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..........यादों में 2017...👌...👍...💐

पुराने साल में जो गिले-शिकवे थे, उन्हें भुला देना सनम।। नए साल में, मोहब्बत की नई दास्तान लिखने की, एक आरजू है हमारी।। बहुत लड़ाई झगड़े हम, मोहब्बत भी तो हमने हीं की थी।। कुछ बेरुखी तुम्हारी, कुछ रुसवाइयां हमारी। अब उन्हें भुला दो सनम।। मोहब्बत की नई दास्तान लिखने की, एक आरजू है हमारी। तुम्हारा बेमतलब का मैसेज करना, और मेरा भी शायराना जवाब देना, तुम्हारी ओर इशारा करके, कविता की पंक्तियां बनाना , और उन पंक्तियों में तुम्हारा चित्रण करना। शायद तुम्हें पसंद भी था ना भी। उन शिकवे शिकायतों को भुलाकर, अब मुस्कुराओ सनम ।। मोहब्बत की नई दास्तान लिखने की, एक आरजू है हमारी।। 💐तुम्हारा💐 📝कवि हृदय: नकुल कुमार 📱8083686563

.........अच्छा है।

बस  तनहाई में कुछ लिख लेता हूं...📝,कुछ गा लेता हूं...🎤 कुछ गुनगुना लेता हूं... जाने क्यों जमाना मुझे आशिक समझता है... प्यास बुझाए जो अधजल गगरी नकुल की, तेरी भरी गगरी से मेरी अधजल गगरी अच्छा है। दिल ये मेरा, गुस्ताखियाँ करता है बार-बार, मिलकर समझाना इसे, अभी यह बच्चा हैं। मुझे दिखाने के लिए तुम जो "फेयर & लवली" लगाते हो, सच कहूं तो तुम्हारा कालापन, फेयर & लवली के गोरेपन से अच्छा है👯 तुम जो बार बार मेसेंजर देखकर ऑफलाइन हो जाते हो , मेरे मैसेज के लिए तुम्हारा यूं बेचैन रहना अच्छा हैं। तुम्हें रूठने और मुझे मनाने🙏 की आदत है, फिर तो तुम्हारा रूठना💔 ही अच्छा है। तुम जो रूठकर दूर-दूर रहते हो मुझसे, ये दूरी नजदिकियों से अच्छा है। कवि: नकुल कुमार

Dharmendra KR singh Kanpur UP India

#तुम्हे_दो_रोटी_खिलाकर तुम्हे दो रोटी खिलाकर तुमसे बहुत कुछ ले गए हम. तुम्हारा झोपड़ा झोपड़ा ही रहा महलों के हो गए हम. नीयत साफ़ थी बरकत ने किवाड़ खटखटाये झुर्रीदार हांथों ने रखा सिर पर हाथ, तो नन्ही मुस्कानों ने मेरे दिल के बाग़ सजाये. न मालूम कब दे देते हो अक्सर... हमने दुआओं का असर देखा है, वेश बदल बदल आती और सताती ज़िन्दगी का सफ़र देखा है. जाने कब समझोगे? तुम अपनी कमज़ोरियों पर खड़े महलों के राज को. तुम्हे बोलना नहीं आता तुम्हारे उत्थान की बात करने वाले, तुम पर राज करने वाले ही चुराते है तुम्हारी कमी, तुम्हारे दर्द और तुम्हारी आवाज़ को. रही होगी ज़रूर किसी ख़ुशी की तलाश अरसा पहले बढ़ चले कदम तुम्हारी ओर. बड़ी बड़ी महफ़िलों की शान देखी नही भाया उनका शोर. देखे तमाम दोहरे रंग. खुद को उनके नाकाबिल पाया नहीं सुहाए मुझे, कुछ ढंग. करना दुआ खुदा से 'धरम' के करम को वो इतना नवाज़ दें तुम्हे केवल पलते नही संवरते भी देख सकें हम तमाम दिलों को सेवा और समर्पण का वो, साज दें. आत्मकथ्य:  एक सत्य जो कौंधा मन में हिलोर मेरे मन की : धर्मेन्द्र Jgd जयहिन्द सत्यमेव जयते 7860501111 Dharmendra KR Singh SAHWES Sowi

मोतिहारी के शायर जनाब रफी साहब

कलम से जादू बिखेरी है आपने, डर लगता हैआपके लिए कलम चलाने में।।            .मोतिहारी के जाने माने शायर #जनाब_रफी_साहब सिर्फ एक शायर ही नहीं बल्कि एक जिंदादिल  इंसान भी है। आप पेशे से एक #शिक्षक एवं #पत्रकार हैं । एवं सामाजिक दृष्टिकोण से आप एक कुशल समाजसेवी व वक्ता हैं। वर्तमान समय में आप मोतिहारी शहर के प्रतिष्ठित विद्यालय जीवन पब्लिक स्कूल में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे है।                 आपका मानना है कि पूरा समाज वैचारिक दृष्टिकोण से बना बढ़ा है एवं विचारों के माध्यम से ही इस में परिवर्तन लाया जा सकता है। अपनी कविता के माध्यम से भी आपने मोतिहारी शहर की से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर अपनी मुखर राय व्यक्त की है। चाहे वह मोतीझील का मुद्दा हो, चाहे वह साफ सफाई का मुद्दा हो या छात्रों के शैक्षणिक विकास से संबंधित मुद्दा हो।।                श्रीमान आपका विचार क्रांती अभियान सफल हो । एवं हमारा मोतिहारी शहर आपके गुण विचार एवं लिखने से सदा लाभान्वित होता रहे इन्हीं शब्दों के साथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।।                आपका नकुल कुमार 8083686563 फाउंडर  बचपन पढ़ाओ आन्दोलन NTC CLUB M

....उल्झन

उलझाने तो मकड़ी के जाल सी है, एक बार जो झाड़ू तुम उठाओ नकुल।।

......प्रधान सेवक के आंसू

फफक फफक कर, इतना रोना, जायज नहीं साहब।। कि जी एस टी के जमाने में , गील्सरीन मंहगा न करो।।

............होठों पर तेरी

सुर्ख होठों पर तेरी, जो लाली थी ।  वह लाली,                                                                   चुराई है किसने ।। हमने शामों-पहर, ख्वाबों में पाया हैं तुमको।  घर उसका जले,  जुदाई की साजिश की हैं जिसने ।। इक वफा तुम भी करो, इक वफा हम भी करें। आओ अब संग जीएं, आओ अब संग मरे।।