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How long should the oppressed.....???

Nakul Kumar / Motihari
08083686563

                Shanti Naman, the pioneer of the Maharad movement, who has elevated the voice of dalits, backward and tribal people, the great leader of the century, great thinker, great politician and great lawyer, Shri Baba Saheb Bhimrao Ambedkar.
                    Bhimrao Ambedkar was not only a politician, but he was a society reputed, leader of the masses. Politicians remain left with just one party. But Baba Saheb Bhimrao Ambedkar was not a party but a messiah of a group, but a messenger of the backward and socially exploited classes.
                     At the time when India was divided socially on the basis of caste, touch-touch, high-low, etc. India had been free, but a section of society was still facing mental, physical and social torture under the so called Barjatya class. The class of society which was called a small caste was denied to all the rights of the society. Those who did not have the right to walk on the road, who did not have the right to equal, did not have the right to eat, wear good, rise and sit and property. In the meantime Baba Saheb Bhimrao Ambedkar was born as the Messiah.
                     They fought not only for their rights, but also liberated the slaves of the so-called Barjatya class in independent India. Mental slavery was broken and everyone got equal rights. If Baba Saheb was not Bhimrao Ambedkar, then surely many backward, dalit-adivasis and socially backward people have the right to read, write, sit, eat, drink, visit and property, along with many rights. Those who are receiving today are not received. If we were not Bhimrao Ambedkar, then we would not have received this constitution today. As far as reservation is concerned, it is a necessary fact which must be accepted right from the heart.
                  Many people are giving slogans of saving the reservation today to save the country, but why do not they talk about equality of property ...? After all, is anyone in the country more and someone has less land ...? Why is there any more luxury in a pitiful situation ...? Someone is in the palace, so why are you on the sidewalk ...? Children of money are taking good education in private institutes, while poor children are studying in government ...? Why is not the arrangement of equal education for everyone ....? After all, why not give a slogan to withdraw the reservation?

                           #Today, in different cities of #Uttar_Pradesh, in the name of caste in the name of caste, the inhuman incidents are happening, and the administration has become a mover. It supports some or all of this, if there is a law for Dalits But so many thrusts are being oppressed, if Bhimrao Ambedkar was not there, he would have made the law for the upliftment of the Dalits, then perhaps the oppression on Dalits today may increase manifold many times.
                         After all, this kind of discrimination policy with the Dalits is happening at that time when the increased castes in the state are under the class rule and at the center the person is making a person a chief servant. Is the chair generating such a huge gap between the public and the administration that the voice of the public is not reaching it or the people who deliver it are also from the so-called Badjati class. Those who want to suppress the voices of these poor people want to crush them and always want them to be their object of exploitation, which can not be possible now.
                        The governor will have to wake up and the constitution has given him the right to maintain a mutual harmony by abolishing the hostility between the people and the constitution. This right has to be implemented in every situation. If people or people sitting in the power establishment fail to do so, then surely they have no right to stay in power. Because now the princely states have gone, now the society has been liberated from the castes of racism. It can not be reinstated in the social wallets in the #name of #Hinduism and #Manuism.
                  The fight for social equality started from the Mahaad movement is still going on ... and it will continue until the people get all the rights to social equality but they do not get the right. Equally meaningful or poor children read together in government institutions, they all have the same living conditions. Everyone's property is equal to-equal. Everyone has equal land property. By the time all of them are not equal equal social, economic and political rights, then Ambedkar will remain alive and the constitution will continue to fight.

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जेल में 6 साल से बेगुनाही की सजा काट रही खुशी का हुआ इंटरनेशनल स्कूल में एडमिशन, कलेक्टर के साथ स्कूल पहुँची खुशी बिलासपुर (छग) जब एक पिता अपनी बेटी को खुद से विदा करता है तब दोनों तरफ से सिर्फ आंसू ही बहते हैं। आज बिलासपुर केंद्रीय जेल में ऐसा ही नजारा देखने को मिला। जेल में बंद एक सजायफ्ता कैदी अपनी 6 साल की बेटी खुशी( बदला हुआ नाम) से लिपटकर खूब रोया। वजह बेहद खास थी। आज से उसकी बेटी जेल की सलाखों के बजाय बड़े स्कूल के हॉस्टल में रहने जा रही थी। करीब एक माह पहले जेल निरीक्षण के दौरान कलेक्टर डॉ संजय अलंग की नजर महिला कैदियों के साथ बैठी खुशी पर गयी थी। तभी वे उससे वादा करके आये थे कि उसका दाखिला किसी बड़े स्कूल में करायेंगे। आज कलेक्टर डॉ संजय अलंग खुशी को अपनी कार में बैठाकर केंद्रीय जेल से स्कूल तक खुद छोड़ने गये। कार से उतरकर खुशी एकटक स्कूल को देखती रही। खुशी कलेक्टर की उंगली पकड़कर स्कूल के अंदर तक गयी। एक हाथ में बिस्किट और दूसरे में चॉकलेट लिये वह स्कूल जाने के लिये सुबह से ही तैयार हो गयी थी। आमतौर पर स्कूल जाने के पहले दिन बच्चे रोते हैं। लेकिन खुशी आज बेहद खुश

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