हमसे समर्पण की चाह रखने वाले, ये तो बता, तेरा क्या है समर्पण ? हमसे अर्पण की चाह रखने वाले, ये तो बता तेरा क्या है अर्पण ? तन भी समर्पित, मन भी समर्पित, अब तो बता, मैं क्या करूं अर्पण । लोभ भी तेरा है, भोग भी तेरा है, इस लोभ का क्यों न, तुम करते हो अर्पण । हमसे समर्पण की चाह रखने वाले, ये तो बता, तेरा क्या है समर्पण ? तनाव में सोता हूं, तन्हाई में खोता हूं, तनाव का कैसे, कर दूं मैं तर्पण। मजबूर सिपाही, हमको न समझो; गर, किया है हमने, खुद को समर्पण । हमसे समर्पण की चाह रखने वाले, ये तो बता, तेरा क्या है समर्पण ? गुणवान सार्थी हूं , रणभूमि का; अब बन जाओ, इस रण के अर्जुन; बांटो न दिल को, बंट जाओगे इक दिन, दरबारी बढ़ाएंगे, कुछ ऐसे धड़कन । हमसे समर्पण की चाह रखने वाले, ये तो बता, तेरा क्या है समर्पण ? #नकुल_कुमार (युवा आलोचक ) 8083686563 08789826276