जिस क्षण हम ठान लेते है कि हम कुछ अच्छा करके रहेंगे उस क्षण हम अपने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के रामराज के संकल्प को पूरा कर देते हैं...
यह एक ऐसा संकल्प है जिस संकल्प में सभी शामिल है जाति धर्म भेदभाव आदि का कोई स्थान नहीं है सिर्फ एक चीज जो हम सब में समान दिखती है वह है मानवता।
और मानवता के विकास के साथ ही भारत जब आगे बढ़ेगा तो 21 वी सदी के इस भारत को पूरी दुनिया मुड़ कर देखेगी कि भारत किस तरह से पर्यावरण संरक्षण साफ सफाई के साथ-साथ अध्यात्म और मानवता को भी स्वयं में समेटकर पूरी दुनिया के उत्थान के लिए आगे बढ़ रहा है और फिर पूरी दुनिया भारतीय संस्कृति में स्वयं को शामिल किए बगैर नहीं रह पाएगी।
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चंपारण के संदर्भ में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि चंपारण दुनिया की जीती जागती ऐसी क्रांतिकारी भूमि है जिसने रक्तहीन क्रांति करके, गांधी को महात्मा बनाकर विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक देश को पश्चिमी लुटेरी ब्रिटेन सरकार से मुक्त कराने में अपनी सर्वप्रथम एवं असरदार भूमिका अदा की।
अहिंसा की मुक आवाज जब मुखर होती है तो काफी दूर तक जाती है और यह आवाज आज पूरी दुनिया में गूंज रही है। उस समय जब दुनिया आतंकवाद से त्रस्त है विभिन्न क्षेत्रों में गृह युद्ध की स्थिति बनी हुई है इंसान इंसान को अपनी विचारधारा में बदलना चाहता है मनुष्य की मूल प्रकृति को दबोच कर उसे अपने रूप में डालना चाहता है तब या अहिंसा की आवाज मुखर रूप से एक बार फिर से दुनिया का प्रतिनिधित्व करती है
और जिस क्षण इस अहिंसा की आवाज की प्रतिध्वनि दुनिया में सुनाई देती है और किसी को महात्मा गांधी एवं उनकी सत्य अहिंसा का स्पर्श होता है अर्थात दुनिया महात्मा गांधी को मिस करने लगती है उनके दर्शन को टटोलने लगती है कि इस दुनिया में एक हाड मांस का व्यक्ति भी जन्म लिया था जिसने अहिंसा की शिक्षा दी थी।
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