नकुल कुमार/मोतिहारी 08083686563                  महाड़ आंदोलन के प्रणेता, दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों की आवाज को बुलंद करने वाले, सदी के महानायक, महान विचारक, महान राजनीतिज्ञ एवं महान वकील श्री बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन।                 भीमराव अंबेडकर ना सिर्फ राजनेता थे बल्कि वे एक समाज प्रतिष्ठित, जन जन के नेता थे। राजनेता सिर्फ एक पार्टी के होकर रह जाते हैं। लेकिन बाबा साहब भीमराव अंबेडकर एक पार्टी के नहीं, एक समूह के नहीं बल्कि दबे-कुचलों, पिछडो़ एवं सामाजिक रूप से शोषित वर्गों के मसीहा थे।                 जिस समय भारत में जात-पात, छुआ-छूत, ऊंच-नीच आदि भावना के आधार पर समाजिक ​रूप से बंटा हुआ था। भारत आजाद तो हो चुका था लेकिन समाज का एक वर्ग अब भी तथाकथित बड़जात्या वर्ग के आधीन रहकर मानसिक, शारीरिक व सामाजिक यातना झेल रहा था। समाज के जिस वर्ग को छोटी जाति का कहके समाज के सभी अधिकारों से वंचित रखा गया था। जिन्हें सड़क पर चलने का अधिकार नहीं था, जिन्हें बराबरी का अधिकार नहीं था जिन्हें अच्छा खाने, अच्छा पहनने, उठने-बैठने व संपत्ति का अधिकार नहीं था। वैस