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बरसाती चर्म रोगों का होम्योपैथिक में हैं स्थाई इलाज : ड़ॉ. धीरज कुमार

  भीगा भीगा मौसम आया रे....यूं तो बरसात का मौसम का इंतजार सभी बेसब्री से करते हैं । चाहे वह शहर का जवान हो या गांव का किसान हो। यदि बरसात ना हो तो फसल का उत्पादन नहीं हो पाएगा । लेकिन यही बरसात का मौसम तब खतरनाक हो जाता है जब इस मौसम में फंगल इंफेक्शन से बहुत सारी बीमारियां घर कर जाती है।
                 बरसात में होने वाली इन्ही बीमारियों के बारे में जानकारी एवं इससे होने वाले बचाओ पर आज हमने चर्चा की मोतिहारी शहर के जाने-माने होमियोपैथिक डॉक्टर व समाजसेवी "डॉ धीरज कुमार" से।।

📝नकुल कुमार:
                       सर, सबसे पहले हमारे पाठकों को बताया जाए कि बरसात में कौन-कौन सी डिजीज उन्हें परेशान कर सकती है और उनका प्रिकॉशन(बचाव)क्या-क्या है ...???

  ➕ डॉ. धीरज कुमार (डॉ.साहब):      
                                               देखिए बारिश का मौसम अपना खास महत्व रखता हैं वहीं कुछ स्वास्थ्य से संबधित असहनीय परेशानियां मानव शरीर पर उत्पन्न करता है या दबी हुई रोगों को बढा देता हैं।
                                    बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा तकलीफ होती है वह है चर्म रोग से, क्योकि नमी के कारण ये तेजी से फैलता है। चर्मरोग में सबसे आम बीमारी है फंगल इन्फेक्शन, जो गर्मी और बारिश में बहुत होता है। इसे साधारण भाषा में दाद भी कहते हैं।  दाद एक प्रकार का चर्मरोग होता है, जो किसी भी प्रकार की क्रीम या दवा लगाने या खाने के बाद भी बार बार हो जाता है, परन्तु होम्योपैथी की दवाओं से यह कुछ ही समय में हमेशा के लिए ठीक हो जाता है। यह किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है। यह शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। इसे रिंगवर्म भी कहते हैं। बारिश और गर्मी के मौसम में यह ज्यादा तेजी से फैलता है।

कारण:-वैसे तो यह "टीनिया" नामक वायरस के कारण माना जाता है, परन्तु होम्योपैथी के अनुसार शरीर में सोरा दोष और टूबरकूलर (tubercular diathesis) माना जाता है। यह किसी वर्म या कीड़े के कारण नहीं होता है। शरीर के अलग अलग जगह पर होने के कारण इसके अलग–अलग नाम है, जैसे 💉💉💉💉⚗➕
शरीर में हैं, तो टीनिया कार्पोरिस (tenia corporis),
सिर में है तो टीनिया केपेटिस (tenia capatis),
पैर में है तो टीनिया पेडिस (tinia pedis),
हाथों में है तो टीनिया मेनम (tinia menum) आदि।

                           यह बहुत तेजी से फैलने वाला रोग होता है। नमी या पसीने के कारण यह तेजी से फैलता है। यह बिमारी पुरे शरीर में कही भी हो सकता है परंतु अधिकतर लोगों को यह groin area मतलब जांघ और जननांग के बिच के भाग में ज्यादा होता है।

📝पत्रकार:-
डॉक्टर साहब आखिर इन रोगोंं के कौन-कौन से लक्षण हैं???
एक आम आदमी खुद से कैसे आइडेंटिफाई करेगा कि उसे इस टाइप का प्रॉब्लम हुआ है...?

➕डॉक्टर साहब
💉☠लक्षण :-☠💉
शरीर के चर्म पर कही भी खुजली होना, गोलाकार या अंडाकार पैच हो जाना, चिपचिपाहट रहना, पानी का स्राव महसूस होना,जलन होना, कपड़ा खोलने के बाद अत्यंत तीव्र बेचैन करने वाला खुजली होना.     
            उक्त लक्षणों के कारण मनुष्य के मन में निराशा, बेचैनी, नींद कम हो जाना व चिड़चिड़ापन👹 का भाव आ जाता है.

📝पत्रकार:- डॉक्टर साहब यदि उपरोक्त लक्षण जैसा कि आपने बताया किसी में हो या कोई महसूस करता है कि यदि उसमें यह लक्षण है तो इसका क्या इलाज है...?

,➕डॉक्टर साहब:-
💉⛑ईलाज :- ⛑💉
देखिए इस तरह का यदि लक्षण है तो सबसे पहले आप अपने निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर  डॉक्टरी परामर्श लें।इसके अलावा इससे ज्यादा घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि बरसाती दाद व किसी भी तरह के चर्म रोग का स्थायी इलाज मुख्य रूप से होम्योपैथिक दवाओं से संभव है. होम्योपैथी की दवायें जैसे रसटक्स, नैटरमसल्फ, टैलुरियम, सल्फर,सोरिनम, पेट्रोलियम, डलकामारा आदि दवा का उपयोग होम्योपैथ चिकित्सक के सुझाव पर करना चाहिए.
दाद वाले जगह को स्नान के बाद सुखे कपड़े से साफ रखना चाहिए व सादे नारियल तेल का प्रयोग करना चाहिए.

➕ ➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕➕

⛑डॉ धीरज कुमार ⛑
चिकित्सा पदाधिकारी
(बिहार सरकार) 

👉 होम्योपैथ चिकित्सक
गांधी स्मारक गेट, स्टेशन रोड
मोतिहारी

📞9430522421

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