शब्द...........
शब्दों संग, शब्दों में
खोने लगा हूं।
आखिर मैं तेरा,
होने लगा हूं।
मेरी कविता में,
शब्दों की मोती है तू।
मेरे ख्वाबों की बाहों में,
सोती है तू।
कई शब्द, बेशब्द हुए,
अनाथ पड़े हैं।
कुछ गर्व से, कुछ
निर्लज्ज खड़े हैं ।
किसकी लज्जा मैं,
किससे छुपाऊं।
क्यों न नया,
कोई शब्द बनाऊं ।
Words...........
With words
I started losing.
After all,
I have started to be.
In my poem,
You are the pearl of words
In the arms of my dreams,
You are sleeping
Many words, of course,
Orphaned.
Some pride, some
Are shameless standing.
Whose disgrace I am,
Whom to hide
Why not new,
Make a word
#nakul_kumar "critic"
Motihari, Eastern Champaran Bihar 845401
# Mobile_8083686563, 8789826276
# Childhood_readings_and movement
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