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नकुल कुमार 08.04.2017pm

बस यूं ही, एलबम निहार रहा था। कुछ पुराने, कुछ नए दोस्तों को, वर्तमान में पुकार रहा था । मंद-मंद ठंड़ी-ठंड़ी हवा चल रही थी, मन में सरगर्मियां बढ़ रही थी।। अकेला बेचैन सा हो गया था, न जाने कहां खो गया था । मन के दरवाजे पर, कोई बार बार दस्तक दे रहा था। सहसा मैं उस ओर मुड़ा, जहां तड़प, दर्द व सांत्वना के सिवा, कुछ भी न था। #कवि_हृदय_की_मंदाकिनी #तू_चांद_ही_रह_मै_चकोर_सही #नकुल_कुमार वक्त-रात का तीसरा पहर 08789826276 08083686563 #By_Google_translator:- Just like that The album was admiring. Some old, some new friends Currently calling out, Slow-blown cold-cold wind was blowing, Aggravation was growing in mind .. The lonely one had become restless, Did not know where it was lost. At the door of the mind, Some were knocking repeatedly  Usually I turned towards that, Where the curse, Except for pain and consolation, There was nothing......... #Nakul_kumar Third time of the night 08789826276 08083686563 #Poet_heart_melodic #You_remain_the_moon_i_am_Ptarmigan

बचपन पढ़ाओं आन्दोलन 07.04.2017

आज दिनांक 07.04.2017 को #बचपन_पढ़ाओ_आन्दोलन की कक्षा में 17 बच्चों की उपस्थिति रही। आज बच्चों को  हिंदी पहाड़ा एवं पार्ट्स ऑफ बॉडी (शरीर के अंगों का अंग्रेजी में नाम) बताया गया। चरणबद्ध तरीके से बच्चों को सारी शिक्षाएं दी जा रही हैं हमारी कोशिश किया है कि बच्चे लिखने से ज्यादा मौखिक रूप से पढ़ें सुने वह समझें। ताकि बस्ते के बोझ से उन्हें बचाया जा सके एवं मनोरंजन के माध्यम से बच्चों में शिक्षा धारण करने की क्षमता विकसित हो सके तभी बचपन पढ़ाओं आंदोलन का वास्तविक लक्ष्य पूरा हो पाएगा। आप सब के अपार स्नेह के लिए धन्यवाद । नकुल कुमार आलोचक मोतिहारी, पूर्वी चंपारण, बिहार-845401 Mb_08789826276 Mb_08083686563 #बचपन_पढ़ाओं_आन्दोलन #बच्चा_पढ़ेगा_तभी_देश_बढे़गा #vision2020

अंधियारे में रोशनी

हम अंधियारे में रोशनी, ​ रोज रोज जलाते हो।। कभी भीतर भी दीपक, जलाया करो ।। कभी कभी, अपने तम के गहरे सागर में, गोता लगाया करो।। कुछ मोती वर्षों से पड़े हैं, उन्हें निकाल लेना।। क्योंकि इन्ही से, भविष्य की माला बनने वाली।। नकुल कुमार आलोचक मोतिहारी पूर्वी चम्पारण 08083686563 08789826276

प्रेम पत्र.............. हे राम

पहले प्यार की पहली चिट्ठी, दे आया हूं हे राम।। लोक-लाज को छोड़कर, कुछ कह आया हूं हे राम।। बड़े नियंत्रण से वर्षों तक, मैंने पढ़ा देखा, हर पोस्ट को,हर पिक्चर को।। अब अब पोस्ट और पिक्चर से आगे, बात बढ़ाया हूं हे राम ।। नकुल कुमार आलोचक मोतिहारी पूर्वी चम्पारण बिहार 845401 08789826276 08083686563

शब्द ​से नकुल कुमार तक

तनख्वाह वाली भावी पत्नी के नाम बेरोजगार पति की चिठ्ठी:-- हे प्रिय मैं क्या लिखूं हर शब्द में तेरी आहट है। हर शब्द में तेरी चाहत है। हर शब्द ऐसे बेकरार है, तुममें मिटने को तैयार है। तुम शब्द से आह भरती हो, क्यों इतना चाहत करती हो। इन शब्द से पटती दूरी है, अब ऐसी क्या मजबूरी है। मैं शब्दों​ में शबनम देखा हूं, तुम्हें शब्द में हरदम रक्खा हूं। मैं रात को रात न समझा कभी, दिन में भी खुद को मिटा दिया। तेरी काम वाण का आकर्षण, अमावस्या को चांद दिखा दिया। हे प्रियतम अब बेकरार हूं, तुममें, मिटने को तैयार हूं। तुम शब्द कमान से, काम-बाण, यूं बार बार चलाओ न। मेरे सन्नाटे से जीवन में, तुफान बन आ जाओ न। तुम शब्द से शब्द मिलाओ ना, कभी मुझमें आ बस जाओ ना। #तुम्हारा भावी बेरोजगार पति। नकुल कुमार आलोचक मोतिहारी पूर्वी चम्पारण बिहार 08789826276 08083686563

नकुल विचार

Good morning friends कुछ लोग कुछ लोगों को पागल कह रहे थे इंटरेस्टिंग बात यह है कि जिनको पागल कहां जा रहा था उन्हीं लोगों ने समाज को पागलपन से बचाया कितना अजीब बात है ना। नकुल कुमार आलोचक मोतिहारी 08789826276 08083686563