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मैं आजाद पाण्डेय बोल रहा हूँ...............

#मैं_आज़ाद_पांडेय_बोल_रहा_हूँ। अगर पूरा पढ़ लेंगें तो आप बहुत कुछ सोचने पर मजबूर जरूर हो जायेंगें। मैं आज़ाद पांडे बोल रहा हूँ। मेरे दो हाथों को काटने की कोशिश की गयी है। यूं तो मेरे 100 हाथ हैं लेकिन प्रियेश मालवीय और प्रणव द्विवेदी मेरे दो ऐसे हाथ हैं जिनपर आई आंच मुझे ख़ास तकलीफ देती है। मेरे इन दो भाइयों का परीक्षा का समय चल रहा है। ये परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। इनके छात्रावास में 03 दिन से बिजली पानी सब गुल था। ये शिकायत कर कर के थक हार चुके थे। इन्होंने अंत में धरना प्रदर्शन किया। लेकिन इनकी किस्मत खराब थी कि उसी वक़्त किसी अराजक तत्व ने विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर साहब के घर पर ढेला पत्थर चला दिया। प्रॉक्टर साहब इतने आगबबूला हुए कि मेरे इन साथियों को ही फर्जी में फंसा दिया और ह्त्या के प्रयास जैसा गंभीर मुकदमा दर्ज कराकर इन्हें विश्वविद्यालय से निलंबित भी कर दिया। ज़रा गौर फरमाइए। आज के समय में जब मेरे इन दो भाइयों पर फर्जी गंभीर धाराएं लगीं हैं तब कई ढोंगी लोग फर्जी में मुंह बनाकर मेरे पास सांत्वना देने आ रहे। कई लोग मेरे सामने आदरणीय प्रॉक्टर साहब और विश्वविद्यालय प्रशासन को जम कर ग

Who is Supiya Bharti.....???

Read the ............ Junior Mother Teresa from the book of NAKUL KUMAR "The Story of Supriya Bharati 📝 familiar Dumariya is a small village in Belhar Panchayat in Banka district of Bihar. If Bihar is a village, then imaging more for it is ineffective in itself. But there can not be any social worker or scholar even in the absence of that village. Supriya Bharti, who came out from the middle of such a lack, 📝 Bachpan📝 From childhood, Supriya Bharati was fond of reading and teaching. But the mind of the mind remained subdued in the mind itself. This passion of study inspired him to take the ISC and after 10th, he started to study Jamui in the daughter-in-law's daughter-in-law for further studies. During the registration of Jamui Women's College, she met a girl who told Supriya Bharti about things that her maternal uncle teaches children free education in her village and working on free educational awareness in her area. So much heard that Supriya Bharti's curiosity w

कौन है सुप्रिया भारती.......???

📝नकुल कुमार की कलम से ...........पढ़िए जूनियर मदर टेरेसा "सुप्रिया भारती की कहानी 📝परिचय📝                  बिहार के बांका जिले के  बेलहर पंचायत  में एक छोटा सा गांव है डुमरिया । चुकि बिहार का गांव है तो उसके लिए ज्यादा इमेजिन करना अपने आप में बेमानी है। किंतु उस गांव से आभाव के बीच भी कोई समाजसेवी अथवा विद्वान ना निकले ऐसा हो ही नहीं सकता।। ऐसे ही अभाव के बीच से निकली सुप्रिया भारती।  📝बचपन📝 बचपन से ही सुप्रिया भारती को पढ़ने एवं पढ़ाने का शौक था। किंतु मन की बात मन में ही दब कर रह जाती थी। पढ़ाई का यही लगन उन्हें आईएससी करने के लिए प्रेरित किया और 10th के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए जमुई अपने बड़े पापा की बेटी के ससुराल में आकर करने लगी । जमुई विमेंस कॉलेज में रजिस्ट्रेशन के दौरान उसकी मुलाकात एक लड़की से हुई जिसने सुप्रिया भारती को बातों ही बातों में बताया कि उसके मामा जी अपने गांव में बच्चों को निशुल्क शिक्षा देते हैं एवं अपने क्षेत्र में निशुल्क शैक्षणिक जागृति पर कार्य कर रहे हैं । इतना सुना कि सुप्रिया भारती की जिज्ञासा सातवें आसमान पर थी। अब वह जाना चाहती थी कि आखिर उसकी

पैसा ही सबकुछ........

नीचे दिए गए लिंक को खोलिए और देखिए Nakul Kumar  के #बचपन_के_मित्र Aditya Gupta की दमदार एक्टिंग....... https://youtu.be/H_dszpvKL0A                छोटे-छोटे मूवी के माध्यम से आदित्य गुप्ता के कदम बॉलीवुड इंडस्ट्री की तरफ बढ़ने लगे हैं . मालूम हो कि आदित्य गुप्ता का प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा विद्या निकेतन मोतिहारी से हुई . इन ही दिनों आदित्य गुप्ता की मुलाकात नकुल कुमार, राहुल, अंशु, प्रवीण ,आदि मित्रों से हुई एवं #मुन्ना_भाई_सर के मार्गदर्शन में विभिन्न ड्रामा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सभी को हिस्सा लेने का मौका मिला और धीरे-धीरे यह गुण सब में विकसित होते गए . आज सभी अपने अपने क्षेत्र में अपने अपने मुकाम हासिल करने को आतुर हैं। जहां एक ओर Anshu Tiwary  भी छोटी-छोटी स्क्रिप्ट के माध्यम से बॉलीवुड में एंट्री को तैयार हैं। #नकुल_कुमार #बचपन_पढ़ाओ_आंदोलन के माध्यम से समाज में शैक्षणिक जागृति को तैयार हैं .अन्य मित्र भी अपने अपने क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं । इस लिंक को खोलिए और देखिए आदित्य गुप्ता की दमदार एक्टिंग।। https://youtu.be/H_dszpvKL0A

बचपन

#बचपन सुहावन होता है, #बचपन मनभावन होता है । #बचपन जीवन की नींव है, #बचपन स्वभाविक जीव हैं। #बचपन मंगल प्रभात है , #बचपन जीवन की शुरूआत है। #बचपन को ही पढ़ाना है, #बचपन में ही सिखाना है। #बचपन को सुधार कर, एक सभ्य समाज बनाना है ।। आइए सब मिलकर #बचपन_पढ़ाएं...... #नकुल_कुमार फाउंडर: #बचपन_पढ़ाओ_आन्दोलन                                        "बच्चा पढ़़ेगा तभी देश बढ़ेगा" #NTC_CLUB_Motihari

सावित्रीबाई फुले जयंति........

👉 3 जनवरी, सावित्रीबाई फुले जयंती          जो सरस्वती को तो जानते है लेकिन सावित्री बाई फूले को नही जानते कृपया ये पूरा पढ़े...       नाम– सावित्रीबाई फूले जन्म– 3 जनवरी सन् 1831 मृत्यु– 10 मार्च सन् 1897 👉 उपलब्धि कर्मठ समाजसेवी जिन्होंने समाज के पिछड़े वर्ग खासतौर पर महिलाओं के लिए अनेक कल्याणकारी काम किये, उन्हें उनकी मराठी कविताओं के लिए भी जाना जाता है। 👉 जन्म व विवाह सावित्रीबाई फूले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगाँव नामक स्थान पर 3 जनवरी सन् 1831 को हुआ। उनके पिता का नाम खण्डोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। सन् 1840 में मात्र नौ वर्ष की आयु में ही उनका विवाह बारह वर्ष के ज्योतिबा फूले से हुआ। महात्मा ज्योतिबा फूले स्वयं एक महान विचारक, कार्यकर्ता, समाज सुधारक, लेखक, दार्शनिक, संपादक और क्रांतिकारी थे। 📝 सावित्रीबाई पढ़ी-लिखी नहीं थीं। शादी के बाद ज्योतिबा ने ही उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाया। बाद में सावित्रीबाई ने ही पिछड़े समाज की ही नहीं, बल्कि देश की प्रथम शिक्षिका होने का गौरव प्राप्त किया। उस समय लड़कियों की दशा अत्यंत दयनीय थी और उन्हें पढ़ने लिखने की अनुमति तक न

नकुल कुमार की कलम से.....

#नकुल_कुमार_की_कलम_से.......... ★सिंधिया हिब्बन स्थित श्मशान के बीचो-बीच चाटी मां मंदिर एवं आसपास लगे मेला की झांकिया..........               कितना अच्छा लगता है जब मेला अपने गांव के आसपास लगता है ।कितना खुशनुमा माहौल होता है। लोग  सज धज के आते हैं । कुछ मैया से मांगने आते हैं ।कुछ खाने पीने आते हैं। कुछ दान दक्षिणा करने आते हैं और कुछ एक दूसरे को देखने आते हैं .....😂😂😂.              सच में कहूं मुझे तो बहुत अच्छा लगता है क्योंकि मैं मेला जाता हूं देवी मैया को प्रणाम करता हूं एवं लौटते समय जलेबी,पकौड़ी,मिठाई,नमकीन जलेबी,गुपचुप और भी तरह तरह के पकवान खाते आता हूं । झूले पर नहीं चढ़ता हूँ , चुकी मुझे डर लगता है लेकिन देखने पर ईतना आनंद आ जाता है जिसकी आनंद अनुभूति को इन शब्दों से गढा नहीं जा सकता है। शब्द कम पड़ जाते हैं ।                   चारों तरफ खेत खलिहान और बीच में श्मशान और उस बीच मे चाटी मां का मंदिर। बिल्कुल अध्यात्मिक एवं अद्भुत नजारा होता है । कभी मौका मिले तो आप भी आइए 31 दिसंबर से 3 जनवरी तक जब भव्य आयोजन होता है धन्यवाद