इस तस्वीर को देखिए और विचलित होइए...अगर हो सकते है तो. ये मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड के शीतलपट्टी गांव का अर्जुन हैं. अब इस दुनिया में नहीं है. बाढ की पानी में मां की गोद से गिर कर बह गया. मछुआरों ने लाश निकाली.
मैं इस तस्वीर को अपने डेस्क़टॉप पर संभाल कर रखूंगा. आप भी रखिए. इसलिए...कि जब हमारा चन्द्रयान चान्द को छूने जाएगा तो मैं ये तस्वीर निकाल कर उस यान में रख दूंगा. भगवान आसमान में रहते हैं न. ये तस्वीर जा कर पूछेगी भगवान से, मेरा कसूर क्या था? यही कि मैं गरीब का बेटा था. यही कि मैं सर्वाइवल ऑफ द फिट्टेस्ट थ्योरी पर खरा नहीं उतरता था. तो क्या मैं मार दिया जाऊंगा? मुझे जीने का हक नहीं है?
अर्जुन मरा नहीं. उसे मारा गया है. दोषी कौन है? मैं जानता हूं. लेकिन, मैं कुछ नहीं कर सकता. मैं अकेला कर भी क्या सकता हूं. सिवाए, इसके कि दोषियों के खिलाफ मेरे दिल से सिर्फ बद्दुआ निकले. उनकी बर्बादी की बद्दुआ. ये बद्दुआ कि तबाह हो जाए तुम्हारी अट्टालिकाएं. बर्बाद हो जाए तुम्हारा साम्राज्य. टूट जाए तुम्हारे सुरक्षा की चारदिवारी, जो गरीबों की आंसुओं से तुमको बचाती है.
इस तस्वीर को तब-तब निकालूंगा, जब-जब मुझे न्यू इंडिया का सपना दिखाया जाएगा. तब ये तस्वीर दिखा कर मैं पूछूंगा कि बताओ, न्यू इंडिया में अर्जुन जिन्दा तो रहेगा ना? कोई और अर्जुन बाढ की पानी में तो नहीं बहेगा? मैं ये तस्वीर उन तमाम लोगों के लिए सहेज कर रखूंगा जो मुझे निगेटिविटी की हाइट पर पहुंच चुका इंसान बताते है. मैं पूछूंगा उनसे कि सीरिया शरणार्थी के बच्चे की तस्वीर पर मानवता का पाठ पढाने वालों, बताओ अर्जुन के हत्यारे का नाम क्या है?
आखिर कौन है अर्जुन का हत्यारा? पाकिस्तान, मुसलमान या सत्ता और सिस्टम में बैठे लालची इंसान? जिनके लिए बाढ कामधेनू गाय है. कल्पवृक्ष है. या फिर हमसे-आपसे बना समाज जो अपनी आंखों का पानी भी बाढ के पानी में बहा चुका है. जिसके लिए बाढ एक इवेंट है और सरकार का कुल जमा काम इस इवेंट को हर सल किसी तरह मैनेज कर लेना भर रह गया है.
आखिर क्यों नहीं अर्जुन की मां बागी बन जाए? सत्ता और सिस्टम को चुनौती दे? क्यों नहीं गरीबों के आंसू सैलाब बन कर सत्ता के मद में चूर नेताओं को बर्बाद कर दे? लेकिन, अर्जुन की मां इसे भी अपना प्रारब्ध मान कर चुप रह जाएगी. गरीब चुप रहने को मजबूर है. उनके सवाल भी सत्ता के खिलाफ विद्रोह है. उनका विरोध तो गुनाह-ए-अजीम है. तो अर्जुन बाढ में बहता रहेगा. उसकी मां चुप रहेगी. हम भी चुप रहेंगे और दुनिया यूं ही चलती रहेगी. एक आया, दूसरा जाएगा...सिलसिला चलता रहेगा...सर्वाइवल ऑफ द फिट्टेस्ट थ्योरी के नाम पर गरीब मरता रहेगा.
खैर, मैं ये तस्वीर अपने सबसे बुरे दिनों का संबल बनाने के लिए भी संभाल कर रखूंगा. जब मुझे लगेगा कि इस दुनिया में मेरे लिए कुछ नहीं बचा है, तब ये तस्वीर मुझे जिन्दा रहने का हौंसला देगी. बताएगी कि सिस्टम और सत्ता के लिए तो नवजात अर्जुन भी शिकार था. मैं तो फिर भी अपना जीवन जी चुका हूं.
अलविदा अर्जुन...
Shashi Shekhar सर...
Comments