हमसे समर्पण की चाह रखने वाले,
ये तो बता, तेरा क्या है समर्पण ?
हमसे अर्पण की चाह रखने वाले,
ये तो बता तेरा क्या है अर्पण ?
तन भी समर्पित, मन भी समर्पित,
अब तो बता, मैं क्या करूं अर्पण ।
लोभ भी तेरा है, भोग भी तेरा है,
इस लोभ का क्यों न, तुम करते हो अर्पण ।
हमसे समर्पण की चाह रखने वाले,
ये तो बता, तेरा क्या है समर्पण ?
तनाव में सोता हूं, तन्हाई में खोता हूं,
तनाव का कैसे, कर दूं मैं तर्पण।
मजबूर सिपाही, हमको न समझो;
गर, किया है हमने, खुद को समर्पण ।
हमसे समर्पण की चाह रखने वाले,
ये तो बता, तेरा क्या है समर्पण ?
गुणवान सार्थी हूं , रणभूमि का;
अब बन जाओ, इस रण के अर्जुन;
बांटो न दिल को, बंट जाओगे इक दिन,
दरबारी बढ़ाएंगे, कुछ ऐसे धड़कन ।
हमसे समर्पण की चाह रखने वाले,
ये तो बता, तेरा क्या है समर्पण ?
#नकुल_कुमार (युवा आलोचक )
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