Nakul kumar/30.06.2018
NTC CLUB MEDIA /MOTIHARI
मेट्रिक में फर्स्ट करना किसका सपना नहीं होता है हर कोई टॉपर ही बनना चाहता है बचपन से सपने सजाए होते हैं खूब पढ़ेंगे खूब लिखेंगे और मैट्रिक में टॉप करेंगे सपनों को उड़ान उनके कठिन परिश्रम लगन व उत्साह से प्राप्त होती है
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बिहार बोर्ड के मैट्रिक का रिजल्ट आते हैं छात्रों में इसको लेकर काफी उत्साह है कहीं खुशी है तो कहीं गम जिन्होंने कठिन परिश्रम करके प्रथम स्थान या अपने क्षेत्र के सर्वाधिक अंक लाने वाले छात्रों में उत्तीर्ण हुए वे खुश है किंतु जिन्होंने मेहनत की और आकांक्षा अनुरूप नंबर प्राप्त नहीं किया वे कहीं ना कहीं दुखी हैं
आज आपको मिलवाते हैं ऐसे ही गरीब किसान के बेटे रोहित कुमार से जिसने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह स्कूल टॉपर बन पाएगा बकौल रोहित कुमार मैं मेहनत करता गया मेहनत करता गया अपने भैया दीदी अपने स्कूल के दुबे सर एवं ट्यूशन के कुमार शिवम सर के मार्गदर्शन में मैंने कड़ी से कड़ी मेहनत की और आज मुझे मेरी मेहनत का फल मिला मैं बहुत ही खुश हूं
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मालूम हो कि रोहित कुमार पूर्वी चंपारण जिले के चिरैया थाना के खोढा़ पंचायत के सरौगढ़ गांव की गजाधर प्रसाद यादव के पुत्र हैं चार भाई बहनों में रोहित कुमार सबसे छोटे हैं सभी की इच्छा थी की रोहित अच्छे अंको से पास हो और रोहित ने जी तोड़ मेहनत करके सभी के इच्छा एवं आकांक्षा के अनुरूप स्वयं की प्रतिभा का लोहा मनवाया सिर्फ स्कूल में ही नहीं बल्कि अपने पंचायत का सर्वाधिक अंक लाने वाले छात्रों में शुमार हो गया जो लोग कल तक रोहित को नहीं पहचानते थे वह भी आज रोहित और उसके पिता को जाने लगे हैं।
यह पूछे जाने पर की आपने पढ़ाई कैसे की रोहित ने बताया कि मैं खूब सुबह में उठता था सुबह उठकर सबसे पहले याद करने वाले सारे सब्जेक्ट को पढ़कर याद करता था । फिर स्कूल जाने से पहले जो स्कूल में पढ़ाई होनी थी उसका एक घंटा पहले एक घंटा पहले ही पूरा रिवीजन कर लेता था जिससे सर जो स्कूल में समझाते थे उसे समझने में सहूलियत होती थी इतना ही नहीं जिन जिन विषयों की पढ़ाई स्कूल में अगले दिन होनी होती थी उन सबको बुक से पढ़ लेता था अधिक से अधिक सेल्फ स्टडी पर मैंने ध्यान दिया जिसके कारण मेरी अधिकांश तैयारी पढ़ाई के दौरान ही हो गई
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मैथ और साइंस
छात्र का मन काफी जिज्ञासु होता है रोहित भी पढ़ाई के प्रति काफी जिज्ञासु था यही कारण था कि स्कूल की पढ़ाई से वह संतुष्ट ना हो पाने के कारण घर से 20 किलोमीटर दूर मोतिहारी आकर "KUMAR SHIVAM SIR "" के R.A.S. GROUP OF INSTITUTION " मठिया जीरात मोतिहारी में आकर पढ़ने लगा। जिससे मैथ और साइंस में मेरे मन में जो जिज्ञासाएं थी, जो प्रश्न थे, जहां पर समझने वह सीखने की ज्यादा आवश्यकता थी, वहां कुमार शिवम सर से उन विषयों को समझने में काफी सहायता मिली।। इतना ही नहीं कुमार शिवम सर के कोचिंग में जो टेस्ट सीरीज बनाया जाता था उसमें भी मैंने हिस्सा लिया एवं उससे मुझे स्वयं को परखने का मौका मिला इतना ही नहीं टेस्ट सीरीज बनवाने के बाद उस पर जो डिस्कशन होता था उसने मेरे नॉलेज को बूस्ट अप किया।। बकौल शिवम सर रोहित काफी होनहार बच्चा है जब मेरे पास रोहित आया था तो बहुत सारे प्रश्न बहुत सारी जिज्ञासाएं इसके मन में थी और मैं खुशनसीब हूं कि मैंने रोहित के प्रश्न उसकी जिज्ञासाओं को अपने उत्तर से संतुष्ट कर पाया मालूम हो कि कुमार शिवम सर अपने आर ए एस एजुकेशनल एंड सोशल वेलफेयर ट्रस्ट के माध्यम से गरीब व मेधावी छात्रों को मुफ्त शिक्षा भी प्रदान करते हैं इनका सपना है कि सुपर थर्टी आनंद कुमार सर की तरह मोतिहारी में भी गरीब व मेधावी छात्रों के लिए एक सुपर-30 बैच की स्थापना करें
छात्र रोहित कुमार कोई कमजोर छात्र था इन्होंने अपने अभी तक के छात्र लाइफ में कई उपलब्धियां भी अर्जित की हैं जैसे:-
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( 1 ) NTSE Scholarship ( 2015 ) इसके तहत छात्र रोहित कुमार को प्रतिवर्ष सरकार द्वारा ₹6000 बतौर स्कॉलरशिप मिल रही है
( 2 ) GTSE इसके तहत रोहित कुमार को पटना के इंस्टिट्यूशन में आगे के अध्ययन के लिए 50% ट्यूशन फी में छूट के साथ मेडल एवं सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया
( 3 ) Science Olympiad Topper रोहित कुमार साइंस ओलिंपियाड में भी गोल्ड मेडल जीत चुका है
( 4 ) ALLEEN SCHOLARSHIP EXAM एलन जोकि प्राइवेट इंस्टिट्यूट है मैं भी रोहित कुमार ने अपने टैलेंट का जौहर दिखाया इसके तहत इन्हें सर्टिफिकेट एवं 40% स्कॉलरशिप दी की गई।।
इतना ही नहीं स्कूल और ट्यूशन के विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा में भी रोहित कुमार अव्वल दर्जे का छात्र रहा है।
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IAS बनना है सपना
रोहित कुमार का सपना है कि वह एक IAS ऑफिसर बने यह पूछे जाने पर कि आप आईएएस ऑफिसर क्यों बनना चाहते हैं पर रोहित ने कहा की समाज में आज भी महिलाओं पर जोर जोर जुल्म हो रहे हैं आज भी गांव की स्थिति सही नहीं है अच्छी शिक्षा के लिए आज भी शहर से दूर आना पड़ता है मैं IAS ऑफिसर बनकर अपने गांव अपने समाज अपने क्षेत्र का सामाजिक शैक्षणिक आर्थिक स्तर पर विकास करना चाहता हूं साथी साथ मैं अपने किसान पिता के बुढ़ापे का सहारा बनना चाहता हूं ताकि मेरे पिताजी को खेत में कुदाल ना चलाना पड़े।
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