विद्या निकेतन के प्राचार्य डॉ दीनबंधु तिवारी जी का छात्रों के नाम संदेश..... स्वतंत्रता दिवस पूर्व संध्या विशेष
NTC NEWS MEDIA/MOTIHARI
मोतिहारी मैं हिंदी माध्यम स्कूलों में विद्या निकेतन एक सर्वश्रेष्ठ शैक्षणिक संस्थान के रूप में स्वयं को वर्षों से स्थापित किए हुए हैं और इसका सारा श्रेय इस विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर दीनबंधु तिवारी जी को जाता है जिन्होंने 72 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर छात्रों के नाम संदेश प्रेषित किया है सर कहते हैं कि.....
" 72वे स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मुझे यही कहना है कि आज के छात्र देश के भावी कर्णधार नागरिक बनेंगे उन्हें अपनी रुचि के अनुसार विषयों का चुनाव कर पूरे लगन एवं मनोयोग से अध्ययन करना चाहिए जिससे हमारा देश का चतुर्दिक विकास हो आर्थिक वैज्ञानिक या टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हमारा देश अन्य सभी देशों से आगे बढ़े यह किसी एक आदमी के करने से संभव नहीं होगा बल्कि हम सभी की सहभागिता से संभव है ।
हम छात्रों को यही सुझाव देना चाहेंगे कि वह अपने मस्तिष्क को रिसर्च की तरफ प्रेरित करें परंपरागत शिक्षा से अलग हटकर व्यवसायिक शिक्षा की तरफ अपनी कदम बढ़ाए देश में बेरोजगारी दूर करने हेतु रोजगार उन्मुक्त शिक्षा की तरफ वह सब लोग प्रवृत्त हो हम किसी को भी वैज्ञानिक ढंग से उन्नत बनावे जहां खेतों से अधिकाधिक फसल उत्पन्न हो सके हम अपनी प्राचीन संस्कृति को ना भूलते हुए नए वैज्ञानिक सोच विकसित करें सभी क्षेत्रों में परंपरागत मान्यताओं से अलग हटकर वैज्ञानिक मान्यताओं पर ध्यान दें एवं अमल करें कला साहित्य वाणिज्य अर्थशास्त्र के साथ-साथ विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी के प्रति हमारे छात्र रुचि दिखाएं उनकी यह रूचि एक दिन रंग लाएगी और हमारा देश पुनः विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठित होगा। तो इस तरह से विद्या निकेतन के प्राचार्य डॉक्टर दीनबंधु तिवारी जी ने छात्रों से बार-बार अपील की है कि वह अपनी परंपरागत शिक्षा पद्धति से अलग हटकर वैज्ञानिक शिक्षा पद्धति को अपनाया साथ ही कृषि सहित हर क्षेत्र में वैज्ञानिक सोच को विकसित करें । वैज्ञानिकता को स्वीकार करें और विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी के माध्यम से आगे बढ़े तो हमारा देश कम समय में तेजी से विकसित राष्ट्र की तरफ बढ़ सकेगा और तभी भारत विश्व गुरु बन सकेगा। इस में सबसे अधिक सहभागिता छात्रों की होगी। सर बार-बार छात्रों से इस बात के लिए अपील भी करते है क्योंकि उनका कहना है कि आज के छात्र इस देश के भावी कर्णधार हैं और यह छात्र ही आगे जाकर भारत को विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित करेंगे।
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