मेरे पागलपन की चर्चा,
सारे शहर में फैली है। पर
इस पागलपन में भी,
तुम्हें पहचानता हूं,
यह ख़बर भी,
सरेआम कर दो।।
कुछ अफवाहें,जो
तुमने फैलाई है,
कुछ अपनी मिलाकर।चलो,
अब उनका काम ,
तमाम कर दो।।
मुझे मालूम न था,
कोई मेरे पागलपन का,
इतना मुरीद होगा।
पहले अफवाहें फैलाएगा,
और माफ़ी के बहाने,
इतना करीब आएगा।।
#नकुल_कुमार "आलोचक"
मोतिहारी, पूर्वी चम्पारण बिहार
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