मोतिहारी 2 अक्टूबर रोज शनिवार को महात्मा गांधी की जयंती पूरे जिले में धूमधाम से मनाई गई इस दौरान पूर्वी चंपारण जिले के मुख्यालय मोतिहारी में विभिन्न स्थलों पर कार्यक्रमों का आयोजन करके उन्हें श्रद्धांजलि दी गई इसी क्रम में मोतिहारी के स्थानीय गांधी संग्रहालय में भी एक सर्वधर्म प्रार्थना कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें गांधी संग्रहालय के अध्यक्ष सह जिलाधिकारी, सदर एसडीओ मोतिहारी सहित शहर के जाने-माने गांधीवादी, महिलाएँ, नौजवान एवं स्कूली बच्चे शामिल हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत महात्मा गांधी के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेने कहिए से की गई इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि महात्मा गांधी ने हमें 200 वर्षों के अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराया उन्होंने कहा कि हम गांधी के स्वराज्य के सपनों को बढ़ा पाए हैं या नहीं यह विचारणीय है।
वहीं दूसरी ओर नव पदस्थापित अनुमंडल पदाधिकारी मोतिहारी सदर आईएएस सौरभ सुमन यादव ने कहा कि महात्मा गांधी ने समाज के हर एक वर्ग के लिए अपना एक विचार दिया है और उस विचार पर हम चलेंगे तो पूरे समाज का विकास हो सकता है। उन्होंने कहा कि यहां सर्व धर्म सभा की गई है जिससे कि शांति और प्रेम का संदेश फैले। इस दौरान उन्होंने अनुमंडल वासियों से गांधी के रास्ते पर चलते हुए शांति और न्याय बनाए रखने की अपील की।
वही गांधी संग्रहालय के अध्यक्ष जिलाधिकारी पूर्वी चंपारण शीर्षत कपिल अशोक ने कहा कि बापू के विचार काफी बृहत है जिस का आकलन करना मेरे लिए थोड़ा कठिन है उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा अवसर है जिस दिन सभी को कुछ ना कुछ संकल्प लेना चाहिए एवं साल भर कुछ त्रुटि हुई हो तो उसमें सुधार कैसे किया जाए इस पर विचार आवश्यक है। उन्होंने युवाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि पढ़ाई करना घर से अच्छे संस्कार लेना एवं कर्म करना बहुत आवश्यक है।
मीडिया से बातचीत के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि शांति का संदेश देने वाली सत्याग्रह और अहिंसा की जो धरती है, इसमें कैसे हम आज के जमाने में गांधी फिलॉसफी के अनुसार संभव हो सके इस अंदर में एक संगोष्ठी की गई है।
वही गांधी संग्रहालय के सचिव सह पूर्व मंत्री सह कार्यक्रम संचालक ब्रजकिशोर सिंह ने कहा कि यह हमारी परंपरा है कि हम अपने देश के महापुरुषों का जन्मदिन मनाते हैं जिनकी उपलब्धियां देश के नवनिर्माण में रही हैं उन्होंने कहा कि गांधी का चंपारण की धरती पर बहुत ही उपयोगी समय बिता और इसके नवनिर्माण में बहुत बड़ा सहयोग मिला।
सर्व धर्म प्रार्थना के दौरान विभिन्न धर्मों के मंचासीन अनुयायियों द्वारा प्रार्थना करके चंपारण एवं मानवता के विकास के लिए सत्य, अहिंसा, सुख, समृद्धि की कामना की गई।
इस दौरान जिलाधिकारी ने लाइब्रेरी में लगाए गए चित्र प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। जारी बरसात के बावजूद तत्पश्चात गांधी स्मारक के प्रांगण में वृक्षारोपण करके उन्होंने सरकार के सात निश्चय योजना के तहत चल रहे जल जीवन हरियाली अभियान को गति दी।
मालूम हो कि महात्मा गांधी चंपारण आने से पहले नील की खेती भारत में कहां होती है एवं चंपारण से अनजान थे । वे अपनी आत्मकथा सत्य के प्रयोग में लिखते हैं कि "मुझे स्वीकार करना चाहिए कि वहां जाने से पहले मैं चंपारण का नाम तक नहीं जानता था वाह नील की खेती होती है इसका विचार भी नहीं के बराबर ही था नील की गोटिया देखी थी पर यह चंपारण में बनती है और इसके कारण हजारों किसानों को कष्ट भोगना पड़ता है इसका जरा भी जानकारी नहीं थी"
एवं चंपारण आने के बाद गांधीजी लिखते हैं कि याद रहे कि चंपारण में मुझे कोई नहीं पहचानता था किसान वर्ग बिल्कुल निरक्षर था चंपारण गंगा के उस पार ठेठ हिमालय की तराई में नेपाल का निकट निकट तस्य प्रदेश है यानी नई दुनिया है।
गौनाहा में चंपारण सत्याग्रह के दौरान गांधी जी ने यह महसूस किया था कि यहां के लोगों में शिक्षा और जागृति मुख्य समस्या है। यहां के लोगो के अंदर अंग्रेजों के जूल्म से डर का एक मूल कारण अशिक्षा है । इस कमी को दूर करने के लिए गांधी ने जनसहयोग से चंपारण में तीन पाठशालाओं की स्थापना भी की ।
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