हमारे समाज में आए दिन घटित होने वाली घटनाओं में बलात्कारभी एक ऐसी घटना है, जो दूषित मनोवृति से उपजती हैं एवं हिंसक रूप धारण करके अपने विपरीत लिंग, समान लिंग अथवा समुदाय को हिंसक रुप से प्रभावित करती है। जिसमें एक पक्ष मानसिक विकृति का शिकार होता है, तो दूसरा उस विकृति से उपजी नई स्थिति से पीड़ित होता है।
👉 मानसिक विकृति👈
जरा सोचिए कि आखिर क्या कारण हो सकते हैं....? क्या इसे मानसिक विकृति नहीं कही जाएगी और इन सब के पीछे सिर्फ और सिर्फ एक कारण है। वह है, मोबाइल पर देखी जाने वाली अश्लील वीडियोस। जिसमें महिलाओं के शरीर के साथ होते खिलवाड़ और उससे जन्म लेती है वह विकृति जो उस चीज को प्रेक्टिकली करना चाहती है और यह प्रेक्टिकली होना ही रेप जैसी घटनाओं को जन्म देती है।
👉एडल्ट👈
एडल्ट होने का यह कतई मायने नहीं है कि आपको रेप अश्लील फिल्में देखने का लाइसेंस मिल गया अथवा लड़कियों को छेड़ने उनके साथ बलात्कार करने का लाइसेंस मिल गया।
👉सरकार से👈
अतः सरकार को पोर्न वेबसाइटों पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जाने, साथ ही साथ सिनेमाघरों में भी पार्ट टाइम चलने वाले इस तरह के अश्लील वीडियोस पर पूरी तरह से रोक लगाया जा सकें की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
सरकार को चाहिए कि ऐसी नीति लाए जिसके तहत इंटरनेट का प्रयोग वही लोग कर सकें जिनकी उम्र 18 वर्ष अथवा उससे ज्यादा हो। साथ ही साथ इंटरनेट का उपयोग में उसकी ईमेल ID की जगह पर उसके आधार कार्ड का नंबर प्रयोग में लिया जाए जिससे व्यक्ति की वास्तविक पहचान सबके सामने रहे।
👉अंतरराष्ट्रीय मंच पर👈
भारत सरकार को पोर्न फिल्म से उपजी दूषित विकृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रखे जाने की आवश्यकता है । जिससे कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पॉर्न फिल्मों पर रोक लगाए जाने की दिशा में आगे बढ़ा जा सके एवं बच्चें-बच्चियों के यौवन,मन,शरीर को इस मानसिक विकृति,उनके शारीरिक शोषण एवं सेक्स फिल्मों से उपजी मानसिक विकृति से बचाया जा सके ।
👉IYC 👈
अंतरराष्ट्रीय युवा सम्मेलन के माध्यम व इंटरनेशनल यूथ समिट के माध्यम से इस समूह के लोगों को इस पर विचार करने की आवश्यकता है । क्योंकि सिर्फ युवाओं को प्रोत्साहित करने से काम नहीं चलेगा बल्कि उन्हें मानसिक एवं सामाजिक बुराई से भी उन्हें बचाना होगा । तभी जाकर हम वैश्विक स्तर पर एक अच्छे युवाओं की फौज खड़ी पाऐंगे और इन्हीं युवाओं से अच्छे समाज का निर्माण कर पाएंगे।
अगर हम सिर्फ रोना रोते रहें कि यह अच्छा नहीं हो रहा है, वह अच्छा नहीं हो रहा है....😢😢😢 । यह होना चाहिए,वह होना चाहिए और हम उसकी शुरूआत से ना करें तब तक अच्छे समाज का निर्माण नहीं हो सकता है।
अतः युवा सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे युवाओं को इन सारी बातों को रखने की आवश्यकता है। ताकि वैश्विक स्तर पर बलात्कार जैसे घिनौने वह मानसिक विकृति पर विचार किया जा सके।
ऐसा नहीं है कि इस तरह की प्रवृत्ति सिर्फ भारत में ही है बल्कि विदेशों में भी भारत से कई गुना ज्यादा ऐसी घटनाएं घटित हो रही हैं और मनोविकार से ग्रसित युवा अपनी जवानी के प्रारंभ में ही जेलों में सड़ रहे हैं और जेलों के बाहर अथवा स्वास्थ्य केंद्रों में लड़कियां मर मर कर जी रही है। अतः अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युवाओं से संबंधित सभी एनजीओज में इस अश्लील फिल्में एवं उससे उपजी बलात्कार जैसी मानसिक विकृति पर विचार होनी चाहिए।
👉क्या करें क्या ना करें👈
👉यदि आप शादीशुदा जीवन जी रहे हैं तो हमेशा ध्यान रखें कि मैथुन से संबंधित कोई भी क्रियाएं बच्चों के सामने न किया जाए। रात के समय भी इन बातों का ख्याल रखा जाए कि पति पत्नी के परस्पर काम उत्तेजना व उससे संबंधित क्रियाकलापों, रतिसुख आदि से अड़ोस पड़ोस के परिवार, बच्चे अथवा छात्र प्रभावित ना होने पाएं।
👉बच्चों को बच्चों वाली ही फिल्में दिखाई जाए। उन्हें सेक्सुअल, कामोत्तेजक फिल्में अथवा सीरियल से दूर रखा जाए।
👉 बच्चों के आग्रह पर उनको मोबाइल ना दिया जाए।
👉 जब भी बच्चे इंटरनेट पर अध्ययन सामग्री आदि ढूंढने अथवा पढ़ने की बात करें तो ध्यान रखें उन्हें स्वयंसेवी सामग्री खोज कर इंटरनेट कनेक्शन काट कर सुपुर्द किया जाए अथवा बच्चें स्वयं से इंटरनेट पर किस तरह की सामग्री पढ़ रहे हैं,देख रहे हैं इस बात का ध्यान रखा जाए।।
👉 अपने बच्चों को कभी भी किसी अपरिचित अथवा परिचित अथवा संबंधी के भरोसे ना छोड़ा जाए । भले ही वह संबंधी अपना चचेरा,ममेरा, फुफेरा भाई ही क्यों न लगता हो। क्योंकि काम/विकर/वासना इंसान को अंधा कर देती है। जैसा कि इस लड़के ने किया है।
👉बच्चों पर लगातार नजर रखी जाए कि आपके बेटे-बेटियों का संगत, कैसे लड़के लड़कियों से है...???
आपके बच्चों का संगत जिन लड़के-लडकियों से हैं उनका विचार व्यवहार कैसा है...?
👉निर्भया कांड👈
ध्यातव्य यह है कि कुछ वर्ष पहले दिल्ली में ही चलती बस में निर्भया का रेप हुआ था और चलती बस से उसे फेंक दिया गया था जिससे उसकी मृत्यु हो गई थी। इसके बाद महीनों तक इसके खिलाफ छात्र-छात्राओं ने आंदोलन किया था। निर्भया केस के खिलाफ पूरे देश में आवाज उठी थी। लड़के-लड़कियों ने कंधे से कंधा मिलाकर निर्भया आंदोलन चलाया था। अपराधियों को कोर्ट ने सजा भी दिया। उनमें से कुछ अपराधियों ने आत्महत्या भी कर ली थी ।
इस तरह की घटनाओं का अभी भी होना यह सूचित करता है कि समाज में वास्तविक समाजसेवियों द्वारा परिवार से शुरू करके वैश्विक स्तर तक अभी भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।
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