तनख्वाह वाली भावी पत्नी के नाम बेरोजगार पति की चिठ्ठी:--
हे प्रिय मैं क्या लिखूं
हर शब्द में तेरी आहट है।
हर शब्द में तेरी चाहत है।
हर शब्द ऐसे बेकरार है,
तुममें मिटने को तैयार है।
तुम शब्द से आह भरती हो,
क्यों इतना चाहत करती हो।
इन शब्द से पटती दूरी है,
अब ऐसी क्या मजबूरी है।
मैं शब्दों में शबनम देखा हूं,
तुम्हें शब्द में हरदम रक्खा हूं।
मैं रात को रात न समझा कभी,
दिन में भी खुद को मिटा दिया।
तेरी काम वाण का आकर्षण,
अमावस्या को चांद दिखा दिया।
हे प्रियतम अब बेकरार हूं,
तुममें, मिटने को तैयार हूं।
तुम शब्द कमान से, काम-बाण,
यूं बार बार चलाओ न।
मेरे सन्नाटे से जीवन में,
तुफान बन आ जाओ न।
तुम शब्द से शब्द मिलाओ ना,
कभी मुझमें आ बस जाओ ना।
#तुम्हारा भावी बेरोजगार पति।
नकुल कुमार आलोचक
मोतिहारी पूर्वी चम्पारण बिहार
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