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संघर्ष चुनौती एवं कामयाबी का दूसरा नाम ज्योति झा .....फैशन के साथ बिजनेस और सामाजिक क्षेत्र में भी बनायी विशिष्ट पहचान ।।



         आज बादलों ने फिर साज़िश की
         जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की
         अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की
         तो हमें भी ज़िद है ,वहीं पर आशियाँ बनाने की
        ज्योति झा ने न सिर्फ फैशन और मॉडलिंग की दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान बनायी बल्कि बिजनेस और सामाजिक क्षेत्र में बल्कि अब अलहदा पहचान बना ली है। उनकी जिंदगी संघर्ष, चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा
सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है।ज्योति झा ने अपने
अबतक के करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर
कामयाबी का परचम लहराया। ज्योति झा इन दिनों ग्रुमिंग एक्सपर्ट ,
पर्सनालिटी डेवलपमेंट
एक्सपर्ट , होलियेस्टिक योगा एक्सपर्ट और मांइड फुलनेस एक्सपर्ट के रूप
में काम कर रही हैं।
      दुनिया के सबसे बेहतरीन और मशहूर लोग वो होते है जिनकी अपनी एक अदा
होती है…. वो अदा जो किसी की नक़ल करने से नही आती… वो अदा जो उनके साथ
जन्म लेती है…!!बहुमुखी प्रतिभा से लोगों के दिलों पर राज करने वाली
ज्योति झा की शख्सियत भी कुछ ऐसी ही हैं।
       बिहार की राजधानी पटना में जन्मीं ज्योति झा के पिता श्री अभय
चंद्र झा सरकारी नौकरी में थे जबकि मां श्रीमती श्यामा देवी लोक गायिका
थी। माता-पिता ने घर की लाडली बेटी ज्योति को अपनी राह खुद चुनने की
आजादी दे रखी थी।
ज्योति झा की छह बहन और चार भाई हैं।ज्योति झा फैशन की दुनिया में अपनी
पहचान बनाना चाहती थी।ज्योति झा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजधानी पटना
के प्रतिष्ठित पीसीएस स्कूल से की। ज्योति झा मैट्रिक में स्टेट टॉपर भी
बनी। मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद ज्योति झा इंटर की पढ़ाई पूरी
करने के लिये झारखंड की राजधानी रांची चली गयी जहां उन्होंने डीएभी जवाहर
विद्या शामली से पढ़ाई पूरी की।
     
    जुनूँ है ज़हन में तो हौसले तलाश करो
        मिसाले-आबे-रवाँ रास्ते तलाश करो
        ये इज़्तराब रगों में बहुत ज़रूरी है
        उठो सफ़र के नए सिलसिले तलाश करो
पूर्व मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन को आदर्श मानने वाली ज्योति झा उन्हीं
की तरह फैशन और मॉडलिंग की दुनिया में नाम
रौशन करना चाहती थी। इसी को देखते हुये ज्योति झा ने वर्ष 1996 में
मॉडलिंग हंट कंपटीशन मिस रांची में हिस्सा लिया
और मिस बेस्ट कैट वाक का खिताब अपने नाम कर लिया।इसके बाद ज्योति झा ने
वर्ष 2001 में मिस जमशेदपुर में हिस्सा लिया और फर्स्ट रनर अप चुनी गयी।
वर्ष 2002 में ज्योति झा ने मिस कोलकाता में शिरकत की और टॉप 10 में चुनी
गयी। वर्ष 2002 में ही ज्योति झा ने मिस इंडिया वर्ल्ड वाइड में हिस्सा
लिया और मिस ब्यूटीफुल स्माइल चुनी गयी।वर्ष 2003 में अंतर्राष्टीय स्तर
के मॉडलिंग शो ग्लैडरैक्स मेगा मॉडल में भी ज्योति झा ने हिस्सा लिया और
फायनलिस्ट बनीं।
                उसे गुमाँ है कि मेरी उड़ान कुछ कम है
                मुझे यक़ीं है कि ये आसमान कुछ कम है
        अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला से प्रेरित ज्योति झा ने झारखंड की
औद्योगिक नगरी जमशेदपुर से वर्ष 2001
में एरोनेटिकल इंजीनीयरिंग की पढ़ाई पूरी की। वर्ष 2002 में ज्योति झा ने
एयर इंडिया मुंबई में एरोनेटिकल डिपार्टमेंट में दो वर्ष तक इंटर्नशिप
किया। वर्ष 2004 ज्योति झा के करियर के लिये महत्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ।
ज्योति झा ने मिस इंडिया कंपटीशन में हिस्सा लिया और टॉप 10 में जगह
बनाने में कामयाब हो गयी। शो की जज नेहा धूपिया ,सेलेना जेटली ,शुबी
सैमूएल ,हेमंत त्रिवेदी ने ज्योति झा की काफी तारीफ की। इसके बाद ज्योति
झा को विज्ञापन कंपनियों से काम करने के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गये।
ज्योति झा ने आइसीआईसीआई ,लकमे , जेट एयरवेज ,सिया ज्वैलरी , मैसूर संदल
शोप ,सीजन्स बुटिक ,एयर इंडिया नो मार्क जैसी कई नामी कंपनियों के
विज्ञापन फिल्मों ,म्यूजिक वीडियो ,कॉरपोरेट फिल्म ,मॉडलिंग और
राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के लिये रैंप वाक किया।
        अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल
        हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
वर्ष 2004 में ज्योति झा ने प्रतिष्ठित कंपनी आइआईटीसी और ग्रुमिंग डेल्स
ज्वाइन कर ली और यहां उन्होंने मेंटोर के रूप में लोगों को पर्सनालिटी
डेवलपमेंट और गुम्रिंग दी। इसी दौरान वर्ष 2005 में मनोरंजन चैनल इटीसी
पर ज्योति झा वीडियो जॉकी (वीजे) के रूप में भी काम किया और अपनी लाजवाब
एंकरिग से दर्शकों का दिल जीत लिया।इस दौरान ज्योति झा
मून लाइट इंटरटेनमेंट कंपनी की नींव रखी और इसके बैनर तले उन्होंने
मॉरीशस समेत कई देशो में बॉलीवुड नाइट समेत कई शो का आयोजन किया जिसके
लिये उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली। वर्ष 2006 में ज्योति झा को
करियर में एक और उपलब्धी हासिल हुयी।
ज्योति झा ने तंजानिया में हुये टूरिज्म मॉडल ऑफ द वर्ल्ड में भारत का
प्रतिनिधित्व किया। इस शो में 80 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
ज्योति झा ने भारत का परचम लहरा दिया और वह इस शो में भी फायनलिस्ट बनने
में कामयाब हुयी।
        ज़िन्दगी की असली उड़ान अभी बाकी है,
        ज़िन्दगी के कई इम्तेहान अभी बाकी है,
        अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीं हमने,
        अभी तो सारा आसमान बाकी है...
   
वर्ष 2008 में ज्योति झा की शादी दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले
एनआरआई और मीडिया एंड मार्केटिंग प्रोफेसनल  से हो गयी। आम तौर पर युवती
की शादी के बाद उसपर कई तरह की बंदिशे लगा दी जाती है लेकिन ज्योति झा के
साथ के साथ ऐसा नही हुआ। ज्योति झा के पति के साथ ही ससुराल पक्ष के सभी
लोगों ने उनका हर कदम सर्पोट किया। ज्योति झा अपने पति की मीडया और
इंटरटेनमेंट कंपनी में हाथ बंटाने लगी।
     ज्योति झा ने फैशन और मॉडलिंग और बिजनेस के क्षेत्र के साथ ही
सामाजिक क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनायी है।
ज्योति झा क्रियेटिव विजन सोसाइटी की ब्रैंड अम्बेसडर और क्रियेटिव हेड
हैं। यह संस्था महिलाओं के सशक्तीकाण और
बच्चों की शिक्षा के लिये काम करती है। ज्योति झा ने गरीब तबके के बच्चों
और महिलाओं के लिये वर्कशॉप आयोजित किया और उन्हें प्रशिक्षित
किया।ज्योति झा का मानना है कि लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने के लिए
महिलाओं को हर क्षेत्र में बराबरी का दर्जा मिलना जरूरी है। साथ ही समाज
को महिलाओं के प्रति अपनी सोच और नजरिए में भी बदलाव की जरूरत है।
महिलाएं आज पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में उनसे कदम से कदम
मिलाकर काम कर रही हैं। उन्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। बस
उनके हौसलों को पंख देने की जरूरत है।
      खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,
      जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,
      लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ,
     जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी है…
    ज्योति झा ने हाल ही में इंडो-साउथ अफ्रीका वेन्चर तले बन रही फिल्म
नेवर गिव अप के लिये कॉस्टयूम डिजाइन , स्टाइलिंग और लुक डिजाइन तैयार
किया है। यह फिल्म 1950 के दशक से 2016 तक के दशक की कहानी को बयां
करेंगी। ज्योति झा ने बताया कि बिहार में प्रतिभाओं की कमी नही है। वह
भविष्य में बिहारी प्रतिभाओं को निखारने के लिये मॉडलिंग इंस्टीच्यूट
खोलने जा रही है जहां बच्चों को मॉडलिंग और फैशन के साथ ही पर्सनालिटी
डेवलपमेंट ,स्किल डेवलपमेंट की भी शिक्षा दी जायेगी। ज्योति झा ने बताया
कि आज वह जिस मुकाम पर है उसकी सफलता में भगवान ,परिवार और सबसे
महत्वपूर्ण आत्मविश्वास है जिसने उन्हें कामयाबी की राह दिखायी है।
ज्योति झा ने कहा कि उन्होंने अबतक के करियर में जो कुछ भी हासिल किया है
वह बिहार के अलावा अन्य प्रांत के जरूरतमंद लोगों को सीखाना चाहती है।
   ज्योति झा अपनी सफलता का मूल मंत्र इन पंक्तियों में समेटे हुये है।
        जब टूटने लगे हौंसले तो बस ये याद रखना,
        बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते,
        ढूंड लेना अंधेरों में मंजिल अपनी,
        जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते।

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जब कलेक्टर के साथ स्कूल पहुँची खुशी... पढ़िए रितु साहू की रिपोर्ट

जेल में 6 साल से बेगुनाही की सजा काट रही खुशी का हुआ इंटरनेशनल स्कूल में एडमिशन, कलेक्टर के साथ स्कूल पहुँची खुशी बिलासपुर (छग) जब एक पिता अपनी बेटी को खुद से विदा करता है तब दोनों तरफ से सिर्फ आंसू ही बहते हैं। आज बिलासपुर केंद्रीय जेल में ऐसा ही नजारा देखने को मिला। जेल में बंद एक सजायफ्ता कैदी अपनी 6 साल की बेटी खुशी( बदला हुआ नाम) से लिपटकर खूब रोया। वजह बेहद खास थी। आज से उसकी बेटी जेल की सलाखों के बजाय बड़े स्कूल के हॉस्टल में रहने जा रही थी। करीब एक माह पहले जेल निरीक्षण के दौरान कलेक्टर डॉ संजय अलंग की नजर महिला कैदियों के साथ बैठी खुशी पर गयी थी। तभी वे उससे वादा करके आये थे कि उसका दाखिला किसी बड़े स्कूल में करायेंगे। आज कलेक्टर डॉ संजय अलंग खुशी को अपनी कार में बैठाकर केंद्रीय जेल से स्कूल तक खुद छोड़ने गये। कार से उतरकर खुशी एकटक स्कूल को देखती रही। खुशी कलेक्टर की उंगली पकड़कर स्कूल के अंदर तक गयी। एक हाथ में बिस्किट और दूसरे में चॉकलेट लिये वह स्कूल जाने के लिये सुबह से ही तैयार हो गयी थी। आमतौर पर स्कूल जाने के पहले दिन बच्चे रोते हैं। लेकिन खुशी आज बेहद खुश

भगवान से कम नहीं है.....इमरजेंसी वाले डॉक्टर साहब

छत्तीसगढ़। इस देश में हर वर्ग के हिसाब से हर इंसान की हैसियत के हिसाब से और हर इंसान की चॉइस के हिसाब से हर किसी का अपना एक डॉक्टर होता है।उच्च श्रेणी के उच्च वर्ग वाले लोगों के फैमिली डॉक्टर होते हैं। मध्यमवर्ग वालों के लिए चैरिटेबल, सरकारी या थोड़े से सस्ते वाले डॉक्टर होते हैं। गांव में पाए जाने वाले कंधे पर झोला टांग कर घूमने वाले भी देशी डॉक्टर होते हैं। जो किसी डॉक्टर के पास इंजेक्शन लगाने गोलियां दवाइयां देने का काम सीख कर गांव वालों की सेवाएं करते हैं। अब गांव वालों के लिए तो वह भी भगवान से कम नहीं है, जो मौके पर उनके कष्ट का निवारण कर उन्हें दर्द से निजात दिलवा देते हैं। साईकल पर गली में खड़े खड़े ही मरीजों की ओ पी डी से लेकर एम आर आई तक करने वाले गांव के डॉक्टर जब किसी मरीज को देखते हैं, तो मरीज उन से तरह-तरह के सवाल और अपने दर्द के बारे में तलब करते हैं। सिर में दर्द है,पीठ में दर्द है,कमर में दर्द है यह दवाई ले लो। क्या इससे काम चल जाएगा....? चिंता मत करो सारी बिमारीयों काम तमाम करेगी। इस तरह से बिना बेड पर लेटा कर इलाज कर देने वाले, मौके पर काम आने वाले इन झोला टां

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ थीम पर संपन्‍न हुआ न्‍यू बूगी - बूगी ऐकेडमी का वार्षिकोत्‍सव

प्रेमचंद रंगशाला में बच्‍चों ने सजायी डांस की म‍हफिल, दिया पुलावामा के शहीदों को श्रद्धांजलि पटना। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ थीम पर आयोजित न्‍यू बूगी - बूगी डांस ऐकेडमी का 23 वां वार्षिकोत्‍सव रविवार को पटना स्थित प्रेमचंद रंगशाला में संपन्‍न हो गया। इसका विधिवत उद्धाटन ऐकेडमी के शिक्षकों ने दीप प्रज्‍ज्‍वलित कर किया। 23 वां वार्षिकोत्‍सव के मौके पर ऐकेडमी तकरीबन 400 छात्रों ने हिस्‍सा लिया और एक से एक पावर पैक परफॉर्मेंस से ऑडिटोरियम में मौजूद सभी दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान डांस, मॉडलिंग, सिंगिंग की प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।   कार्यक्रम की शुरूआत गुरूर ब्रह्मा, गुरूर विष्‍णु वंदना से हुई, जिस पर बच्‍चों ने अदभुद प्रस्‍तुति दी। इसके बाद छोटे बच्‍चों ने अपने डांस से हॉल में मौजूद सभी दर्शकों का दिल जीत लिया, तो बड़े बच्‍चे और बच्चियों ने गरीबी, बलात्‍कार और पुलवामा में हुए आतंकी घटना व सर्जिकल स्‍ट्राइक को लेकर बेहतरीन डांस के साथ शहीद भररतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। खुद ऐकेडमी के डायरेक्‍टर अनिल राज ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी और उनके बलिदान के महत्‍व को