मन नाहीं लागे सखी बिन रे सजनवा के बिरहिन मनवा के कइसे समुझाईं सावन के झुलुआ लागल सभे डढ़िया से पिया बिनु कइसे हम पेंगवा बढ़ाईं नेहवा के डोरिया बन्हाइल मन मितवा से हिया के दरदिया हम कइसे देखाईं बैरिन अंचरवा बहक जाला अचके ई कुहूकत कोइलिया के कइसे बताईं अब घरे आजा सजन परदेसिया कि मनवा के सारधा हम आपन पुराईं 🌹🌹 डॉ मधुबाला सिन्हा 17/7/2018
क्योंकि सच एक मुद्दा हैं