जहां एक और देखा गया है कि बहुत से छात्र पैसे के लिए अपने माता पिता को परेशान करते हैं यहां तक की घर की कोई कीमती वस्तु चोरी छिपे बेच देते हैं अथवा चोरी_करने जैसी घिनौनी घटना को अंजाम देते हैं। इतना ही नहीं बहुत से छात्र सड़क रोक रोक कर चंदा माँगते है एवं सरस्वती पूजा जैसी पवित्र पूजन पद्धति को बदनाम करते हैं।
आप जरा स्वयं विचार करें कि क्या सरस्वती पूजा के नाम पर चंदा बटोरना,सड़क रोक-रोककर लोगों को परेशान करना, माता-पिता को परेशान करना एवं चंदे से एकत्रित राशि से नाच-गाना, धूम-धड़ाका करना एवं वास्तविक पूजन पद्धति से हटकर विभिन्न क्रियाकलापों को अंजाम देना....क्या वास्तव में यह सरस्वती पूजा है ? आखिर हम पूजन पद्धति का मजाक क्यों बना रहे हैं ।
दूसरी ओर जब सरस्वती माता के मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। उस समय अश्लील भोजपुरी गाने बजाकर डांस करना,चलते हुए राहगीरों को जबरदस्ती अबीर लगाना ,,,,यह हमारी वास्तविक सरस्वति पूजा नहीं हो सकती।
वास्तविक सरस्वती की साधना यही कहती है कि हम उन सभी पद्धतियों को अपनाएं,जिनसे हमारा बौद्धिक विकास हो, हमारा आध्यात्मिक विकास हो, हमारा सामाजिक विकास व राजनीतिक विकास हो। एवं हम एक अच्छे इंसान के रूप में अपने विभिन्न क्रियाकलापों से समाज को ज्ञान मार्ग से लाभान्वित करें।
वर्तमान सरस्वती पूजा पद्धति ज्ञानमार्गी पूजा पद्धति से भिन्न है क्योंकि कुछ लोगों ने सरस्वती पूजा को विकृत रूप में प्रस्तुत किया है जिससे वास्तविक पूजन पद्धति सामने नहीं आ पाती है अथवा धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है ।
जहां एक ओर छात्रों को सुबह में जल्दी उठना चाहिए। प्रणायम,आसन,ध्यान, सूर्य नमस्कार आदि क्रियाएं करनी चाहिए तो वही आज के छात्र सूर्योदय के बाद उठते हैं और जो पहले उठ भी जाते हैं,उनका मकसद सिर्फ ट्यूशन कोचिंग भर ही रहता है । स्वयं से उठकर ज्ञान अर्जित करना नही, स्वाध्याय करना नहीं। यहां तक कि आज के छात्र सबसे पहले उठते ही पानी नहीं पीते बल्कि चाय की ही डिमांड करते हैं । जिससे उन्हें कब्ज, गैस, बदहजमी आदि बहुत सारी शिकायत हो जाती है ।उनका शरीर स्वस्थ नहीं रह पाता है। स्वप्नदोष आदि के द्वारा उनका भी पतन हो जाता है।
वास्तविक सरस्वती की साधना वही है, जिससे हमारा सर्वांगीण विकास हो ना कि सड़क रोक कर लोगों को परेशान करना, ना कि माता-पिता को परेशान करना, ना की अश्लील फिल्मी गाने बजा कर पड़ोसियों को परेशान करना आदि है । वर्तमान समय में वास्तविक सरस्वती पूजा एवं ज्ञान साधना कर लोप हो गया है।
अतः उपरोक्त लेखन के द्वारा मैं छात्रों से अनुरोध करता हूं कि छात्र इस सरस्वती पूजा से ही संकल्प लें कि वह सरस्वती पूजा के नाम पर किसी को भी चंदा के लिए परेशान ना करेंगे । वह काल्पनिक सरस्वती पूजा से परे वास्तविक सरस्वती की साधना करेंगे जिससे उनका विकास हो सके एवं उनका इस विकास से विभिन्न रूपों में समाज लाभान्वित हो सके।।
🙏धन्यवाद🙏
Nakul Kumar
Founder:- (1) NTC CLUB
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